अदालत आगामी दिनों में प्रदीप शर्मा को सजा सुनाएगी।
कच्छ के पूर्व कलेक्टर प्रदीप शर्मा को ACB में दर्ज एक केस में अहमदाबाद ग्रामीण कोर्ट ने दोषी ठहराया है। कोर्ट ने उन्हें वित्तीय लेनदेन में गबन का दोषी मानकर 5 साल की सजा और 50 हजार का जुर्माना लगाया है। जुर्माना न देने पर 3 माह की साधारण कैद भुगतनी ह
.
अदालत आगामी दिनों में प्रदीप शर्मा को सजा सुनाएगी। फैसले से पहले प्रदीप शर्मा के वकील ने अदालत से सजा कम करने की मांग करते हुए कहा कि प्रदीप शर्मा लंबे समय से जेल में हैं और उनकी उम्र देखते हुए पुराने नियमानुसार ही सजा होनी चाहिए। वह 70 वर्ष के होने के कारण वरिष्ठ नागरिक हैं।
प्रदीप शर्मा पहले से ही अन्य भ्रष्टाचार मामले में जेल में हैं।
क्या है जमीन आवंटन का मामला प्रदीप शर्मा का नाम साल 2004 में कच्छ जिले में हुए एक विवादित भूमि आवंटन के मामले में सामने आया था। आरोप है कि उन्होंने कलेक्टर रहते हुए वेलस्पन ग्रुप नाम की कंपनी को बाजार मूल्य से 25% कम दाम पर जमीन आवंटित की थी। इसके बदले प्रदीप शर्मा की पत्नी को वेलस्पन ग्रुप की सहायक कंपनी में साझेदारी मिली थी। इस आवंटन से सरकार को 1.2 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचा।
साल 2004 में कच्छ जिले के कलेक्टर थे प्रदीप शर्मा।
गुजरात की मोदी सरकार के खिलाफ भी मोर्चा खोला था PTI की रिपोर्ट के मुताबिक प्रदीप शर्मा ने एक महिला आर्किटेक्ट की कथित जासूसी की CBI जांच की मांग की थी। यह मामला तब सामने आया था, जब दो न्यूज पोर्टल्स ने कुछ टेलीफोनिक बातचीत की सीडी जारी की। इस सीडी में कथित तौरपर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (उस समय के गुजरात के गृह राज्य मंत्री) और दो वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के बीच की बातचीत होने का दावा किया गया था।
इसके अलावा अगस्त और सितंबर 2009 के बीच कथित तौर पर हुई बातचीत में एक ‘साहेब’ का जिक्र था, जिसे उस समय के सीएम गुजरात नरेंद्र मोदी से जोड़ा गया। हालांकि, अमित शाह ने इन आरोपों को खारिज कर दिया था।