पंजाब के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया ने भाजपा कार्यकर्ताओं को नसीहत दी है। कटारिया ने कहा- आज हम मजे कर रहे हैं, इसके पीछे भंडारी जैसे सैकड़ों लोग खप गए हैं। हमें हेकड़ी नहीं करनी चाहिए। जिन लोगों ने संगठन को जमाया, उनके लक्ष्य, समर्पण, सादगी और समय की
.
उदयपुर में सुंदर सिंह भंडारी की जयंती के कार्यक्रम में पहुंचे कटारिया ने एक रोचक किस्सा सुनाया। उन्होंने कहा- जनसंघ के संस्थापक सदस्य सुंदर सिंह भंडारी समय और अनुशासन के मामले में इतने कठोर थे कि एक बार कार्यक्रम शुरू होते ही उन्होंने हॉल के दरवाजे बंद करवा दिए। जब तत्कालीन मुख्यमंत्री पहुंचे, तब भी उन्होंने दरवाजे नहीं खुलवाए।
सुंदर सिंह भंडारी की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में राज्यपाल कटारिया ने कुछ विशिष्ट लोगों को किया सम्मानित। इस दौरान कई गणमान्य लोग मौजूद रहे।
पंजाब के राज्यपाल ने कहीं ये 3 बड़ी बातें…
1. रोटी का जुगाड़ तक मुश्किल था, फिर भी नहीं टूटा संकल्प कटारिया ने बताया कि सुंदर सिंह भंडारी को रोटी खिलाने वाला तक नहीं मिलता था। कभी मंदिर पर, कभी रेलवे स्टेशन तो कभी दुकान के बाहर तख्ती पर सो जाते थे। इतने संघर्ष के बावजूद वे अपने काम में अडिग रहे और उनका जीवन समर्पित रहा।
2. समय की पाबंदी में CM भी बराबर कटारिया ने कहा- भंडारी बेहद अनुशासनप्रिय थे। किसी भी बैठक में तय समय पर पहुंचते और बैठक शुरू होते ही दरवाजे बंद करवा देते थे। एक बार मुख्यमंत्री के देर से आने पर उन्हें भी प्रवेश नहीं दिया।
उनका मानना था कि मुख्यमंत्री और कार्यकर्ता में कोई भेद नहीं होता, सभी को समय का पाबंद होना चाहिए। भंडारी जिस बैठक में होते थे उसमें अटल बिहारी वाजपेयी भी होते थे। लेकिन, किसी की हिम्मत नहीं होती थी कि एक शब्द भी व्यर्थ बोले।
3. थर्ड क्लास में सफर, फर्स्ट क्लास में CM कटारिया ने एक रोचक प्रसंग साझा किया कि भंडारी हमेशा रेल के थर्ड क्लास (सामान्य) डिब्बे में यात्रा करते थे। एक बार वे सामान्य श्रेणी से उतरे और उसी ट्रेन के फर्स्ट क्लास से उतरे पूर्व मुख्यमंत्री सुखाड़िया। सुखाड़िया ने स्वयं भंडारी के पास जाकर उनका आशीर्वाद लिया। वैचारिक मतभेदों के बावजूद सुखाड़िया भंडारी के आदर्शों का सम्मान करते थे।
