Thursday, June 19, 2025
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कनाडा के PM ट्रूडो का इस्तीफा: पार्टी नेता का भी पद छोड़ा, कहा- मैं फाइटर हूं लेकिन घर में लड़ाई नहीं लड़ सकता


ओटावा5 मिनट पहले

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प्रधानमंत्री ट्रूडो ने पीएम पद से इस्तीफा देने से पहले देश को संबोधित किया। - Dainik Bhaskar

प्रधानमंत्री ट्रूडो ने पीएम पद से इस्तीफा देने से पहले देश को संबोधित किया।

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सोमवार शाम को पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने पार्टी का नेता पद भी छोड़ दिया है। इस्तीफे से पहले उन्होंने देश को संबोधित किया। ट्रूडो ने कहा कि वे अगले चुनाव के लिए अच्छा विकल्प नहीं हो सकते।

उन्होंने कहा, ‘अगर मुझे घर में लड़ाई लड़नी पड़ेगी, तो आने वाले चुनाव में सबसे बेहतर विकल्प नहीं बन पाऊंगा।’ उन्होंने खुद को एक फाइटर बताया। कहा कि मुझे कनाडाई लोगों की बहुत परवाह है। मैं हमेशा कनाडा के लोगों की भलाई के लिए काम करता रहूंगा।

रिपोर्ट के मुताबिक, PM ट्रूडो प्रधानमंत्री के पद पर तब तक बने रहेंगे, जब तक उनका उत्तराधिकारी नहीं चुन लिया जाता। उनकी सरकार का कार्यकाल अक्टूबर तक था। इस्तीफे के बाद अब जल्द चुनाव हो सकते हैं। वे नवंबर 2015 से देश के प्रधानमंत्री थे।

जस्टिन ट्रूडो ने 30 मिनट तक देश को संबोधित किया।

जस्टिन ट्रूडो ने 30 मिनट तक देश को संबोधित किया।

ट्रूडो को इस्तीफा क्यों देना पड़ा

  • ट्रूडो पर उनकी लिबरल पार्टी के सांसदों की तरफ से कई महीनों से पद छोड़ने का दबाव बनाया जा रहा था। इस वजह से ट्रूडो अलग-थलग पड़ते जा रहे थे।
  • कनाडा की डिप्टी PM और वित्त मंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने 16 दिसंबर को पद से इस्तीफा दे दिया। क्रिस्टिया ने आरोप लगाया था कि PM ट्रूडो ने उनसे वित्त मंत्री का पद छोड़ दूसरे मंत्रालय की जिम्मेदारी संभालने के लिए कहा था। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ समय से ट्रूडो और वे फैसलों को लेकर सहमत नहीं हो पा रहे थे। क्रिस्टिया लंबे समय से ट्रूडो की सबसे प्रभावशाली और वफादार मंत्री मानी जा रही थीं। हाल ही में ट्रूडो के नागरिकों को मुफ्त में 15 हजार रुपए देने पर क्रिस्टिया ने असहमति जताई थी। उन्होंने कहा था कि कनाडा अमेरिका को होने वाले निर्यात पर टैरिफ की धमकी का सामना कर रहा है। ऐसे में अधिक खर्च करने से बचना चाहिए।
  • इसके अलावा, पार्टी के 152 सांसद में से ज्यादातर ट्रूडो के इस्तीफे का दबाव बना रहे थे। ट्रूडो की पार्टी के 24 सांसदों ने अक्टूबर में उनसे सार्वजनिक तौर पर इस्तीफा देने की मांग की थी।

ट्रूडो की पार्टी के लिए चुनौती ट्रूडो के इस्तीफे के बाद लिबरल पार्टी के पास कोई ऐसा नेता नहीं है, जिसकी आम जनता में पकड़ हो। विदेश मंत्री मेलानी जोली​​​​​​, डोमिनिक लेब्लांक, मार्क कानी के नाम इस रेस में आगे हैं।

लिबरल पार्टी में शीर्ष नेता को चुनने के लिए विशेष सम्मेलन बुलाया जाता है। इस प्रक्रिया में कई महीने लग जाते हैं। यदि लिबरल पार्टी में कोई स्थानीय नेता न हो और देश में चुनाव कराए गए तो इससे उसे नुकसान हो सकता है।

अब आगे क्या संसद का सत्र 27 जनवरी को शुरू होना था, लेकिन ट्रूडो ने कहा कि अब यह मार्च में होगा। सत्र के शुरू होते ही लिबरल पार्टी को विश्वास मत का सामना करना पड़ सकता है। लिबरल पार्टी पहले से अल्पमत में है। चुनाव के आखिरी वक्त में उन्हें दूसरे दलों का समर्थन मिलने की उम्मीद भी कम है। ऐसे में लिबरल सरकार मार्च में ही विश्वास मत हार सकती है।

ट्रूडो की पार्टी के पास बहुमत नहीं

कनाडा की संसद हाउस ऑफ कॉमन्स में लिबरल पार्टी के 153 सांसद हैं। हाउस ऑफ कॉमन्स​​​​​​ में 338 सीटें है। इसमें बहुमत का आंकड़ा 170 है। पिछले साल ट्रूडो सरकार की सहयोगी पार्टी न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (NDP) ने अपने 25 सांसदों का समर्थन वापस ले लिया था। NDP खालिस्तान समर्थक कनाडाई सिख सांसद जगमीत सिंह की पार्टी है।

गठबंधन टूटने की वजह से ट्रूडो सरकार अल्पमत में आ गई थी। हालांकि 1 अक्टूबर को हुए बहुमत परीक्षण में ट्रूडो की लिबरल पार्टी को एक दूसरी पार्टी का समर्थन मिल गया था। इस वजह से ट्रूडो ने फ्लोर टेस्ट पास कर लिया था। ट्रूडो की विपक्षी कंजर्वेटिव पार्टी के पास 120 सीटें हैं।

हालांकि न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (NDP) के नेता जगमीत सिंह ने PM ट्रूडो के खिलाफ फिर से अविश्वास प्रस्ताव लाने का फैसला किया है। जगमीत सिंह ने पिछले महीने कहा था कि वह अगले महीने अल्पमत वाली लिबरल सरकार को गिराने के लिए कदम उठाएंगे ताकि देश में फिर से चुनाव हो सकें। कनाडा में 27 जनवरी से संसदीय कार्यवाही शुरू होगी।

ट्रूडो के खिलाफ क्यों है नाराजगी

कनाडा के लोगों में लगातार बढ़ती मंहगाई के वजह से ट्रूडो के खिलाफ नाराजगी है। इसके अलावा पिछले कुछ समय से कनाडा में कट्टरपंथी ताकतों के पनपने, अप्रवासियों की बढ़ती संख्या और कोविड-19 के बाद बने हालातों के चलते ट्रूडो को राजनीतिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

पिछले साल अक्टूबर में हुए इप्सोस के एक सर्वे में सिर्फ 28% कनाडाई लोगों का कहना था कि ट्रूडो को फिर से चुनाव लड़ना चाहिए। वहीं एंगस रीड इंस्टीट्यूट के मुताबिक ट्रूडो की अप्रूवल रेटिंग गिरकर 30% पर आ गई है। दूसरी तरफ उन्हें नापसंद करने वालों की संख्या 65% तक पहुंच गई है।

देश में हुए कई सर्वे के मुताबिक अगर कनाडा में चुनाव होते हैं तो कंजर्वेटिव पार्टी को बहुमत मिल सकता है, क्योंकि जनता बढ़ती महंगाई से परेशान है।

ट्रूडो की जगह ले सकते हैं ये 5 नाम

मेलानी जोली- ट्रूडो सरकार में विदेश मंत्री हैं। भारत से विवाद इन्हीं के दौर में शुरू हुआ। इसके लिए जोली को प्रशंसा और आलोचना दोनो मिली। ट्रूडो की कट्टर समर्थक हैं और आखिरी वक्त तक उनका साथ दिया है। ट्रूडो इन्हें अपना उत्तराधिकारी बना सकते हैं।

क्रिस्टी क्लार्क- 2011 से 2017 तक ब्रिटिश कोलंबिया राज्य की प्रीमियर थीं। ट्रूडो के पद छोड़ने को लेकर कई बार बयान दिया था। ट्रूडो की लोकप्रियता में गिरावट होते देख उन्होंने अक्टूबर 2024 में उनकी जगह लेने की इच्छा जताई थी। उन्होंने कहा था कि ट्रूडो अब थक चुके हैं।

मार्क कार्नी- बैंक ऑफ कनाडा और बैंक ऑफ इंग्लैंड दोनों में गवर्नर के पद पर रह चुके हैं। उनके पास राजनीतिक अनुभव की कमी है, लेकिन दुनिया में उनकी बड़ी साख है। पिछले कुछ सप्ताह में उन्होंने समर्थन के लिए कई लिबरल सांसदों से संपर्क साधा है।

क्रिस्टिया फ्रीलैंड- पिछले महीने उप-प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री के पद से इस्तीफा देने वालीं क्रिस्टिया कनाडाई राजनीति में एक अहम नाम हैं। आर्थिक मामलों की जानकार होने की वजह से उनकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बड़ी साख है। हालांकि ट्रूडो के आखिरी वक्त पर उनका साख छोड़ना उनके खिलाफ भी जा सकता है।

डोमिनिक लेब्लांक- लिबरल कैबिनेट के वरिष्ठ मंत्री और ट्रूडो के बेहद करीबी हैं। हालांकि फ्रीलैंड और बाकी नामों के आगे वे थोड़े कमजोर पड़ जाते हैं। राष्ट्रीय स्तर पर वे एक बड़ा चेहरा भी नहीं हैं लेकिन ट्रूडो का करीबी होना उनके हित में जा सकता है।

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कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो नए साल की शुरुआत में सत्ता गंवा सकते हैं। रॉयटर्स के मुताबिक न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (NDP) के नेता जगमीत सिंह ने PM ट्रूडो के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का फैसला किया है। जगमीत सिंह ने शुक्रवार को कहा कि वह अगले महीने अल्पमत वाली लिबरल सरकार को गिराने के लिए कदम उठाएंगे ताकि देश में फिर से चुनाव हो सकें। यह खबर भी पढ़ें…



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