कपूरथला नगर सुधार ट्रस्ट के मार्केट कॉम्पलेक्स से एक दुकानदार की याचिका की सुनवाई में एडिशनल सेशन जज की अदालत ने आज नगर सुधार ट्रस्ट के चेयरमैन तथा EO को नोटिस भेजकर तलब किया है। याचिकाकर्ता ने अदालत से उसकी दुकान के साथ लगते पार्क को दुकानों में तब्
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हालांकि ट्रस्ट के चेयरमैन गुरपाल सिंह इंडियन ने कहा कि यह सारा मामला उनके कार्यकाल से पहले का है और यहां कोई पार्क नहीं है। लोकल बॉडी विभाग की मंजूरी के बाद ही नियमो की पालना करते हुए वर्ष 2021 में दुकानों की बोली की गई थी।
ट्रस्ट मार्केट के एक दुकानदार दीपक राय ने अदालत में दायर की याचिका में बताया कि नगर सुधार ट्रस्ट की स्कीम के तहत उन्होंने 1997 में एक दुकान ली थी। जिसकी 2004 में हुई रजिस्ट्री के अनुसार दुकान नंबर 208 के साथ पार्क का विवरण भी दिया है। दुकान के साथ पार्क होने के चलते दुकान की कीमत अन्य दुकानों से अधिक दी थी, लेकिन अब ट्रस्ट ने उक्त पार्क को तहस -नहस कर पार्क में लगे पेड़ पौधों को भी काट दिया है और पार्क की जगह 5 दुकानों के प्लाट बनाकर एक ही मालिक को बेच दी है। दीपक राय ने अदालत से गुहार लगाई कि उनकी दुकान के साथ पार्क को पार्क ही रहने दिया जाए।
कपूरथला में ट्रस्ट मार्केट के पास पड़ा प्लाट।
दीपक के अनुसार, याचिका की सुनवाई के चलते पार्क में लगे पेड़ भी काटे गए। जिस पर एतराज जताते हुए उन्होंने कपूरथला की एडिशनल सेशन जज की अदालत में गुहार लगाई। जिसकी सुनवाई 19 सितंबर को होनी है। कोर्ट ने ट्रस्ट के चेयरमैन तथा EO को अदालत में तलब किया गया है।
क्या कहते हैं ट्रस्ट के चेयरमैन
वहीं दूसरी इंप्रूवमेंट ट्रस्ट के चेयरमैन गुरपाल सिंह ने बताया कि ट्रस्ट के रिकार्ड अनुसार, मार्केट में खाली पड़ी जमीन पर 5 दुकानें नगर निकाय विभाग की मंजूरी और CLU चेंज कर ऑनलाइन बोली के तहत बेची गई है। हालांकि यह मामला उनके कार्यकाल से पहले का है।
उन्होंने यह भी बताया कि दस्तावेजों के अनुसार, 2003 में उक्त ओपन टू स्काई पड़ी जगह पर निकाय विभाग CLU चेंज कर साइट को रेस्टोरेंट के लिए निर्धारित की गई थी। लेकिन जब रेस्टोरेंट के एरिया के हिसाब से बोली के अनुसार कोई खरीददार नहीं मिला, तब वर्ष 2021 में विभाग की मंजूरी लेकर उक्त स्थान पर 5 दुकानों के प्लाट की ऑनलाइन बोली हुई थी। जिसको खरीदने वाले मालिक को दुकानों की पजेशन देने के लिए उक्त भूमि की सफाई कर निशानदेही करवाई जा रही थी। दीपक राय द्वारा दायर की गई याचिका बिल्कुल बेबुनियाद है।