करनाल जिले के ग्रीनलैंड पब्लिक स्कूल के मेधावी स्टूडेंट दिव्यांश कौशिक ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर करनाल और भारत का नाम रोशन किया है। दिव्यांश का चयन अमेरिका के ह्यूस्टन, टेक्सास में आयोजित होने वाले विश्व प्रसिद्ध यूनाइटेड स्पेस स्कूल प्रोग्राम के लिए
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दिव्यांश भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए कार्यक्रम में भाग लेगा और अंतरराष्ट्रीय स्टूडेंट के साथ मिलकर मंगल ग्रह पर मानव मिशन की योजना बनाएगा।
कठिन चयन प्रक्रिया, सफलता का मिला टिकट
दिव्यांश ने बताया कि इस प्रोग्राम में चयन के लिए उसे तीन अहम चरणों से गुजरना पड़ा। सबसे पहले एप्लिकेशन फॉर्म भरा गया। जब वह शॉर्टलिस्ट हुआ, तो दूसरी स्टेज में लिखित परीक्षा देनी पड़ी। वहीं तीसरे चरण में यूएसए डेलीगेशन द्वारा ऑनलाइन इंटरव्यू लिया। तीनों चरणों में सफलता हासिल करने के बाद दिव्यांश को भारत से प्रतिनिधित्व के लिए चुना गया। इस बार कुल 25 देशों से दो-दो स्टूडेंट का चयन हुआ। जिनमें भारत से दिव्यांश को यह सम्मान मिला है।
खुशी जाहिर करते दिव्यांश के परिजन।
बचपन से रही विज्ञान में रुचि
दिव्यांश ने बताया कि उसकी विज्ञान में बचपन से ही गहरी रुचि रही है। स्कूल में भी उसका फेवरेट सब्जेक्ट साइंस रहा है। वर्तमान में वह 11वीं कक्षा में नॉन-मेडिकल विषयों के साथ पढ़ाई कर रहा है। उसने इस अवसर के लिए इंटरनेट और ऑनलाइन स्रोतों से जानकारी जुटाई और स्पेस एजुकेशन से जुड़ी वेबसाइट्स का अध्ययन किया। इस दौरान वह कंट्री कोऑर्डिनेटर डॉ. पारूल के संपर्क में आया, जिन्होंने उसे सही मार्गदर्शन दिया।
13 जुलाई को पहुंचेगा अमेरिका
यूनाइटेड स्पेस स्कूल प्रोग्राम का नाम है “मिशन टू मार्स”। इस प्रोग्राम में प्रतिभागियों को पांच टीमों – रेड, महरून, ग्रीन, ब्लू और यलो में बांटा जाएगा। सभी टीमों को मिलकर मंगल ग्रह पर एक सिविलाइजेशन स्थापित करने की योजना बनानी होगी। दिव्यांश को मिशन में हिस्सा लेने के लिए 13 जुलाई को अमेरिका पहुंचना है। वहां 15 दिनों तक उसे NASA के वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और एस्ट्रोनॉट्स के मार्गदर्शन में काम करने का मौका मिलेगा।
यह अनुभव उसे तकनीकी ज्ञान, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और टीम वर्क के मामले में एक नई ऊंचाई पर पहुंचाएगा।

जानकारी देते हुए स्टूडेंट दिव्यांश।
कल्पना चावला से मिली प्रेरणा
दिव्यांश का सपना है कि वह बड़ा होकर एयरोनॉटिकल इंजीनियर बने। उसने कहा कि उसका जन्म करनाल में हुआ है और उसकी प्रेरणा कल्पना चावला हैं, जो इसी शहर से थी और पूरी दुनिया में भारत की पहचान बनी। दिव्यांश का मानना है कि स्पेस साइंस के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं और वह इसी क्षेत्र में अपना भविष्य बनाना चाहता है।
स्कूल और क्षेत्र में खुशी की लहर
दिव्यांश की उपलब्धि पर स्कूल प्रधानाचार्य गुरविंद्र चावला ने कहा कि यह उपलब्धि केवल स्कूल के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए गर्व का विषय है। दिव्यांश की मेहनत, लगन और जिज्ञासा ने उसे यह सम्मान दिलाया है। हम उसके उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हैं और उम्मीद करते हैं कि वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम और ऊंचा करेगा।