करनाल में पुतला फूंकते किसान व ज्ञापन सौंपते हुए।
करनाल में भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) ने किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के समर्थन और एमएसपी गारंटी कानून सहित अन्य मांगों को लेकर जबरदस्त प्रदर्शन किया। किसानों ने किसान भवन से सरकार की शवयात्रा निकाली और गांधी चौक पर सरकार का पुतला जलाया। प्रदर्शनक
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अपनी मांगों को लेकर अधिकारियों को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा।
करनाल में शव यात्रा निकालते किसान।
किसानों ने उठाया सवाल, सरकार चुप क्यों?
प्रदर्शन में शामिल किसानों ने सवाल उठाया कि डल्लेवाल आमरण अनशन पर बैठे हुए हैं, लेकिन सरकार उनकी बात सुनने तक तैयार नहीं है। किसानों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने भी मामले को गंभीरता से लेने का निर्देश दिया है, लेकिन केंद्र सरकार अब तक चुप है। किसानों ने कहा कि क्या एक किसान नेता की जान इतनी सस्ती है कि उसकी जायज मांगें भी अनसुनी कर दी जाएं?
बीजेपी पर निशाना, मंचों पर एमएसपी चिल्लाते है
प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि बीजेपी के नेता मंचों से एमएसपी की बात करते हैं, लेकिन जमीनी सच्चाई इसके उलट है। किसानों का कहना है कि उनकी फसलें एमएसपी से कम दाम पर बिकती हैं और सरकार इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रही। किसानों का कहना है कि एमएसपी गारंटी कानून उनका अधिकार है, जिसे लागू करना बेहद जरूरी है।

करनाल में नारेबाजी करते हुए किसान।
शंभू बॉर्डर पर प्रदर्शन जारी
किसानों की मुख्य मांग एमएसपी गारंटी कानून है। इसके साथ ही 13 अन्य मांगों को लेकर शंभू बॉर्डर पर धरना प्रदर्शन लंबे समय से जारी है। किसान दिल्ली कूच करना चाहते हैं, लेकिन प्रशासन ने उन्हें बॉर्डर पर ही रोक रखा है। किसानों ने चेतावनी दी है कि उनकी मांगें जल्द नहीं मानी गईं, तो वे आंदोलन और तेज करेंगे।
भाकियू जिलाध्यक्ष की चेतावनी
भाकियू जिलाध्यक्ष सुरेंद्र सिंह घूमन ने कहा कि सरकार का पुतला दहन किसानों के गुस्से का प्रतीक है। उन्होंने बताया कि किसानों ने ज्ञापन के माध्यम से अपनी मांगें सरकार तक पहुंचाई हैं।
– किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की जान बचाने के लिए तत्काल कदम उठाए जाएं।
– दिल्ली कूच कर रहे किसानों पर आंसू गैस और बल प्रयोग बंद हो।
– किसानों पर लगाए गए झूठे मुकदमे, विशेष रूप से हत्या के प्रयास के मामले खारिज हों।
– गौतम बुद्ध नगर की लुक्सर जेल में बंद किसानों को रिहा किया जाए।
– सभी किसान संगठनों के साथ चर्चा कर 9 दिसंबर 2021 के पत्र में सहमति के अनुसार लंबित मुद्दों का समाधान किया जाए।
किसानों ने साफ किया है कि अगर उनकी मांगें जल्द नहीं मानी गईं, तो वे अपने आंदोलन को और व्यापक करेंगे। प्रदर्शनकारियों ने यह भी कहा कि सरकार की चुप्पी उन्हें और ज्यादा नाराज कर रही है।