Friday, December 27, 2024
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करोड़ पति पूर्व आरक्षक सौरभ ने फाइल की अग्रिम जमानत: वकील बोले लोकायुक्त की कार्रवाई गलत, मेरा मुवक्किल लोक सेवक ही नहीं – Bhopal News



लोकायुक्त के छापे फिर ईडी की एफआईआर के बाद पहली बार परिवाहन के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा की ओर से अपना पक्ष उनके वकील के माध्यम से रखा गया। इसी के साथ उनकी ओर से अग्रिम जमानत की याचिका भी भोपाल जिला न्यायालय में फाइल की गई है।

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इस याचिका पर शुक्रवार को विशेष न्यायाधीश राम प्रसाद मिश्र की कोर्ट में सुनवाई होगी। सौरभ के वकील ने कार्रवाई पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने लोकायुक्त की कार्रवाई को गलत बताया है।

एडवोकेट राकेश पाराशर ने बताया कि सौरभ लोकसेवक नहीं है। इसके बाद भी लोकायुक्त ने उसके घर छापा मारा है। यह कार्रवाई पूरी तरह से गलत है। इसी के साथ जिस कार में सोना मिला वह उसके नाम नहीं है। उस सोने से भी उसका कोई लेनादेना नहीं हैं।

हम चाहते हैं कि हमें अग्रिम जमानत का लाभ मिले, जिससे हम पूरी मजबूती के साथ सामने आएं और अपनी बात को रख सकें। जिस तरह से कार्रवाई की जा रही है, उसी अनर्गल आरोपों में फंसाया जा सकता है। हम जांच में पूरी तरह से सहयोग करने को तैयार हैं। जहां हिसाब देना होगा वह भी देंगे, जिससे साफ हो जाएगा कि सौरभ के पास बरामद माल कहां से और कैसे आया है।

सवा दो करोड़ में खरीदा था बंगला

जहां सौरभ वर्तमान में रहता है, अरेरा कॉलोनी स्थित वह बंगला E-7/78 उसने 2015 में सवा दो करोड़ रुपए में खरीदा था। हालांकि, सौरभ इसे अपने बहनोई का बंगला बताता है। बंगले की वर्तमान कीमत लगभग 7 करोड़ रुपए है। सूत्रों के मुताबिक, नौकरी करते समय खरीदा गया ये बंगला सौरभ ने किसी अन्य के नाम से खरीदा था।

आरक्षक से बिल्डर बना सौरभ शर्मा

परिवहन विभाग में पदस्थ सीनियर अफसर बताते हैं कि सौरभ के पिता स्वास्थ्य विभाग में थे। साल 2016 में उनकी अचानक मृत्यु के बाद उनकी जगह अनुकंपा नियुक्ति के लिए सौरभ की तरफ से आवेदन दिया गया। स्वास्थ्य विभाग ने स्पेशल नोटशीट लिखी कि उनके यहां कोई पद खाली नहीं है।

अक्टूबर 2016 में कॉन्स्टेबल के पद पर भर्ती सौरभ की पहली पोस्टिंग ग्वालियर परिवहन विभाग में हुई। मूल रूप से ग्वालियर के साधारण परिवार से संबंध रखने वाले सौरभ का जीवन कुछ ही वर्षों में पूरी तरह बदल गया। नौकरी के दौरान ही उसका रहन-सहन काफी आलीशान हो गया था, जिससे उसके खिलाफ शिकायतें विभाग और अन्य जगहों पर होने लगीं।

कार्रवाई से बचने के लिए सौरभ ने वॉलंटरी रिटायरमेंट स्कीम के तहत सेवानिवृति ले ली। इसके बाद उसने भोपाल के नामी बिल्डरों के साथ मिलकर प्रॉपर्टी में बड़े पैमाने पर निवेश करना शुरू कर दिया।



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