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कर्नाटक में 10 साल बाद दोबारा जाति जनगणना होगी: स्टेट लीडरशिप की खड़गे-राहुल से मीटिंग के बाद फैसला; 90 दिन में रिपोर्ट तैयार की जाएगी


बेंगलुरु13 मिनट पहले

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सिद्धारमैया सरकार ने इससे पहले 2015 में जातीय सर्वेक्षण कराया था, लेकिन वोक्कालिगा और लिंगायत समुदायों के दबाव के चलते रिपोर्ट जारी नहीं की गई थी।

कर्नाटक सरकार राज्य में दोबारा जाति जनगणना कराने जा रही है। डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने मंगलवार को बताया कि यह प्रक्रिया पारदर्शी होगी और सभी वर्गों के हितों की रक्षा की जाएगी। सर्वे की समयसीमा तय करने का काम राज्य कैबिनेट करेगी और इसकी रिपोर्ट 90 दिन में तैयार की जाएगी।

यह फैसला स्टेट लीडरशिप की कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के साथ दिल्ली में हुई हाई लेवल मीटिंग के बाद लिया गया। बैठक में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया भी मौजूद थे।

मीटिंग के बाद सिद्धारमैया ने कहा, “कई समुदायों और मंत्रियों ने जाति सर्वे को लेकर चिंता जताई थी। इसे देखते हुए पार्टी नेतृत्व ने फिर से जाति गणना कराने का निर्णय लिया है।”

सिद्धारमैया सरकार ने इससे पहले 2015 में जातीय सर्वेक्षण कराया था, लेकिन वोक्कालिगा और लिंगायत समुदायों के दबाव के चलते इसकी रिपोर्ट जारी नहीं की गई थी।

शिवकुमार बोले- सर्वे निष्पक्ष होगा

डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने कहा कि यह सर्वे निष्पक्ष होगा और सभी समुदायों को साथ लेकर किया जाएगा। कर्नाटक के बाहर रहने वाले लोग भी ऑनलाइन के जरिए इस सर्वे में हिस्सा ले सकेंगे।

शिवकुमार ने कहा, “लोगों को सरकार से डरने की जरूरत नहीं है। हम सबका भरोसा जीतकर न्याय करेंगे। यही हमारी पार्टी की प्रतिबद्धता है।”

अप्रैल में 2015 की रिपोर्ट लीक होने पर विवाद हुआ था

कर्नाटक पिछड़ा वर्ग आयोग ने सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक सर्वेक्षण 2015 रिपोर्ट तैयार की थी। इसे 17 अप्रैल को सिद्धारमैया कैबिनेट में पेश किया जाना था। इससे पहले यह लीक हो गई और विवाद हो गया। इस वजह से ये पेश नहीं हो पाई।

राज्य के सबसे प्रभावशाली वोक्कालिगा और वीरशैव-लिंगायत समुदाय ने इस सर्वे पर सवाल उठाते हुए सिद्धारमैया सरकार को कठघरे में खड़ा किया था। आयोग ने बताया था कि उसने राज्य की 6.35 करोड़ आबादी में से 5.98 करोड़ लोगों के बीच सर्वे कर ये रिपोर्ट बनाई है।

वोक्कालिगा-लिंगायतों का आरोप- कर्नाटक सरकार ने हमारी आबादी घटा दी

कर्नाटक में दशकों से वीरशैव-लिंगायत समुदाय की आबादी 18% से 22% रही है। राज्य के 9 पूर्व सीएम इसी समुदाय से रहे, लेकिन लीक रिपोर्ट में इन्हें 11% बताया गया है। उनकी आबादी 66.35 लाख आंकी गई है। उन्हें अन्य लिंगायत उप जातियों और समुदायों के साथ वर्ग श्रेणी 3-बी में रखा गया है।

वोक्कालिगा की आबादी 10.29% (61.58 लाख) बताई गई, जबकि पुराने मैसूर क्षेत्र में इनकी आबादी 16% तक है। 7 पूर्व सीएम इसी समुदाय से रहे हैं। इस रिपोर्ट में दोनों प्रमुख समुदायों के बीच का अंतर 1% से कम है। राज्य की 224 सदस्यीय विधानसभा में वीरशैव-लिंगायत के 50 और वोक्कालिगा के 40 से अधिक विधायक हैं।

आयोग ने कुल मौजूदा आरक्षण को 50% से बढ़ाकर 73.5% करने की सिफारिश की थी

लीक रिपोर्ट में सबसे ज्यादा 70% आबादी ओबीसी की बताई गई। मौजूदा आरक्षण 32% से बढ़ाकर 51% करने की सिफारिश थी। इस वर्ग से सिद्धारमैया समेत 5 सीएम रहे हैं।

मुस्लिम 18.08% हैं, जो 2015 में 12.6% थे। आरक्षण 4% से बढ़ाकर 8% करने की सिफारिश की गई। आयोग ने कुल मौजूदा आरक्षण 50% से 73.5% करने की सिफारिश की। ईडब्ल्यूएस की आरक्षण सीमा 10% ही रखी।

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