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कर्नाटक में 101 दोषियों को उम्रकैद: कोप्पल कोर्ट का फैसला, दलितों की झोपड़ियां जलाई थीं; 16 दोषियों की सुनवाई के दौरान मौत


कर्नाटक42 मिनट पहले

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2014 में राज्य की दलित अधिकार समिति ने हिंसा के विरोध में मारकुंबी से बेंगलुरु तक मार्च निकाला था।

कर्नाटक की कोप्पल जिला अदालत ने गुरुवार को एक साथ 101 दोषियों को उम्रकैद का फैसला सुनाया। यह सामूहिक सजा देश में जाति से जुड़े किसी भी मामले में सबसे ज्यादा है।

इन सभी को 28 अगस्त 2014 को गंगावती तालुक के मरकुंबी गांव में जाति आधारित हिंसा के लिए दोषी ठहराया गया था।

हिंसा के दौरान 117 लोगों ने दलितों की झोपडियों में आग लगा दी थी। हालांकि 10 साल चली सुनवाई के दौरान 16 दोषियों की मौत हो गई। जस्टिस चंद्रशेखर सी ने इन पर 2000 से 5000 रुपए का जुर्माना भी लगाया है।

दरअसल, कोप्पल में दलितों को नाई की दुकानों और खाने-पीने की दुकानों में जाने से रोक दिया गया था। इससे पहले दो जाति के गुटों में झड़प हुई। बाद में यह हिंसक हो गई।

हिंसा के दौरान दलितों की झोपड़ियों में आग लगाई गई।

हिंसा के दौरान दलितों की झोपड़ियों में आग लगाई गई।

हिंसा के तीन महीने बाद तक पूरा इलाका पुलिस निगरानी में रहा

हिंसा का असर इतना ज्यादा था कि तीन महीने तक पूरे इलाके को पुलिस की निगरानी में रखना पड़ा। वही पुलिस स्टेशन की घेराबंदी कई दिनों तक चली थी। इस दौरान राज्य की दलित अधिकार समिति ने इसके विरोध में मारकुंबी से बेंगलुरु तक मार्च निकाला था। हिंसा के सभी आरोपी अब बल्लारी सेंट्रल जेल में हैं।

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