बेंगलुरु23 मिनट पहले
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कर्नाटक हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय प्रतीकों और चिन्हों (जैसे तिरंगा, अशोक चक्र, राष्ट्रीय चिह्न आदि) के गलत इस्तेमाल पर रोक लगा दी है।
कोर्ट ने कहा कि इन प्रतीकों का इस्तेमाल केवल वही लोग या संस्थाएं कर सकते हैं जिन्हें इसकी परमिशन दी गई हो। कोई भी ऐसा व्यक्ति जो इसके लिए अधिकृत नहीं है, वह इनका इस्तेमाल नहीं कर सकता। कोई भी इन्हें गलत तरीके से या निजी फायदे के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकेगा।
चीफ जस्टिस एन.वी अंजारिया और जस्टिस एमआई अरुण की बेंच ने इस बात पर जोर दिया कि राष्ट्रीय प्रतीक और राष्ट्रीय चिह्न देश के गौरव, सम्मान और संप्रभुता का प्रतीक हैं।

राष्ट्रीय प्रतीकों का गलत इस्तेमाल करने पर सख्त कार्रवाई हो
हाईकोर्ट ने कहा, यह सच है और दुख की बात है कि कई बार पूर्व सांसद या पूर्व विधायक, जो अब किसी सरकारी पद पर नहीं हैं। लेकिन फिर भी अपने लेटरहेड और गाड़ियों पर सरकारी प्रतीक, झंडा और नाम का इस्तेमाल करते हैं।
हाईकोर्ट ने इसे गलत और निंदनीय बताते हुए कहा कि ऐसे प्रतीकों, मुहरों, झंडों और नामों का गलत इस्तेमाल अलग-अलग जगहों पर हो रहा है, जिसे रोकना जरूरी है। राष्ट्रीय प्रतीकों के गलत इस्तेमाल को रोकने के लिए कुछ कानून बनाए गए हैं, प्रतीक और नाम (अनुचित प्रयोग से रोक) अधिनियम, 1950 और भारत का राज्य प्रतीक अधिनियम, 2005 इन्हें सख्ती से लागू करना होगा।
हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार के बड़े अधिकारियों को यह जिम्मेदारी दी जाए कि वे अपने अधीन काम करने वाले अफसरों को इस बारे में जागरूक करें। इसके लिए उन्हें तरीके और कार्यक्रम तैयार करने होंगे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी व्यक्ति राष्ट्रीय प्रतीकों और चिह्नों का गलत या बिना अनुमति इस्तेमाल न करे। अगर ऐसा गलत इस्तेमाल कहीं भी दिखे, तो उस पर सख्ती से कार्रवाई करते हुए कानून के तहत तत्काल मामला दर्ज किया जाना चाहिए।
स्कूली बच्चे भी राष्ट्रीय प्रतीकों का गलत इस्तेमाल नहीं कर सकते
4 अप्रैल को हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को प्रिंट और विजुअल मीडिया के जरिए एक नोटिस जारी कर आदेश दिया था। इसमें चार हफ्ते के समय में सभी से (जिन्हें अनुमति नहीं है) झंडे, प्रतीक, नाम, चिह्न, स्टिकर, मुहर और लोगो हटाने का आग्रह किया गया था। आदेश में स्कूली बच्चों या कानून के छात्रों को भी राष्ट्रीय प्रतीकों और चिह्नों के गलत इस्तेमाल करने से रोका गया।
हाईकोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों से कहा कि वे ऐसे नियम बनाएं, जिसमें अगर कोई व्यक्ति बिना इजाजत अपनी गाड़ी पर राष्ट्रीय प्रतीक या चिह्न लगाए, तो उसे जुर्माना भरना पड़े या उसका ड्राइविंग लाइसेंस रद्द किया जाए।
कोर्ट ने यह भी कहा कि ट्रैफिक पुलिस को इस बारे में खास ट्रेनिंग दी जाए, ताकि वे इन नियमों का पालन कर सकें और ऐसे मामलों पर नजर रख सकें। अगर उन्हें कोई उल्लंघन दिखे, तो वे तुरंत सख्त कार्रवाई कर सकें।
कोर्ट के सामने आया था एक मामला
इससे पहले एक आपराधिक मामले की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट के एक जज को यह देखने को मिला था कि कुछ निजी लोग और एनजीओ अपनी गाड़ियों पर ‘मानवाधिकार आयोग’ जैसे नामों का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। तब जज ने कहा था कि राष्ट्रीय प्रतीकों और चिह्नों के दुरुपयोग की जांच होनी चाहिए। इसके बाद ही यह याचिका दायर की गई थी।
इस मुद्दे को हल करने के लिए कोर्ट ने कई निर्देश दिए और यह भी कहा कि राष्ट्रीय प्रतीक, चिन्ह और नाम हमारे गौरवशाली इतिहास, संस्कृति, आदर्शों और मूल्यों को दर्शाते हैं। ये हमारे देश की पहचान हैं।