केंद्रीय आठवें वेतन आयोग की घोषणा के साथ मप्र में नए वेतन आयोग की प्रक्रिया शुरू हो गई है। राज्य सरकार की योजना है कि केंद्र की ओर से गठित आयोग के टर्म्स ऑफ रिफरेंस मिलते ही, मध्यप्रदेश में भी वेतन आयोग लागू करने के लिए उच्चस्तरीय कमेटी गठित कर दी जा
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सातवें वेतन आयोग के लागू होने के दौरान, वेतन में 2.11 फिटमेंट फार्मूला के आधार पर 14% तक की वृद्धि हुई थी। इसी तरह, 8वें वेतन आयोग के तहत वर्तमान वेतन की दर 1.5 से बढ़कर 1.6 होने का अनुमान है। इससे 12 लाख कर्मचारियों के वेतन में 40% तक की वृद्धि हो सकती है। इससे सरकार पर 12 हजार करोड़ रुपए तक का अतिरिक्त भार आएगा।
वहीं, महंगाई भत्ता (डीए) 60% तक पहुंच सकता है। वर्तमान में मप्र में कर्मचारियों को मूल वेतन पर 50% डीए मिल रहा है, जबकि केंद्र में यह 53% है। हाल ही में बैंक और बीमा कर्मचारियों के वेतन में भी 40% तक की वृद्धि हुई है, हालांकि यह 12 से 13 लाख कर्मचारियों तक सीमित था।
तब वेतन-भत्तों पर खर्च 1 लाख करोड़ रु. होगा मप्र में वर्तमान में वेतन-भत्तों पर खर्च लगभग 88,581 करोड़ रुपए है, जो बजट का 16.65% है। 8वां वेतन आयोग लागू होने पर यह राशि 1 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच सकती है।
- छठवां वेतन आयोग केंद्र में 1 जनवरी 2006 से लागू हुआ, जबकि मप्र में यह 2008 में लागू हुआ। हालांकि, लाभ 2006 से ही दिया गया।
- 7वां वेतन आयोग केंद्र में 1 जनवरी 2016 से लागू हुआ। मप्र में जुलाई 2017 में लागू हुआ। 18 महीने के एरियर का भुगतान किया गया।
- 8वां वेतन आयोग: केंद्र से सिफारिशें जून-जुलाई 2025 तक मिलने की संभावना है। मप्र में इसे 2028 तक लागू किया जा सकता है। यह चुनावी साल।