कांगड़ा के धर्मशाला में पूर्व प्रधान दंपती को भ्रष्टाचार के मामले में कोर्ट ने दोषी करार दिया है। विशेष न्यायाधीश राजीव बाली की अदालत ने ग्राम पंचायत काठगढ़ की पूर्व प्रधान मन्जू बाला और उसके पति धर्मपाल को दोषी माना है।
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कोर्ट ने धर्मपाल को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 8 और 9 के तहत छह-छह महीने की कैद की सजा सुनाई है। साथ ही प्रत्येक धारा में 5000 रुपए का जुर्माना लगाया है। जुर्माना न भरने पर एक-एक महीने की अतिरिक्त कैद होगी। आईपीसी की धारा 120-बी के तहत यह सजा सुनाई गई है।
मन्जू बाला को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 10 के तहत छह महीने की कैद और 5000 रुपए जुर्माना दिया गया है। धारा 13(2) के तहत एक साल की कैद और 5000 रुपए का जुर्माना लगाया गया है। जुर्माना न भरने पर दो महीने की अतिरिक्त कैद होगी। कोर्ट ने आदेश दिया है कि सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी।
क्या है पूरा मामला यह मामला 2013 का है। बियानपुर, गुरदासपुर के देविंदर सलारिया ने राज्य सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो धर्मशाला में शिकायत दी थी। उन्होंने बताया था कि वह ग्राम पंचायत कथगढ़ के गांव टांडा में अपनी मां की जमीन पर स्टोन क्रशर लगाना चाहते थे। इसके लिए पंचायत से एनओसी की जरूरत थी।
शिकायतकर्ता ने बताया कि इस संबंध में जब उन्होंने तत्कालीन प्रधान मन्जू बाला से संपर्क किया तो उन्होंने अपने पति धरम पाल से मिलने को कहा। धरम पाल ने एनओसी के बदले ₹10 लाख की रिश्वत मांगी और ₹5 लाख अग्रिम रूप से देने को कहा। शिकायत पर कार्रवाई करते हुए निरीक्षक जगदीश चंद के नेतृत्व में विजिलेंस की टीम ने ट्रैप लगाकर 19 अप्रैल 2013 को आरोपी धरम पाल को ₹5 लाख की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया था।
इस मामले में राज्य सतर्कता एवं भ्रष्टाचार ब्यूरो (उत्तर) धर्मशाला के जिला अभियोजन अधिकारी देवेंद्र चौधरी ने बताया कि न्यायालय ने दोनों आरोपियों को दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई है। यह फैसला भ्रष्टाचार के खिलाफ एक सख्त संदेश है और प्रशासनिक व्यवस्था में पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।