भाजपा की तर्ज पर कांग्रेस भी संगठन को मजबूत करने के लिए संगठन सृजन कार्यक्रम की शुरुआत देश में कर चुकी है। जल्द ही छत्तीसगढ़ में भी यह कार्यक्रम जल्द ही शुरू होने वाला है। इसके तहत कांग्रेस के 41 संगठन जिलों में नए अध्यक्ष खोजे जाएंगे।
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इनको खोजने के लिए हर जिले में 5 पर्यवेक्षक भेजे जाएंगे। इसमें एक एआईसीसी का सदस्य होगा, बाकी चार प्रदेश के वरिष्ठ संगठन पदाधिकारी या पूर्व सांसद-विधायक जैसे जनप्रतिनिधि होंगे। ये पांचों सात दिन तक उस जिले में रहकर 6 नाम खोजेंगे। इन नामों को दिल्ली भेजा जाएगा। वहां स्क्रूटनी और पुलिस रिकॉर्ड जैसी गतिविधियों को चेक करने के बाद राहुल गांधी स्वयं एक नाम को चुनेंगे। इस प्रक्रिया की शुरुआत या अंत में राहुल गांधी छत्तीसगढ़ भी आएंगे।
बता दें कि संगठन सृजन कार्यक्रम गुजरात में पूरा हो चुका है। मप्र, उप्र और हरियाणा में यह कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसके बाद राजस्थान, झारखंड में इसकी शुरुआत होने वाली है। वरिष्ठ नेताओं की मानें तो झारखंड के साथ ही छत्तीसगढ़ में भी यह कार्यक्रम शुरू हो सकता है।
चयन के समय बड़े नेताओं को रखा जाएगा दूर
इस बार कांग्रेस पैरवी को चयन में बहुत दूर रखने की तैयारी में है। कांग्रेस ने अंदरूनी खींचतान को खत्म करने के लिए संगठन सृजन कार्यक्रम में हर बड़े नेता काे दूर रखने के लिए कहा है। एसआईसीसी सदस्य को अगर कोई पैरवी करता भी है तो उसे मानना नहीं है, यह समझाकर दिल्ली से भेजा रहा है। चयन में अगर किसी पैरवी की बात सामने आती है तो सभी पर्यवेक्षकों पर कार्रवाई होगी। हाल ही में राहुल गांधी ने भोपाल की एक बैठक में इस बात को कहा भी है कि अगर पर्यवेक्षक पैरवी के चक्कर में पड़े तो उनकी राजनीति मुश्किल में पड़ जाएगी।
आने वाले समय में जिलाध्यक्ष तय करेंगे विधायक-सांसद का टिकट कांग्रेस संगठन को मजबूत करने की शुरुआत जिलाध्यक्षों से करने जा रही है। जो नए जिलाध्यक्ष बनाए जाएंगे उनके पास असीम पावर होगा। विधानसभा और लोकसभा की टिकट वितरण में उनकी भूमिका सबसे अहम होगी। इसके अलावा वे कभी भी राष्ट्रीय मल्लिकार्जुन खरगे, सांसद राहुल गांधी और राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल सहित हर बड़े नेता से वे किसी भी समय मिल सकेंगे। समय-समय पर दिल्ली में उनकी बैठकें भी आयोजित की जाएगी। हर निर्णय को प्रदेश अध्यक्ष को भी अहमियत देनी होगी।
परफार्मेंस खराब होते ही पद से हटा दिए जाएंगे जिलाध्यक्ष संगठन सृजन में तय किया गया है कि नए जिलाध्यक्षों का रिपोर्ट कार्ड बनाया जाएगा। उन्होंने जिले में कितने नए सदस्य जोड़े, विपक्ष के क्या कार्यक्रम किए, बूथ लेवल पर कमेटी बनी या नहीं, पीसीसी के कार्यक्रमों का कितना पालन किया। इस तरह के विषयों पर बने रिपोर्ट कार्ड से ही उनकी परफार्मेंस जांची जाएगी। अगर रिपोर्ट कमजोर होगी तो उन्हें एक-दो बार मौका देने के बाद हटा दिया जाएगा। यही वजह है कि छह नामों में से दो का चयन होगा। हर जिले में अध्यक्ष का विकल्प पहले से ही तैयार रखा जाएगा।
चुनाव लड़ने से दूर रहेंगे सभी नए जिलाध्यक्ष भाजपा की तरह कांग्रेस भी संगठन को सत्ता से अलग करने में जुट गई है। संगठन सृजन कार्यक्रम के तहत जो जिलाध्यक्ष बनेंगे वे चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। नियुक्ति के पहले ही उनसे यह पूछ लिया जाएगा कि उन्हें जिलाध्यक्ष रहते हुए चुनाव का टिकट नहीं मिलेगा। हां, सत्ता आने पर जिलाध्यक्ष बड़ी भूमिका में होंगे। उनका समायोजन भी सत्ता में बड़े पदों पर किया जाएगा।
बड़े पदों पर समायोजन जो भी नए जिलाध्यक्ष बनेंगे वे चुनावी राजनीति से दूर रहेंगे। जो चुनावी राजनीति में होंगे वो पदमुक्त हो जाएंगे। सरकार आएगी तो उनका समायोजन कर बड़े पदों पर सबसे पहले मौका दिया जाएगा। विजय जांगिड़, सह-प्रभारी, छत्तीसगढ़ कांग्रेस
अब नए जिला अध्यक्षों के लिए यह होगी चयन प्रक्रिया पर्यवेक्षकों को दिल्ली से एक डॉकेट मिलेगा। इसमें जिले के सभी वरिष्ठ पदाधिकारियों के नाम नंबर और जिले का नक्शा होगा। जिले के सभी ब्लॉक में जाकर एनएसयूआई से लेकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं से पर्यवेक्षक टीम मिलेगी। नए चेहरों को खोजेगी। जिले में कांग्रेस कितनी मजबूत है और अगर कमजोर है तो उसमें नेतृत्व की क्या भूमिका है, इसकी जानकारी भी जुटाएगी। वर्तमान जिलाध्यक्ष का काम कैसा है और उसका चयन किसी पैरवी पर हुआ था क्या, इस सवाल का जवाब भी खोजेगी। सात दिनों तक घूमने के बाद 6 नाम लाएंगे। इसमें आधे 50 साल से कम उम्र के होंगे और एक महिला का नाम भी होगा।