Tuesday, June 3, 2025
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कालीघाट शक्तिपीठ के थीम पर पूजा पंडाल का निर्माण: पूर्णिया में 109 साल पुरानी बंगाली परंपरा आज भी कायम, 25 लाख रुपए हुए खर्च – Purnia News


पूर्णिया में दुर्गा पूजा को लेकर बंगाल वाली रंगत दिख रही है। 109 साल पुरानी बंगाली परंपरा को कायम रखते हुए षष्टि-सप्तमी पूजा के साथ ही भट्ठा दुर्गाबाड़ी के बंगला मंडप में विराजमान मां दुर्गा के पट लोगों के दर्शन के लिए खोल दिए गए हैं। इस बार पूजा पंड

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पंडाल का बजट 25 लाख का है, जो 80 फीट लंबा और 150 फीट चौड़ा है। मां का सोने के आभूषण से साजो श्रृंगार किया गया है। बुधवार रात पट खुलते ही ऐतिहासिक भट्ठा दुर्गाबाड़ी का बंगला मंडप ढाक के तेज स्वर से गूंज उठा है।

पट खुलते ही मां के दर्शन के लिए उमड़ने का सिलसिला शुरू हो गया।

मां दुर्गा के भव्य रूप के भक्तों ने किए दर्शन

बंगला रीति-रिवाजों के मुताबिक विशेष पूजा अर्चना और महाआरती के बीच लोगों ने मां दुर्गा के भव्य रूप के दर्शन किए। पट खुलते ही दर्शन मात्र के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। भट्ठा दुर्गाबाड़ी पूजा पंडाल सबसे पुराना और प्रमुख पूजा पंडाल में से एक है। ऐसे में यहां मूर्तियों की कारीगरी से लेकर पंडाल की भव्य बनावट और पूजा पद्धति में बंगाली विधि विधान का समागम साफ देखा जा सकता है। पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी भी भट्ठा दुर्गा बाड़ी आ चुके हैं।

प्रसिद्ध भट्ठा दुर्गा बाड़ी के पट देर रात भक्तों के लिए खोल दिए गए।

प्रसिद्ध भट्ठा दुर्गा बाड़ी के पट देर रात भक्तों के लिए खोल दिए गए।

मां की मूर्ति पर बंगाली संस्कृति की छाप देखी जा सकती है। साथ ही पंडाल का लुक इतना भव्य और मोहक है कि यहां पहुंचने वाले श्रद्धालु दर्शन के बाद सेल्फी और फोटोग्राफी से खुद को रोक नहीं पा रहे।

भट्ठा दुर्गा बाड़ी में बंगाली संस्कृति की छाप

बंगाली पाड़ा में स्थित भट्ठा दुर्गा बाड़ी में बंगाली संस्कृति की छाप देखी जा सकती है। पूजा समिति की अध्यक्ष तपोती बनर्जी और सचिव प्रदीप्तो भट्टाचार्य ने बताया कि आजादी काल से भी पहले साल 1916 में भट्ठा दुर्गाबाड़ी में मां दुर्गा की प्रतिमा पहली बार स्थापित की गई थी। इसके बाद ये 109 वां साल है। यहां बंगला रीति रिवाज से षष्टि की रात्रि सप्तमी शुरू होने से पहले मंडप खोला जाता है। पिछली बार पंडाल को बंगाल के मशहूर मयूर टीम पर पंडाल को लाखों खर्च कर डेवलप किया गया था। इससे पहले देश के भक्ति और आस्था के केन्द्र केदारनाथ धाम का लुक दिया गया था। इस बार बंगाल के 30 से अधिक कारीगर ने पूजा पंडाल को प्रसिद्ध कालीघाट शक्ति पीठ की शक्ल दी है। इसका बजट 25 लाख है।

मां के सभी नौ रूप की होती है पूजा

ज्वाइंट सेक्रेटरी सुचित्र कुमार घोष और कार्यकर्ता ज्योति चटर्जी ने बताया कि भट्ठा​​​​​​​ दुर्गा बाड़ी में 109 साल पुरानी परंपरा को कायम रखते हुए वैदिक रीति से मां के सभी नौ रूप की पूजा होती है। पूजन के दौरान अष्टमी को 56 प्रकार के भोग लगाए जाते हैं।

नवमी को महा प्रसाद का वितरण होता है। इस 56 प्रकार के भोग को महाप्रसाद के रूप में मिला दिया जाता है। नवमी को नारायण सेवा के रूप में बैठाकर प्रसाद खिलाया जाता है। शहर के बीचों बीच और सबसे पुराने स्थलों में शुमार होने की वजह से यहां पूजन के दौरान श्रद्धालुओं काफी भीड़ लगती है।

समिति के सदस्यग।

समिति के सदस्यग।

जानकारी देते हुए पुजारी ने बताया कि षष्ठी को बोधन पूजा की जाती है। बोधन का अर्थ मां दुर्गा को जगाना होता है । इस पूजा में बेल के छोटे से पौधे को मां दुर्गा की प्रतिमा के आगे रखा जाता है और फिर उसी की पूजा की जाती है। इसके बाद मन को जगाया जाता है।

सप्तमी को मां अधिवास पूजा के साथ मां को पृथ्वी लोग पर आने को आमंत्रित किया जाता है। आज ही पट खुलने से पहले मां दुर्गा का साजो श्रृंगार किया जाता है। मंत्र के बीच महा आरती की जाती है और मां को आमंत्रित किया जाता है।



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