साईं बाबा की मूर्तियों को मंदिरों में 4 से 10 साल पहले स्थापित कराया गया था। जिन्होंने यह काम कराया, क्या उन्हें नहीं पता था कि आज आस्था-अनास्था में बदल गई, तो मूर्ति हटवाई जा सकती है। क्या ये महाराष्ट्र चुनाव को देखते हुए हो रहा है? ये षड्यंत्र तो न
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यह बात वाराणसी में अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कही। काशी में इन दिनों मंदिरों से साईं बाबा की मूर्ति हटाने पर विवाद खड़ा हो गया है। सनातन रक्षक दल के अध्यक्ष अजय शर्मा ने साईं बाबा की मूर्तियों को देवालयों से निकालना शुरू किया।
शिरडी साईं ट्रस्ट ने महाराष्ट्र सरकार से यूपी सरकार से बात करके इस पर रोक लगाने की मांग की। चौक क्षेत्र स्थित हनुमान मंदिर के पुजारी की तहरीर पर गुरुवार को पुलिस ने अजय शर्मा को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इसके कुछ देर बाद साईं बाबा मंदिर के पदाधिकारियों ने सिगरा थाने में एक और केस दर्ज कराया।
काशी में शिव और गणेश मंदिरों से साईं बाबा की मूर्ति हटाई गई।
दैनिक भास्कर ने मंदिरों के पुजारी, नेता और आमजन से साईं बाबा को लेकर उनकी राय जानी। पढ़िए पूरी रिपोर्ट…
सबसे पहले जानिए काशी के मंदिरों के महंतों ने क्या कहा
हमारे सनातन धर्म या पौराणिक ग्रंथों में उल्लेख नहीं माता विशालाक्षी देवी मंदिर के महंत राजनाथ तिवारी ने कहा- हमारे सनातन धर्म या किसी भी पौराणिक ग्रन्थ में साईं बाबा का उल्लेख नहीं है। वो एक साईं फकीर हो सकते हैं पर भगवान नहीं। अजय शर्मा ठीक कर रहे थे। साईं बाबा की मूर्ति देवालयों में नहीं होनी चाहिए।

यह शास्त्र सम्मत नहीं राजनाथ तिवारी ने कहा- साईं बाबा का मंदिर बनाइए या उन्हें घर में स्थापित करके आप पूजा कीजिए। मुझे उन मंदिरों के महंतों पर दुःख हो रहा है जिन्होंने साईं बाबा की मूर्ति के लिए देवालयों में स्थान दिया। यह शास्त्र सम्मत नहीं है।
महंतों से आग्रह हटवा लें मूर्तियां मंगला गौरी मंदिर के पुजारी नरेंद्र कुमार पांडेय ने कहा- काशी खंड में सनातन मंदिर और परंपरागत मंदिर हैं, जहां पर भगवान शंकर स्वयं प्रकट हुए। साईं भगवान नहीं हैं। हमारे यहां पंचदेव पूजन का विधान है। उनकी प्राण प्रतिष्ठा होती है। साईं बाबा के मंदिर में किस प्रकार से प्राण प्रतिष्ठा हुई कि हमारे मंदिरों में पूजा हो रही है। हमारे मंदिरों के महंतों से आग्रह है कि उस प्रतिमा को वहां से हटा दें।

अलग से बनाएं साईं बाबा का मंदिर पुजारी नरेंद्र कुमार ने कहा- उनसे हमारा कोई विरोध नहीं है। वो भव्य मंदिर बनाएं और उसमें भव्य मूर्ति की स्थापना करवाएं, लेकिन साईं बाबा मंदिर का निर्माण मंदिर के कैम्पस में नहीं हो सकता। यहां सनातन का विरोध है।
विरोध में उतरे स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती और अन्य …
किसी के अपमान का अधिकारी नहीं देता शास्त्र अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा- हमें किसी का अपमान करने का अधिकार नहीं है। इन मूर्तियों को मंदिरों में चार से 10 साल पहले जिन्होंने रखवाया, क्या उन्हें नहीं पता था। आज आस्था अनास्था में बदल गई, तो उसे हटवाया जा रहा है। ये महाराष्ट्र चुनाव को देखते हुए षड्यंत्र तो नहीं है।

मूर्तियां हटाने का विरोध हम साईं को भगवान नहीं मानते पर वो एक सम्प्रदाय की आस्था का केंद्र हैं। गुरु हैं तो उन्हें इस तरह फेंकना निंदनीय है। वो संत हैं और किसी भी संत के साथ ऐसा करना अपमान है। ऐसे में अखिल भारतीय संत समिति इसका विरोध करती है।
सनातन रक्षक दल का यह कृत्य निंदनीय समाजवादी पार्टी लोहिया प्रकोष्ठ के जिला उपाध्यक्ष संदीप मिश्रा ने कहा- कुछ असामाजिक तत्व हैं। जो ऐसी हरकतें कर रहे हैं। जबकि साईं बाबा ने हमेशा सच बोलने को कहा। साईं बाबा ने हमेशा कहा- सबका मालिक है। कभी भी किसी का प्रचार नहीं किया। सारे धार्मिक लोग उनके सामने हाथ जोड़ते हैं।
अब जानते हैं दारानगर साईं मंदिर के पुजारी ने क्या कहा…
दारानगर स्थित साईं मंदिर के पुजारी और भक्तों ने कहा- मंदिर से मूर्तियां हटाना गलत है।

मंदिरों से हटाना गलत मंदिर के पुजारी संदीप कुमार शोभित ने कहा – यह साईं मंदिर 15 साल पुराना है। पहले बहुत लोग आते थे, लेकिन विरोध के चलते भक्तों की संख्या घटी है। साईं बाबा का मंदिर जैसे यहां है, वैसे ही बनना चाहिए। मंदिरों में उनकी मूर्ति नहीं होनी चाहिए। वहीं साईं बाबा के भक्त मकुन्द लाल गुप्ता ने कहा- साईं बाबा की मूर्तियां हटाना गलत है। जहां स्थापना हुई है, वहां मूर्ति होनी चाहिए।
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