Friday, March 28, 2025
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कुंडली का यह योग पति पत्नी को बना देता है जानी दुश्मन, ग्रह करते हैं ऐसा खेल, कत्ल से होता है रिश्ते का अंत!


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Kundali Dosh: कुंडली का सप्तम भाव लड़का-लड़की दोनों के लिए विवाह का भाव होता है. इस भाव में अगर शुभ ग्रह विराजमान होते हैं, तब वैवाहिक जीवन सुखमय होता है. वहीं अगर इस भाव में क्रूर ग्रह या फिर पाप ग्रह आ जाएं य…और पढ़ें

कुंडली का यह योग पति पत्नी को बना देता है जानी दुश्मन

हाइलाइट्स

  • कुंडली का सप्तम भाव विवाह का भाव होता है.
  • अशुभ ग्रहों से वैवाहिक जीवन में समस्याएं आती हैं.
  • सप्तम भाव में क्रूर ग्रह होने से कलह और अलगाव होता है.

हंसते खेलते शादीशुदा जीवन में अचानक से ऐसी स्थितियां बन जाती हैं कि बसा बसाया परिवार उजड़ जाता है. जो कभी एक दूसके के बिना रह नहीं पाते थे, उनके बीच नकारात्मक ऊर्जा आने से दोनों के बीच मनमुटाव होने लगते हैं और मामले को जब तक समझ पाते हैं, तब तब स्थितयां बद से बदतर हो जाती हैं. कभी कभी तो दोनों एक दूसरे के लिए जान के दुश्मन भी बन जाते हैं. वैवाहिक जीवन में ऐसी स्थितियों के लिए कुंडली में मौजूद ग्रह दोष जिम्मेदार हो सकते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंडली में 12 भाव, 12 राशियां और 27 नक्षत्रों के आधार पर ही जीवन में घटनाओं का अनुमान लगाया जाता है. आइए ज्योतिष शास्त्र के माध्यम से जानते हैं कुंडली में किस तरह के योग होने पर पति पत्नी एक दूसरे के दुश्मन बन जाते हैं…

विवाह का भाव है सप्तम भाव
विवाह जीवन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है और कुंडली का सप्तम भाव विवाह का भाव होता है, जिसे वैवाहिक जीवन और जीवनसाथी से संबंधित माना जाता है. वहीं पांचवा भाव आपसी प्रेम संबंध को दर्शाता है. कुंडली के सप्तम भाव के स्वामी शुक्र ग्रह और राशि तुला है. अगर इस भाव में शुभ ग्रह विराजमान हैं तो विवाह में कोई परेशानी नहीं होती और पति पत्नी के बीच संबंध मजबूत होते हैं. वहीं सप्तम भाव में अगर अशुभ ग्रह आ जाएं तो विवाह में कई तरह की परेशानी का सामना करना पड़ सकता है और बात तलाक तक पहुंच सकती है.

वैवाहिक जीवन में आती हैं परेशानियां
लड़की की कुंडली में पति का कारक सप्तम भाव और शुक्र ग्रह होते हैं और लड़के की कुंडली में पत्नी का कारक शुक्र ग्रह और सप्तम भाव को माना जाता है. इस भाव से अगर पाप ग्रह या क्रूर ग्रह गुजरने लगते हैं तब उनकी दृष्टि लग्न भाव से सातवीं दृष्टि और पूर्ण दृष्टि पड़ती है, तब विवाह में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. उदाहरण के तौर पर सप्तम भाव में अगर शनि विराजमान हो जाते हैं तब शनि की सप्तम दृष्टि जब कर्क लग्न पर पड़ती है तब वह अच्छी नहीं मानी जाती. वैसे ही सप्तम भाव में अगर राहु आ जाए और मिथुन लग्न की कुंडली हो तब वह अशुभ प्रभाव छोड़ता है. वहीं अगर सप्तम भाव में मंगल ग्रह आ जाएं तब कुंडली मकर, मिथुन, वृषभ या कुंभ लग्न की हो तब भी वैवाहिक जीवन में परेशानियां आने लगती हैं.

पति की अकाल मृत्यु का योग
ग्रहों में चंद्रमा की स्थिति शुभदायक होती है लेकिन चंद्रमा ढाई दिन के लिए गोचर करते हैं और राहु, शनि पृथककारी ग्रह की दृष्टि हो तो वैवाहिक जीवन की शुरुआत बहुत अच्छी होती है लेकिन धीरे धीरे रिश्तों में कड़वाहट आना शुरू हो जाता है और फिर मामला जानी दुश्मन तक बन जाता है. अगर लड़की की कुंडली के लग्न और सप्तम भाव में पाप ग्रह विराजमान हों तो पति की मृत्यु विवाह के सात वर्ष बाद ही हो जाती है. अगर लड़की की कुंडली में अष्टम भाव में अगर सूर्य विराजमान हैं तो यह योग पति की अकाल मृत्यु को दर्शाता है.

कुंडली में ऐसी स्थिति पर शुरू होती है कलह
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अगर सप्तमेश 6वें, 8वें या 12वें घर में स्थित हो या सप्तमेश पंचम भाव में स्थित हो तो पति-पत्नी के बीच कलह शुरू होने लग जाती है. वहीं कुंडली के सप्तम भाव में क्रूर ग्रह जैसे शनि, मंगल, राहु-केतु या फिर सूर्य ग्रह की पूर्ण दृष्टि हों या फिर सप्तम भाव में इन ग्रहों में से किसी की युति बन रही हो तो पति-पत्नी के बीच कलह शुरू हो जाती है.

कुंडली में ऐसी स्थिति होने पर बनती है अलगाव की स्थिति
ज्योतिष नियमों के अनुसार, कुंडली में शुक्र एक से अधिक विवाह के कारक माने जाते हैं. सप्तम और अष्टमी के स्वामी अगर कमजोर होकर केंद्र में आ जाएं या फिर लड़की की कुंडली में सप्तम और सप्तमेश का संबंध सूर्य, राहु और मंगल से हो जाए तो लड़की को पति से अलगाव का सामना करना पड़ सकता है. अगर कुंडली के सप्तम भाव के स्वामी अष्टम भाव मे हों और अष्टम भाव के स्वामी सप्तम भाव में मौजूद हों तो ऐसी स्थिति में महिला के पति की मृत्यु विवाह के कुछ महीनों बाद ही होने की आशंका बनी रहती है.

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कुंडली का यह योग पति-पत्नी को बना देता है दुश्मन, भयानक होता है रिश्ते का अंत



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