राजा रघुवंशी के मर्डर केस में एक बात जो सभी की नजरों में आई है, वह है मांगलिक दोष. भारतीय वैदिक ज्योतिष में मांगलिक दोष यानी मंगल दोष को विवाह से पहले कुंडली मिलान का एक अत्यंत महत्वपूर्ण कारक माना गया है. अगर कुंडली में मांगलिक दोष होता है तो उस व्यक्ति का विवाह ऐसे ही व्यक्ति के साथ हो सकता है, जिसकी कुंडली में भी मांगलिक दोष हो. बहुत से लोग शादी से पहले मांगलिक दोष के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए कई तरह के उपाय करते हैं, जैसे पेड़ से शादी करना या कुत्ते से शादी करना आदि. माना जाता है कि इन उपायों से मांगलिक दोष की वजह से होने वाला नुकसान खत्म हो जाता है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ग्रहों की कौन सी ऐसी स्थिति बनती है, जिससे मांगलिक दोष बनता है.
शादी से पहले लड़के और लड़की की कुंडली का मिलान किया जाता है और पता लगाया जाता है कि दोनों के बीच कितने गुण मिल रहे हैं और कुंडली में कोई दोष तो नहीं है और सातवां भाव कैसा है. साथ ही दोनों की कुंडलियों को देखकर यह भी पता लगाया जाता है कि विवाह का शुभ समय कौन सा रहेगा. विवाह के समय को स्पष्ट रूप से जानने के लिए उसका सटीक पूर्वानुमान लगाने के लिए कुछ विशेष तरीके और स्थितियों को समझना पड़ता है.
7वां भाव सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण
कुंडली में सातवां भाव बेहद महत्वपूर्ण होता है और यह भाव विवाह, जीवनसाथी, पार्टनरशिप और रिलेशन से संबंधित होता है. जब विवाह के लिए लड़के और लड़की की कुंडली देखी जाती है, तब सातवें भाव, सप्तमेश और इस बाव में स्थिति ग्रहों की भूमिका को देखा जाता है. सातवें भाव में मजबूत और शुभ ग्रहों की उपस्थिति विवाह को सफल और सुखमय बनाने का काम करती है. वहीं अगर सातवां भाव में क्रूर ग्रह हों या अशुभ ग्रहों की दष्टि हो तो कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है और वैवाहिक जीवन में भी चुनौतियां बनी रहती हैं.
लड़का व लड़की की शादी में गुण, सातवां भाव और दोष के अलावा मैत्री ग्रह भी देखे जाता हैं. जैसे कि अगर लड़का या लड़की में 28 गुण पाए जाते हैं लेकिन मैत्री ग्रह केवल दो हैं तो ऐसी स्थिति में विवाह नहीं होता. वहीं अगर लड़का या लड़की में 18 गुण मिल रहे हों लेकिन 5 मैत्री ग्रह मिल रहे हों, तब आसानी से विवाह हो सकता है. दोनों की कुंडली में जितने ग्रह मैत्री यानी मित्रवत संबंध रखते होंगे, उनका विवाह उतना ही सुखमय और प्रभावशाली होगा.
किस तरह बनता है मांगलिक दोष
लड़का और लड़की की कुंडली में गुण के साथ दोष भी देखे जाते हैं और विवाह से संबंधित सबसे प्रचलित दोष में मांगलिक दोष का नाम सबसे ऊपर आता है. कुंडली में जब मंगल ग्रह पहले (लग्न), दूसरे, (धन भाव), चौथे (सुख भाव), सातवें (विवाह भाव), आठवें (मृत्यु/संतान/ससुराल भाव) और 12वें (व्यय/शयन भाव) भाव में मौजूद होते हैं तब मांगलिक दोष बनता है. कुंडली में अगर मांगलिक दोष होता है तो विवाह में देरी, वैवाहिक सुख में कमी और जीवन पर भी संकट आने का खतरा बना रहता है.
मांगलिक दोष को अशुभ माना जाता है क्योंकि मंगल ग्रह को आक्रामक, अग्नि तत्व, युद्ध और दुर्घटना से जुड़ा हुआ ग्रह माना गया है. मान्यता है कि मांगलिक व्यक्ति का विवाह कमजोर या अमांगलिक साथी से हो जाए तो वैवाहिक जीवन में तनाव, विवाद, स्वास्थ्य समस्या, यहां तक कि जीवन संकट तक हो सकता है. अगर एक व्यक्ति मांगलिक है तो उसे दूसरा भी मांगलिक ही होना चाहिए ताकि दोनों की ऊर्जाएं संतुलित हो सकें. इसे मांगलिक दोष की शांति या दो मांगलिकों का मिलान कहते हैं. मांगलिक दोष भी दो प्रकार के होते हैं, पहला पूर्ण मांगलिक दोष और दूसरा आंशिक मांगलिक दोष. कुंडली में जब मंगल ग्रह अपनी उच्च शक्ति में विराजमान हो और अशुभ भाव में बैठा हों, तब पूर्ण मांगलिक दोष होता है. वहीं जब मंगल ग्रह किसी शुभ ग्रह की दृष्टि में हो या नीच का हों तब आंशिक मांगलिक दोष बनता है.
मांगलिक दोष के शास्त्रीय उपाय
– हनुमानजी की पूजा अर्चना करें और ॐ हं हनुमते नमः मंत्र का 11,000 बार जप करें. साथ ही मंगलवार का व्रत रखें और हनुमानजी को चोला, सिंदूर और लड्डू चढ़ाएं.
– मांगलिक कन्या का पहले कुंभ (घड़ा), शालिग्राम विवाह या पीपल वृक्ष से विवाह कराकर दोष शमन किया जाता है. कई ज्योतिषाचार्य पहले प्रतीकात्मक विवाह जैसे पेड़ या मूर्ति से कराते हैं.
– मंगलवार को ब्राह्मणों या गरीबों को मसूर दाल व गुड़ का भोजन कराएं. साथ ही मंगल ग्रह से संबंधित चीजें जैसे लाल वस्त्र, तांबा, मूंगा दान करें.
– गायत्री मंत्र, नवग्रह मंत्र और मंगल बीज मंत्र का जप करें.