दरभंगा में LNMU और कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय से नियम विरुद्ध पीएचडी कर रहे शोधार्थियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू होगी। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के रेगुलेशन 2016 का पालन और नियम विरुद्ध पीएचडी में नामांकित शोधार्थी को चिह्नित करने को ले
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रविवार को LNMU के कुलपति प्रोफेसर संजय कुमार चौधरी ने बताया कि शोधार्थियों की 75 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य है। हर हाल में सभी को यूजीसी के रेगुलेशन का पालन करना होगा। इसमें कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
वहीं, कई विश्वविद्यालय में सैकड़ों नौकरी पेशा के साथ अवैध रूप से पीएचडी में नामांकित शोधार्थी को चिह्नित भी किया गया है। यहां शोधार्थी केवल नामांकन और शोध प्रबंध जमा करने ही आते हैं।
KSDSU, दरभंगा।
विश्वविद्यालय के अधीन विभिन्न विषय के शोधार्थियों ने कहा कि यूजीसी के रेगुलेशन अनुसार नियमित माह में पीएचडी करने के लिए सभी अभ्यर्थी को पीएचडी के पूर्ण अवधि में संबंधित विश्वविद्यालय विभाग में उपस्थिति दर्ज करना है। विश्वविद्यालय के प्रोवेशन अवधि पूर्ण कर चुके शिक्षक और पांच साल से अधिक समय से नियमित पद पर कार्यरत कर्मी को भी कोर्स वर्क की अवधि में अवैतनिक अवकाश पर रहकर कोर्स वर्क करना होता है। इसके बाद भी संबंधित विश्वविद्यालय विभाग में प्रतिनियुक्त कर दिए गए हैं।
30 दिन के निजी कार्य के लिए अवकाश दिया जाता
पीएचडी के पूर्ण अवधि में सभी नामांकित शोधार्थी को छह माह में अधिकतम 15 दिन और एक वर्ष में अधिकतम 30 दिन के निजी कार्य के लिए अवकाश दिया जाता है। शोध संबंधित आंकड़ा संग्रह करने के लिए नामांकन के एक वर्ष के बाद कुलपति से अवकाश लेना होता है। जबकि सैकड़ों शोधार्थी विभागों में नामांकन लेने के बाद वर्ग में उपस्थिति दर्ज नहीं करते हैं।
विश्वविद्यालय में अब तक अवैध रूप से पीएचडी करने वालों में सरकारी या गैर सरकारी संस्थान में नौकरी करने वाले एवं अन्य कोर्स भी साथ-साथ करनेवाले शामिल है। नियमानुसार सभी नामांकित शोधार्थी को पीएचडी के पूर्ण अवधि में संबंधित विश्वविद्यालय विभागों में प्रत्येक दिन कम से कम पांच घंटे उपस्थित लेकर शोधकार्य करना होता है। जबकि कोर्स वर्क की अवधि में भी शोधार्थी का उपस्थिति दो तीन घंटे ही देखा गया है।