बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की ओर से आयोजित मैट्रिक की परीक्षा में 481 नंबर लाकर राज्य स्तर पर 9वां रैंक और जिला टॉपर कृतिका कुमारी आईएएस अधिकारी बनना चाहती है। आईएएस अधिकारी बनकर वह देश और समाज के विकास के लिए नीति निर्धारण करना चाहती है, जिससे कि
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बेगूसराय के मंझौल पंचायत-चार स्थित सिउरी गांव निवासी किरण ज्योति और कृष्ण मुरारी शर्मा की बेटी कृतिका को 9वां स्थान मिला तो पिता कृष्ण मुरारी शर्मा और मां किरण ज्योति खुशी से झूम उठे।
कृतिका का परिवार।
वेरिफिकेशन के लिए पटना बुलाया गया
एक्स आर्मी मैन दादा राजू शर्मा भी खुशी से फूलों नहीं समा रहे। कृतिका अच्छे तरीके से पढ़ाई करती थी, खूब मन लगाकर पढ़ती थी, लेकिन उसने यह नहीं सोचा था कि राज्य स्तर पर स्थान मिलेगा और जिला टॉपर बन जाएगी। उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालय सिउरी की छात्रा कृतिका को कॉपी जांच में जब अच्छा नंबर मिला तो वेरिफिकेशन के लिए पटना बुलाया गया। पटना बोर्ड ऑफिस में सभी सब्जेक्ट के एक्सपर्ट की टीम थी। सभी ने अपने-अपने सब्जेक्ट के संबंध में पूछा।
कृतिका ने कहा कि परीक्षा में जो लिखे थे, उससे लिखवाया गया। अनुच्छेद और पैराग्राफ लिखवाया गया, फिर साइंस, एसएसटी और मैथ्स में क्वेश्चन बनाने के लिए दिया गया। करीब 40 मिनट का इंटरव्यू था, इसमें लिखने के बाद सब्जेक्ट से हटकर पूछा गया था। हिंदी बुक का नाम और उसका अर्थ, संस्कृत बुक का नाम, उसका अर्थ और क्या फोटो बना हुआ है, यह पूछा गया।

परिजनों के साथ कृतिका।
सबसे अच्छा विषय साइंस लगता
हिंदी बुक का नाम गोधूलि है, जिसका अर्थ है शाम की वह बेला जब सूर्यास्त होता है और आसमान पूरा लाल हो जाता है। हमने अपने नाम कृतिका के संबंध में कहा था कि नक्षत्र के नाम पर है। मैं स्कूल के अलावा घर में 4 से 5 घंटा पढ़ती थी, सुबह 6:00 बजे सो कर उठ जाती थी। फिर नृत्य क्रिया के बाद स्टडी करती थी, सबसे अच्छा सब्जेक्ट एसएसटी और साइंस लगता है।
साइंस स्ट्रीम लेकर इंटर करूंगी और आगे आईएएस बनना है। क्योंकि IAS देश की सेवा अच्छी तरीके से करते हैं। वह नीति निर्धारण करते हैं। इसमें मुझे सबसे अच्छा लगता है कि सभी सेक्टर के लिए नियम कानून बनाते हैं देश सेवा के लिए जो भी काम होता है, उसकी जिम्मेदारी इन्हीं के ऊपर होती है। सबसे पहले गांव की शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाना है। गांव की स्वास्थ्य व्यवस्था को सुदृढ़ करना है।
फॉर्मूला लिख कर रखना काफी काम आया
मंझौल में लंबे समय से टॉपर नहीं बने थे, हमने अच्छा किया है, यह काफी खुशी है। मैथ का फॉर्मूला और साइंस का फॉर्मूला लिख कर रखना काफी काम आया। जिससे जब जरूरत पड़ती थी तुरंत निकाल कर पढ़ लेते थे, याद ही हो गया था।
मां किरण ज्योति ने कहा कि बेटी ने पूरे राज्य में नौवां स्थान लाया है, कितनी अधिक खुशी हो रही है, यह बता नहीं सकती। वह पढ़ाई के प्रति बहुत सजग रहा करती थी, खुद से तैयार होकर कोचिंग चली जाती थी। वहां से आकर स्कूल जाती थी, फिर शाम में हमारे काम में हाथ बांटने के बाद सेल्फ स्टडी कंटिन्यू करती थी।