मुंबई11 मिनट पहले
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बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा- ये संविधान के अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 19 का उल्लंघन करता है।
केंद्र सरकार फैक्ट चेक यूनिट नहीं बना सकेगी। बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को IT एक्ट में किए गए संशोधन को असंवैधानिक बताते हुए इसे रद्द करने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि IT एक्ट में संशोधन जनता के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
दरअसल, केंद्र सरकार ने 2023 में IT नियमों में संशोधन किया था। सरकार इसके जरिए सोशल मीडिया और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर झूठी या फर्जी खबरों की पहचान करने के लिए फैक्ट चेक यूनिट (FCU) बना सकती थी।
बॉम्बे हाईकोर्ट के टाईब्रेकर जज ने सुनाया फैसला जनवरी 2024 में डिवीजन बेंच द्वारा दिए गए स्प्लिट फैसले के बाद मामला टाईब्रेकर जज जस्टिस एएस चंदुरकर के पास भेजा गया था। जस्टिस चंदुरकर ने कहा, ‘मेरा मानना है कि ये संविधान के अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 19 का उल्लंघन करता है।’
जस्टिस चंदुरकर ने कहा-

मैंने मामले पर विस्तार से विचार किया है। विवादित नियम भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), 19 (भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) और 19(1)(जी) (व्यवसाय की स्वतंत्रता और अधिकार) का उल्लंघन करते हैं।
कॉमेडियन कुणाल कामरा और एडिटर्स गिल्ड ने लगाई याचिका IT नियमों में संशोधन के खिलाफ कॉमेडियन कुणाल कामरा, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन और एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजीन ने सबसे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
इसमें कहा गया था कि ये नियम असंवैधानिक और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं। एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने ये भी कहा था कि फेक न्यूज तय करने की शक्तियां पूरी तरह से सरकार के हाथ में होना प्रेस की आजादी के विरोध में है।
21 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने फैक्ट चेक यूनिट बनाने पर रोक लगाई केंद्र सरकार ने 20 मार्च 2024 को फैक्ट चेक यूनिट बनाने का नोटिफिकेशन जारी किया था। 21 मार्च को इस नोटिफिकेशन पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी। ये रोक तब तक के लिए लगाई थी, जब तक बॉम्बे हाईकोर्ट इस मामले में दायर याचिकाओं पर सुनवाई ना कर ले। कोर्ट ने कहा था कि ये अभिव्यक्ति की आजादी का मामला है।
20 मार्च को केंद्र सरकार ने फैक्ट चेक यूनिट बनाने का नोटिफिकेशन जारी किया केंद्र सरकार ने 20 मार्च को अधिसूचना जारी की थी। इसमें कहा गया था कि फैक्ट चेक यूनिट सरकार की तरफ से फैक्ट चेक करने का काम करेगी। जिसमें वो फेसबुक, X या इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स में किसी जानकारी को फेक या गलत बता सकती है।
जिसके बाद ये प्लेटफॉर्म्स उस कंटेंट या पोस्ट को हटाने के लिए कानूनी रूप से बाध्य होंगे। साथ ही इंटरनेट से उसका URL भी ब्लॉक करना होगा। इससे पहले, केंद्र सरकार ने कहा था कि मामले की सुनवाई पूरी होने तक वो फैक्ट चेक यूनिट की अधिसूचना जारी नहीं करेगी।
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SC ने PIB की फैक्ट चेक यूनिट पर रोक लगाई:कहा- ये अभिव्यक्ति की आजादी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने 21 मार्च को प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) के अंतर्गत फैक्ट चेक यूनिट (FCU) का गठन करने वाली केंद्र सरकार की अधिसूचना पर रोक लगाई थी। केंद्र ने एक दिन पहले बुधवार यानी 20 मार्च को ही आईटी यानी सूचना प्रौद्योगिकी नियमों के तहत फैक्ट चेक यूनिट को नोटिफाई किया था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ‘यह यूनिट अभिव्यक्ति की आजादी के खिलाफ है।’ यह फैक्ट चेक यूनिट केंद्र सरकार के बारे में सोशल मीडिया में वायरल हो रही फर्जी सूचनाओं और पोस्ट की पहचान करने के साथ उसे प्रतिबंधित करने के लिए बनाई जानी थी। पूरी खबर पढ़ें…