कोंडागांव के नक्सल प्रभावित क्षेत्र से निकली दो बहनों ने खेल के क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। 17 वर्षीय रंजीता ने खेलो इंडिया के जूडो मुकाबले में 52 किलोग्राम वर्ग में स्वर्ण पदक जीता है। उनकी बहन तीरंदाजी में अपना कौशल निखार रही हैं।
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रंजीता का सफर कोंडागांव के बालिका गृह से शुरू हुआ। यहां कोच नारायण सोरेन उदय सिंह और जयप्रकाश के मार्गदर्शन में उन्होंने खेलों में रुचि विकसित की। शुरुआत में दौड़ से जुड़ीं, फिर तीरंदाजी की ओर रुख किया और अंत में जूडो में अपनी प्रतिभा पहचानी।
रंजीता की बहन तीरंदाजी में अपना कौशल निखार रही हैं।
2021 में राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में पांचवीं रैंक हासिल करने के बाद उनका चयन भोपाल स्थित भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) में हो गया। वर्तमान में वे नौवीं कक्षा की पढ़ाई के साथ-साथ जूडो की ट्रेनिंग भी ले रही हैं।
रंजीता की कहानी संघर्ष से भरी है। पिता की मृत्यु के बाद परिवार की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई। मां ने दूसरी शादी कर ली और बालिका गृह ने रंजीता को नया जीवन दिया। अब उनका लक्ष्य ओलंपिक में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीतना है।
छत्तीसगढ़ राज्य बाल कल्याण परिषद के प्रिंसिपल मणि शर्मा के अनुसार, रंजीता ने आठवीं तक की पढ़ाई यहां पूरी की। अब वह भोपाल में आगे की पढ़ाई के साथ जूडो में अपना कौशल निखार रही हैं। दोनों बहनों की सफलता अन्य युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन गई है।