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कोटा में 16 साल के स्टूडेंट ने सुसाइड किया: 10वीं में कम नंबर आने से परेशान था; 5 महीने में 16 स्टूडेंट आत्महत्या कर चुके हैं


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25 मिनट पहलेलेखक: उत्कर्षा त्यागी

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बुधवार को पुलिस ने बताया कि राजस्थान के कोटा में एक स्टूडेंट ने 10वीं बोर्ड का रिजल्ट आने के बाद सुसाइड कर लिया।

सुसाइड करने वाला छात्र अनिकेश बिहार के जेहानाबाद का रहने वाला था। मंगलवार शाम को उसने कोटा में अपने PG के कमरे में फांसी लगा ली। दरअसल, मंगलवार को CBSE बोर्ड ने 10वीं-12वीं का रिजल्ट जारी किया था। इसमें अनिकेश को 10वीं में 61% मार्क्स हासिल हुए थे जो उसकी उम्मीद से बेहद कम थे।

मां के साथ कोटा में रहता था

अनिकेश कोटा में अपनी मां के साथ पढ़ाई के लिए रहता था। हालांकि, शहर के किसी कोचिंग सेंटर में उसने एडमिशन नहीं लिया हुआ था। रिजल्ट आने के बाद उसकी मां ने उसे काफी समझाया। इसके बाद वो किसी काम से मार्केट चली गईं और इसी वक्त अनिकेश ने सुसाइड कर लिया। अनिकेश को मंगलवार शाम तुरंत अस्पताल लेकर जाया गया। ट्रीटमेंट के दौरान बुधवार सुबह उसकी मौत हो गई।

2024 में 17 स्टूडेंट सुसाइड, 2023 में 26 हुए थे

बात पिछले सालों की करें, तो साल 2024 में कोटा में रहने वाले 17 स्टूडेंट्स ने सुसाइड किया था। पिछले साल जनवरी के महीने में 2 और फरवरी के महीने में 3 सुसाइड हुए थे। वहीं साल 2023 में कोटा में स्टूडेंट सुसाइड के कुल 26 मामले सामने आए थे।

‘बच्चों को फेलियर हैंडल करना सिखाते ही नहीं’

MP सुसाइड प्रिवेंशन टास्क फोर्स के मेंबर और साइकेट्रिस्ट डॉ सत्यकांत त्रिवेदी ने कोटा में हो रहे स्टूडेंट सुसाइड को लेकर कहा, ‘किसी भी आत्महत्या का कोई एक कारण नहीं होता। वही एग्जाम सभी बच्चे दे रहे होते हैं। ऐसे में सुसाइड के लिए मिले-जुले फैक्टर्स जिम्मेदार होते हैं। इसमें जेनेटिक्स कारण, सामाजिक कारण, पियर प्रेशर, माता-पिता के एक्सपेक्टेशन्स, शिक्षा तंत्र सब शामिल है।’

डॉ त्रिवेदी कहते हैं कि कहीं न कहीं हम बच्चों को ये सिखाने में नाकामयाब हो जाते हैं कि स्ट्रेस, रिजेक्शन या फेलियर से कैसे डील करना है। आज बच्चा ये मानने लगा है कि उसका एकेडमिक अचीवमेंट उसके एग्जिस्टेंस से भी बड़ा है। बच्चा तैयारी छोड़ने के लिए तैयार नहीं है, जीवन छोड़ने के लिए तैयार है। सोसायटी ने प्रतियोगी परीक्षाओं को बहुत ज्यादा महिमामंडित कर दिया है जिसकी वजह से बच्चा ये महसूस करता है कि मैं पूर्ण तभी हो सकूंगा जब कोई एग्जाम क्रैक कर लूंगा।

कोई एग्जाम 14-16 लाख स्टूडेंट्स दे रहे हैं लेकिन सीट्स सिर्फ कुछ हजार हैं। ऐसे में सब जानते हैं कि इसमें सिलेक्शन ना होने वाले बच्चों का नंबर ज्यादा रहेगा। लेकिन फेलियर से डील करने के लिए बच्चों को कोई तैयार करता ही नहीं है। बाल सभा में मोटीवेशन लेक्चर लगा देने से, काउंसलर लगा देने से, कोई मूवी दिखा देने से कुछ नहीं होगा। पूरे सिस्टम पर काम करना होगा।

कॉपीकैट इफेक्ट के चलते बढ़ जाते हैं सुसाइड

डॉ त्रिवेदी ने लगातार होती सुसाइड के पीछे एक वजह बर्थर इफेक्ट को भी कहा। इसका मतलब है कॉपीकैट सुसाइड। इसमें एक पर्टिकुलर कॉज की वजह से किसी का सुसाइड ग्लोरिफाई किया जाता है। उसी कॉज को झेल रहे दूसरे लोग भी प्रभावित होकर सुसाइड कर सकते हैं।

वो कहते हैं कि यही वजह है कि सुसाइड का प्रचार-प्रसार बहुत संवेदनशीलता के साथ होना चाहिए। जैसे हम हेडिंग में लिखते हैं- वो रोता रहा, किसी ने एक न सुनी, पढ़ाई के प्रेशर में आकर बच्चे की गई जान….। इसमें बच्चे को हमने पीछे कर दिया और पढ़ाई के प्रेशर को आगे। ऐसे में पढ़ाई का प्रेशर झेल रहे बच्चे को लगेगा कि वाह ये तो अच्छा बचाव है। इस वजह से बच्चे में सुसाइड का विचार आ सकता है।

2024 में कोचिंग सेंटर्स के लिए गाइडलाइंस, पर नही रुके सुसाइड

स्टूडेंट्स की आत्महत्या के बढ़ते मामलों, कोचिंग सेंटर्स में आग की घटनाओं और कोचिंग सेंटर्स में सुविधाओं की कमी को देखते हुए शिक्षा मंत्रालय ने कोचिंग इंस्टीट्यूट्स के लिए गाइडलाइंस जारी की।

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