जमीर अहमद | निघासन (लखीमपुर-खीरी), लखीमपुर-खीरी3 मिनट पहले
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लखीमपुर खीरी में 49 परिवारों के मकान को बुल्डोजर लेकर ढहाने पहुंची टीम को विरोध के कारण देर शाम वापस जाना पड़ा। तहसीलदार भीमचंद के नेतृत्व में गावं में शुक्रवार दोपहर 2 बजे टीम और बुल्डोजर पहुंची।
टीम में इंस्पेक्टर अमित सिंह भदौरिया, उच्च न्यायालय के अमीन वीरेंद्र कुमार, अमीन कमिश्नर पवन अग्रवाल, कई थानों की पुलिस फोर्स और एक प्लाटून पीएसी शामिल थी। टीम के पहुंचते ही गांव में महिलाएं और बच्चे हाथों में तख्ती लेकर बुल्डोजर के सामने धरने पर बैठ गए।
अधिकारी समझाते रहे लेकिन ग्रामीण नहीं माने। बोले-पहले बसाओ फिर हटाओ। ग्रामीणों का कहना है कि हम यहां वर्षों से रह रहे हैं। यह किसी और की कैसे हो सकती है। हमारे दस्तावेज गांव में अगलगी में जल गया था। पूरा मामला निघासन के बरसोला कलां गांव की है।

बता दें कि जिला मुख्यालय से 80 किमी दूर निघासन में रसोला कलां गांव है। गांव में 49 परिवार रहता है। गांव के ही रहने वाले अब्दुल करीम के ने दावा किया है कि जिस जमीन पर लोग बसे हैं। वह उनकी जमीन है। जिसका मामला कोर्ट में चल रहा था।
यह मामला अब्दुल करीम बनाम गोबरे के नाम से न्यायालय में चल रहा है। शुक्रवार को जिला जज ने अब्दुल करीम के पक्ष में फैसला सुनाया और जमीन खाली करने का आदेस दिया।
कार्रवाई और विरोध की तीन तस्वीर देखें…

दोपहर दो बजे टीम फोर्स के साथ गांव में पहुंची।

बुलडोजर पहुंचते ही बच्चे और महिलाएं धरने पर बैठ गई।

विरोध की वजह से देर शाम बिना कार्रवाई टीम वापस लौट गई।
शुक्रवार दोपहर 2 बजे तहसीलदार भीमचंद, इंस्पेक्टर अमित सिंह भदौरिया, अमीन वीरेंद्र कुमार, कमिश्नर पवन अग्रवाल, कई थानों की पुलिस फोर्स और एक प्लाटून पीएसी की टीम बरसोला कलां गांव पहुंची। टीम के पहुंचते ही गांव में हड़कंप मच गया।
ग्रामीणों ने हंगामा शुरू कर दिया। गांव में महिलाएं और बच्चे हाथों में तख्ती लेकर बुल्डोजर के सामने धरने पर बैठ गए। उन्होंने ‘तहसील प्रशासन वापस जाओ’ और ‘पहले बसाओ फिर हटाओ’ के नारे लगाए।

अधिकारी के समझाने पर ग्रामीण नहीं मानें।
अमीन पवन अग्रवाल ने माइक से लोगों को कानूनी प्रक्रिया का पालन करने की हिदायत दी। विरोध करने वालों को कार्रवाई की चेतावनी भी दी। इसके बाद टीम ने वादी मोहर्रम अली के साथ भूमि की पैमाइश की।
अमीन कमिश्नर वीरेंद्र कुमार बोले- अब्दुल करीम की जमीन पर 49 परिवार कब्जा किए हुए हैं। 2018 में भी न्यायालय ने बेदखली का आदेश दिया था।
वहीं कब्जेदारों का कहना है कि उन्होंने वर्षों पहले यह जमीन अब्दुल करीम से खरीदी थी। गांव में हुए अग्निकांड में उनके कागजात जल गए। कुछ लोगों ने टीम को बैनामा भी दिखाया। दिन भर चले विरोध प्रदर्शन के बाद प्रशासनिक टीम बिना कार्रवाई किए वापस लौट गई।