मध्यप्रदेश के विभिन्न जिलों में पदस्थ 47 जिला न्यायाधीशों की वरिष्ठता अब पुनः निर्धारित की जाएगी। ये वे न्यायाधीश हैं जिन्होंने वर्ष 2016 और 2017 में मप्र हाई कोर्ट द्वारा आयोजित परीक्षा में भाग लिया था। चयन के पश्चात इन्हें सिविल जज से पदोन्नत कर एड
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सपना झुनझुनवाला द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए मप्र हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि डिस्ट्रिक्ट जज बनाए जाने के केवल तीन वैध चैनल हैं।
मप्र हाई कोर्ट के प्रिंसिपल रजिस्ट्रार द्वारा आयोजित परीक्षा के माध्यम से एक चौथा चैनल बना दिया गया, जिसमें वकीलों के लिए आरक्षित पदों को ऐसे सिविल जजों से परीक्षा दिलवाकर भर दिया गया, जिनकी बतौर सिविल जज सेवा अवधि तथा प्रैक्टिस सात वर्ष की थी। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि डिस्ट्रिक्ट जज के 25% पद वकीलों से भरे जाने होते हैं और इस व्यवस्था में बदलाव करना विधिसम्मत नहीं है।
इस पूरी प्रक्रिया में कोर्ट ने क्या गलत माना….
पहला, 25 फीसदी पद वकीलों से भरे जाने हैं। इसमें परिवर्तन नहीं किया जा सकता। यदि किया भी गया तो सुप्रीम कोर्ट से अनुमति लेनी चाहिए थी। दूसरा, 2015 में किए गए संशोधन में दो साल के रिक्त पदों को भरने के लिए परीक्षा कराने की बात कही गई थी। जबकि , दो साल की प्रतीक्षा किए बिना ही अगले वर्ष 2016 व 2017 में परीक्षा आयोजित कराई गई।