कोलकाता16 मिनट पहले
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सोमवार शाम सीएम ममता बनर्जी और जूनियर डॉक्टरों के प्रतिनिधियों के बीच वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मीटिंग हुई थी।
पश्चिम बंगाल की ममता सरकार ने मंगलवार को राज्य स्तरीय टास्क फोर्स का गठन किया है, जो राज्य में डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ सर्विस की क्वालिटी में भी सुधार करेगी।
सरकार ने एक नोटिफिकेशन में इसकी जानकारी दी। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हड़ताल कर रहे जूनियर डॉक्टरों से इस टास्क फोर्स के गठन का वादा किया था।
चीफ सेक्रेटरी मनोज पंत इस टास्क फोर्स के अध्यक्ष होंगे। होम सेक्रेटरी नंदिनी चक्रवर्ती, डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (DGP) राजीव कुमार, हेल्थ सेक्रेटरी एनएस निगम और कोलकाता पुलिस कमिश्नर मनोज वर्मा इसका हिस्सा होंगे।
इस टास्क फोर्स में सीनियर और जूनियर रेसिडेंट डॉक्टर्स से दो प्रतिनिधि, स्टूडेंट्स की तरफ से एक महिला प्रतिनिधि और स्टेट लेवल कम्प्लेंट रिजॉल्यूशन कमेटी से एक प्रतिनिधि होगा।
भूख हड़ताल कर रहे डॉक्टरों ने सोमवार शाम को ममता बनर्जी से मुलाकात के बाद हड़ताल खत्म कर दी।
टास्क फोर्स के 6 टास्क
- यह स्टेट लेवल टास्क फोर्स स्वास्थ्य सेवाओं के बुनियादी ढांचे को मजबूत करेगी। इसमें ऑन-ड्यूटी रूम, वॉशरूम, पीने के पानी की सुविधा, और सीसीटीवी सर्विलांस सिस्टम शामिल हैं।
- टास्क फोर्स स्टेट रन हॉस्पिटल में पुलिस और सुरक्षा कर्मियों की तैनाती की निगरानी करेगी। इसमें मोबाइल पुलिस सर्विलांस टीमें भी शामिल होंगी।
- साथ ही यह एक सेंट्रलाइज्ड हेल्पलाइन और पैनिक बटन सिस्टम, सेंट्रलाइज्ड रेफरल और रियल-टाइम बेड की मौजूदगी के सिस्टम को मॉनिटर करेगी।
- यह टास्क फोर्स सिक्योरिटी ऑडिट, आंतरिक शिकायतों और अन्य संबंधित समितियों के कामकाज की भी निगरानी करेगा।
- राज्य के नागरिकों को बेहतर क्वालिटी की स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने के लिए सभी स्टेकहोल्डर्स के साथ साथ मिलकर काम करेगी।
- टास्क फोर्स के सदस्यों को हर महीने कम से कम एक बार बैठक करने की बात भी कही गई है।
17वें दिन खत्म हुई जूनियर डॉक्टर्स की भूख हड़ताल कोलकाता में महिला डॉक्टर्स से रेप और उसकी हत्या के विरोध में जारी जूनियर डॉक्टर्स की भूख हड़ताल सोमवार (21 अक्टूबर) को खत्म हुई। ये हड़ताल का 17वां दिन था।
इसके साथ ही डॉक्टरों ने मंगलवार को होने वाली हेल्थ स्ट्राइक भी वापस ले ली। सोमवार शाम डॉक्टरों के पैनल की सीएम ममता के साथ नबन्ना स्थित सचिवालय में करीब 2 घंटे चर्चा हुई थी।
5 अक्टूबर से भूख हड़ताल पर बैठे जूनियर डॉक्टर ट्रेनी डॉक्टर के रेप-मर्डर केस में न्याय की मांग कर रहे थे। साथ ही वे राज्य के हेल्थकेयर स्ट्रक्चर में बदलाव की मांग कर रहे हैं। जूनियर डॉक्टर 26 अक्टूबर को आरजी कर अस्पताल में सामूहिक सम्मेलन आयोजित करेंगे।
जूनियर डॉक्टर देबाशीष हलदर ने कहा था- सीएम ममता के साथ बैठक में हमें कुछ निर्देशों का आश्वासन मिला है, लेकिन राज्य सरकार का हाव-भाव सकारात्मक नहीं था। अनशन में आम लोगों ने पूरे दिल से हमारा समर्थन किया है।
हलदर ने कहा कि लोग और आरजी कर पीड़ित हमारी मृतक बहन के माता-पिता हमसे अनशन वापस लेने की बोल रहे थे, क्योंकि हमारा स्वास्थ्य बिगड़ रहा था। इसलिए हमने भूख हड़ताल वापस ली है।
अनशन स्थल पर सीएम ममता और डॉक्टरों की चर्चा सुनते जूनियर डॉक्टर्स।
ममता से मीटिंग के बाद भूख हड़ताल खत्म करते हुए जूनियर डॉक्टर।
स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित नहीं होनी चाहिए 20 अक्टूबर को सीएम ममता बनर्जी ने अनशन खत्म करने की अपील की थी। उन्होंने कहा था कि डॉक्टरों की अधिकतर मांगें पूरी कर दी गई हैं। हर किसी को विरोध का अधिकार है, लेकिन इससे स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित नहीं होनी चाहिए।
उन्होंने कहा था कि किसी विभाग में हर किसी को एक साथ हटाना संभव नहीं हैं। हमने पहले ही DHS और DME को हटा दिया है, इसलिए राजनीति से ऊपर उठकर काम पर लौटें।
ट्रेनी डॉक्टर के लिए न्याय और मेडिकल सुविधाओं में सुधार की मांग करते हुए जूनियर डॉक्टर पिछले 17 दिनों से भूख हड़ताल पर थे। अब तक छह डॉक्टरों को खराब स्वास्थ्य के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जबकि आठ अन्य अनिश्चितकालीन अनशन पर थे। डॉक्टरों की मांग थी कि राज्य सरकार 21 अक्टूबर तक समस्या को सुलझाने के लिए ठोस कदम उठाए।
20 अक्टूबर को जूनियर डॉक्टरों ने कहा था कि बैठक से पहले अनशन बंद नहीं होगा।
ममता बोलीं- क्या ये सही है कि डॉक्टर तय करें किसे हटाना चाहिए? ममता बनर्जी ने भी डॉक्टरों से अनशन खत्म करने और सोमवार को उनसे मिलने का अनुरोध किया था। उन्होंने कहा था, ‘मैंने पुलिस कमिश्नर (CP), चिकित्सा शिक्षा निदेशक (DME), और स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशक (DHS) को हटा दिया है, लेकिन मैं पूरे विभाग को नहीं हटा सकती।’
उन्होंने सवाल किया था कि क्या यह तर्कसंगत है कि आप तय करें कि किस अधिकारी को हटाना चाहिए? कुछ मांगों के लिए नीति बनाने की जरूरत है और इसमें सरकार पूरा सहयोग करेगी, लेकिन हमें यह मंजूर नहीं है कि डॉक्टर सरकार को आदेश दें कि क्या करना है।
चीफ सेक्रेटरी मनोज पंत ने भूख हड़ताल कर रहे डॉक्टरों से मिलकर उन्हें हड़ताल खत्म करने के लिए मनाने की कोशिश की थी।
डॉक्टरों ने पहले 5 मांगें रखी थीं, इनमें सरकार ने 3 पूरी कीं… फिर भूख हड़ताल जूनियर डॉक्टरों ने रेप-मर्डर घटना के खिलाफ 10 अगस्त से 21 सितंबर तक 42 दिन तक हड़ताल की थी। डॉक्टरों ने सरकार के सामने पहले 5 मांगें रखी थीं। इनमें से सरकार ने 3 मांगें मान लीं। CM ममता ने दो अन्य मांगों और शर्तों पर विचार करने का आश्वासन दिया था।
इसके बाद डॉक्टरों ने हड़ताल खत्म कर दी थी। वे अस्पतालों में काम पर लौट गए थे। 27 सितंबर को सागोर दत्ता हॉस्पिटल में 3 डॉक्टरों और 3 नर्सों से पिटाई का मामला सामने आया, जिससे नाराज होकर डॉक्टरों ने 1 अक्टूबर को फिर से हड़ताल शुरू कर दी।
4 अक्टूबर को जूनियर डॉक्टरों ने हड़ताल वापस ले ली, लेकिन धरना जारी रखा। उन्होंने कहा कि हम काम पर लौट रहे हैं, क्योंकि सरकारी अस्पतालों में बड़ी संख्या में मरीज परेशान हो रहे हैं। हालांकि उन्होंने राज्य सरकार को 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया था। इसके बाद उन्होंने अनशन शुरू किया।
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कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर से रेप-मर्डर के विरोध में डॉक्टरों का प्रदर्शन जारी है। 5 अक्टूबर से अनशन पर बैठे डॉक्टरों की 14 अक्टूबर को पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव मनोज पंत के साथ बैठक हुई, जो बिना किसी नतीजे के खत्म हो गई। मीटिंग से बाहर आने के बाद पश्चिम बंगाल डॉक्टर्स फोरम के अध्यक्ष डॉ. कौशिक ने कहा, ‘कुछ नहीं हुआ, रिजल्ट जीरो। 10 दिन हो गए हैं, 4 डॉक्टर ICU में हैं और एक बहुत बीमार है। पूरी खबर पढ़े…