Thursday, December 26, 2024
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कोलकाता रेप-मर्डर केस, CFSL रिपोर्ट- संदीप घोष ने गुमराह किया: पॉलीग्राफ टेस्ट में जरूरी सवालों के जवाब भटकाने वाले, CBI ने लगाए 6 आरोप


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कोलकाता11 मिनट पहले

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24 अगस्त को घोष के खिलाफ वित्तीय अनियमितता का मामला दर्ज किया था। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने 28 अगस्त को संदीप घोष की सदस्यता सस्पेंड कर दी थी।

कोलकाता रेप-मर्डर केस में आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष के जवाब गुमराह करने वाले पाए गए हैं। संदीप घोष का पॉलीग्राफ टेस्ट और वॉइस एनालिसिस किया गया था।

सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (CFSL) की रिपोर्ट में जब घोष के बयानों की जांच की गई तो बयान भटकाने वाले मिले। न्यूज एजेंसी पीटीआई ने केस से जुड़े अफसरों के हवाले से यह जानकारी दी।

हालांकि, पॉलीग्राफ टेस्ट में सामने आई जानकारी को सबूत के तौर पर नहीं पेश किया जा सकता है। जांच एजेंसियां पॉलीग्राफ टेस्ट के आधार पर सबूत जुटा सकती हैं।

CBI ने घोष को 14 सितंबर को गिरफ्तार किया था। उनके साथ ताला पुलिस स्टेशन के ऑफिसर इन चार्ज (OC) अभिजीत मंडल को भी गिरफ्तार किया गया था। 15 सितंबर को दोनों को कोर्ट में पेश किया गया। एजेंसी को 3 दिन तक दोनों की कस्टडी दी गई है।

पूर्व प्रिंसिपल और पुलिस अफसर पर CBI के आरोप

  1. CBI ने 15 सितंबर को कोर्ट में पेश किया था। CBI ने आरोप लगाया कि घोष को रेप-मर्डर की जानकारी 9 अगस्त की सुबह 9:58 मिल गई थी, लेकिन उन्होंने तुरंत पुलिस को सूचना नहीं दी। बाद में मेडिकल कॉलेज के सुपरिंटेंडेंट के जरिए एक अस्पष्ट शिकायत करवाई, जबकि पीड़ितक को 12:44 बजे ही मृत घोषित कर दिया गया था।
  2. न सिर्फ FIR में देरी की गई, बल्कि सुसाइड की नई थ्योरी बनाई गई। जबकि पीड़ित की चोटें और उसकी बॉडी की स्थिति को देखते हुए यह संभव नहीं था। पीड़ित की बॉडी के निचले हिस्से पर कपड़े भी नहीं थे।
  3. घोष ने ताला पुलिस स्टेशन के OC मंडल को सुबह 10:03 बजे फोन किया। इसके बाद उन्होंने दोपहर 1:40 बजे उनसे मुलाकात की। अननैचुरल डेथ का केस रात 11:30 बजे दर्ज किया गया। OC मंडल को सूचना सुबह ही मिल गई थी, लेकिन वो एक घंटे बाद घटनास्थल पर पहुंचे। केस डायरी में लिखा गया कि पीड़ित अचेत अवस्था में थी, जबकि डॉक्टर उसे पहले ही मृत घोषित कर चुके थे।
  4. अस्पताल के अधिकारियों और अज्ञात लोगों ने जनरल डॉयरी में गलत शुरुआती जानकारियां देने की साजिश की। OC मंडल की FIR में देरी और घटना स्थल पर देरी से पहुंचने की वजह से जरूरी सबूतों को नुकसान पहुंचा।
  5. OC मंडल ने आरोपी संजय रॉय और दूसरे लोगों को बचाने की कोशिश की, जिन्हें क्राइम सीन तक जाने दिया गया। इससे सबूतों को नुकसान पहुंचने की आशंका है। पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष ने जल्दबाजी में अपने जूनियर्स को आदेश दिया कि पीड़ित की बॉडी को मुर्दाघर ले जाया जाए।
  6. यह एक बड़ी साजिश हो सकती है, जिसमें पूर्व प्रिंसिपल घोष और OC मंडल दोनों शामिल हों। घटना के दिन दोनों एक-दूसरे के संपर्क में थे और घोष बता रहे थे कि पुलिस अफसर रेप और मर्डर के केस में किस तरह से कार्यवाही करें। दोनों ने इस घटना को दबाने की कोशिश की। पुलिस को इस जघन्य घटना के बाद खुद ही तेजी से कार्रवाई करनी चाहिए थी।

5 सितंबर: जांच में खुलासा- घोष ने घटना के अगले दिन रेनोवेशन का ऑर्डर दिया 5 सितंबर को CBI की जांच में सामने आया था कि ट्रेनी डॉक्टर के रेप-मर्डर के अगले दिन ही संदीप घोष ने सेमिनार हॉल से लगे कमरों के रेनोवेशन का ऑर्डर दिया था। ट्रेनी डॉक्टर का शव 9 अगस्त की सुबह सेमिनार हॉल में ही मिला था।

सूत्रों के मुताबिक, CBI को ऐसे डॉक्यूमेंट मिले हैं, जिनमें इस बात की पुष्टि हुई है कि संदीप घोष ने 10 अगस्त को लेटर लिखकर स्टेट पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट (PWD) को सेमिनार हॉल से लगे कमरे और टॉयलेट का रेनोवेशन करने को कहा था। इस परमिशन लेटर पर घोष के साइन भी हैं।

PWD स्टाफ ने सेमिनार हॉल से लगे कमरे का रेनोवेशन शुरू कर दिया था। हालांकि, कॉलेज स्टूडेंट्स ने इस केस को लेकर बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया था, जिसके चलते रेनोवेशन के काम को वहीं रोक दिया गया।

जांच अधिकारियों का कहना है कि रेनोवेशन लेटर से यह साफ हो रहा है कि घोष को यह काम कराने की जल्दी थी, लिहाजा यह डॉक्यूमेंट रेप-मर्डर केस और आरजी कर कॉलेज में वित्तीय गड़बड़ी के केस के बीच कड़ी जोड़ने में मदद कर सकता है।

14 सितंबर: आरजी कर हॉस्पिटल के पूर्व प्रिंसिपल को CBI ने अरेस्ट किया कोलकाता रेप-मर्डर केस मामले में 14 सितंबर को CBI ने आरजी कर कॉलेज एंड हॉस्पिटल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष और एक थाने के SHO अभिजीत मंडल को गिरफ्तार कर लिया। सूत्रों के मुताबिक, दोनों पर सबूतों से छेड़छाड़ का आरोप लगा है।

अभिजीत मंडल ताला पुलिस स्टेशन में स्टेशन हाउस ऑफिसर (SHO) के पद पर तैनात था। दोनों को 17 सितंबर तक CBI की कस्टडी में भेज दिया गया। आरजी कर मामले में अब तक तीन लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। आरोपी संजय रॉय को कोलकाता पुलिस ने वारदात के दूसरे दिन गिरफ्तार किया था।

CBI जांच में वित्तीय गड़बड़ी से जुड़े खुलासे…

  • संदीप घोष ने मेडिकल हाउस स्टाफ की नियुक्ति के लिए एक इंटरव्यू सिस्टम शुरू किया। हालांकि अस्पताल में इंटरव्यू लेने वालों का कोई पैनल नहीं था। नियुक्ति से पहले इंटरव्यू के फाइनल मार्क्स जारी किए जाते थे। घोष पर कई योग्य ट्रेनी डॉक्टरों को नियुक्त नहीं करने का भी आरोप है।
  • संदीप घोष 2016 से 2018 के बीच मुर्शिदाबाद मेडिकल कॉलेज में पोस्टेड था। वह तब से बिप्लव और सुमन को जानता था। घोष अपने सिक्योरिटी गार्ड, ​​​बिप्लव और सुमन के साथ भ्रष्टाचार का नेटवर्क चलाता था।
  • घोष ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज में प्रिंसिपल बनने के बाद ​​​बिप्लव और सुमन को कोलकाता बुला लिया। उसने दोनों वेंडर्स को अस्पताल के कई टेंडर दिलवाए। घोष का गार्ड अस्पताल के बायोमेडिकल कचरे को बेचने के लिए भी वेंडर्स से कॉन्ट्रैक्ट करता था।
  • बिप्लब मां तारा ट्रेडर्स, बाबा लोकनाथ, तियाशा एंटरप्राइजेज समेत कई कंपनियां चलाता था। वह इन सभी कंपनियों के नाम पर अस्पताल में टेंडर्स के लिए अप्लाई करता था। ताकि टेंडर के लिए मार्केट में कॉम्पिटिशन दिखे। इसी में किसी एक कंपनी को टेंडर मिलता था।
  • CBI को बिप्लब की कंपनियों को टेंडर दिए जाने के तरीके में भी कई खामियां मिली हैं। CBI ने कहा कि वर्क ऑर्डर के लेटर कॉलेज के कई अधिकारियों को लिखे जाते थे, लेकिन उन्हें ये लेटर कभी सौंपे ही नहीं गए। इसका मतलब टेंडर प्रोसेस में अन्य अधिकारियों को शामिल नहीं किया गया।
  • एजेंसी के मुताबिक, घोष के गार्ड की पत्नी नरगिस की कंपनी ईशान कैफे को अस्पताल में कैंटीन का ठेका मिला। संदीप घोष ने गार्ड की पत्नी की कंपनी को नॉन-रिफंडेबल कॉशन मनी भी लौटा दी।

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