Sunday, June 8, 2025
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कौन है संभल का उस्मान, जो पाकिस्तानी जेल में बंद: भारत में था अलकायदा के आतंकियों का हैंडलर, भाई बोला- कैसे पहुंचा, नहीं पता


UP के संभल में शाही मस्जिद के सर्वे के दौरान 24 नवंबर, 2024 को हिंसा भड़क गई। पुलिस ने कहा कि हिंसा का पाकिस्तान कनेक्शन हो सकता है। इसमें दाऊद गैंग के शारिक साठा के अलावा अल कायदा से जुड़े सईद अख्तर, शरजील अख्तर और उस्मान का नाम आया है। शारिक साठा दु

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21 जनवरी 2025 को दिल्ली में गृह मंत्रालय के फॉरेन अफेयर्स डिवीजन को एक लेटर मिला। इसमें पाकिस्तान में कैद 33 भारतीयों के नाम थे। इनमें एक नाम उस्मान का भी था। पता चला कि संभल के दीपासराय का रहने वाला उस्मान लाहौर की सेंट्रल जेल में बंद है। उसे 21 मई, 2024 को हिरासत में लिया गया था। उस्मान पर फॉरेन एक्ट में केस दर्ज है।

उस्मान कैसे पाकिस्तान पहुंचा और कैसे आतंकी बना, दैनिक भास्कर ने इसकी पड़ताल शुरू की। इसी दौरान दो आतंकियों मोहम्मद आसिफ और जफर मसूद के कबूलनामे की जानकारी मिली, जो पाकिस्तान में उस्मान से मिले थे। इन दोनों को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने 2015 में अरेस्ट किया था। आसिफ और जफर भी संभल के रहने वाले हैं। आगे पढ़िए उस्मान के पाकिस्तान और आतंकी लिंक की पूरी कहानी।

मोहम्मद उस्मान को 16 दिसंबर, 2024 को काउंसलर एक्सेस मिला था। इसी से पता चला कि वो लाहौर जेल में कैद है।

उस्मान पहली बार 1999 में बिजनेस के बहाने पाकिस्तान गया दिल्ली पुलिस की चार्जशीट में मोहम्मद आसिफ और जफर मसूद के बयान शामिल हैं। इन बयानों से पता चला कि उस्मान पहली बार 1999 में पान-कत्था का बिजनेस करने की बात कहकर पाकिस्तान गया था। तब वो ट्रेनिंग लेकर भारत लौट आया था। उसे आतंकी संगठन हरकत-उल-मुजाहिदीन से ट्रेनिंग मिली थी।

दूसरी बार 2012 में संभल से दिल्ली जाने की बात कहकर निकला और पाकिस्तान चला गया। इसके बाद भारत नहीं लौटा। संभल में रह रहे उसके भाई फरमान के मुताबिक, तभी से उन्हें उस्मान के बारे में पता नहीं है।

उस्मान को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने 12 जुलाई, 2016 को भगोड़ा घोषित किया था। वो भारत में पाकिस्तानी आतंकियों के छिपने का इंतजाम कराता था। पता चला है कि उसे पाकिस्तान में अरेस्ट किया गया, तब वो ड्राइवर का काम कर रहा था। उस्मान दूसरी बार पाकिस्तान कैसे गया, इसकी अब तक जानकारी नहीं मिली है।

काउंसलर एक्सेस से मोहम्मद उस्मान के बारे में जानकारी मिली। इसके मुताबिक उस्मान की नाक पर चोट का निशान है।

काउंसलर एक्सेस से मोहम्मद उस्मान के बारे में जानकारी मिली। इसके मुताबिक उस्मान की नाक पर चोट का निशान है।

भाई बोला- ज्यादातर दिल्ली में रहता था, घर कम ही आता था मोहम्मद फरमान, उस्मान के बड़े भाई हैं। पेशे से ट्रक ड्राइवर हैं। संभल के दीपा सराय में पत्नी और बच्चों के साथ रहते हैं। उस्मान के बारे में पूछने पर फरमान बताते हैं, ‘मुझे तो 15 दिन पहले पुलिसवालों ने बताया कि उस्मान पाकिस्तान की जेल में है। वो किसी से बात नहीं करता था। घर आता था, तभी बात होती थी।’

उस्मान का परिवार संभल के दीपा सराय में रहता है। उस्मान 4 भाई और 3 बहन हैं।

उस्मान का परिवार संभल के दीपा सराय में रहता है। उस्मान 4 भाई और 3 बहन हैं।

फरमान बताते हैं, ‘उस्मान 1995-96 में दिल्ली की जामिया यूनिवर्सिटी से पढ़ाई कर रहा था। उसने एसी मैकेनिक का डिप्लोमा किया है। इसके बाद बहुत ज्यादा घर नहीं आता था। 2012 में आखिरी बार आया था। लौटते वक्त कुछ बताकर नहीं गया। वो ज्यादातर दिल्ली में रहता था। हमने कभी जाकर देखा भी नहीं कि कहां रहता है और क्या करता है।’

‘उसके पाकिस्तान जाने के बारे में कुछ नहीं पता। ये तो पुलिस ही बता रही है। 2012 के बाद तो कभी बात ही नहीं हुई। अगर बात होती, तो सबको पता लग जाता। कॉन्टैक्ट भी तभी करते, जब उसका पता-ठिकाना होता।’

मोहम्मद आसिफ का कबूलनामा, जिससे उस्मान के बारे में पता चला

‘AQIS चीफ सनाउल हक और उस्मान से पाकिस्तान के वजीरिस्तान में मिला था’

14 दिसंबर 2015 की दोपहर दिल्ली पुलिस ने मोहम्मद आसिफ को अरेस्ट किया था। उसे सीलमपुर फ्लाईओवर के पास वेलकम बस स्टैंड से पकड़ा गया। मोहम्मद आसिफ ने स्पेशल सेल के सामने ये बयान दिया था…

पश्चिमी यूपी में मेरे जैसे कई लड़कों का ब्रेनवॉश किया गया। मैं अल कायदा से जुड़ गया। अल कायदा इन इंडियन सब-कॉन्टिनेंट यानी AQIS का मेंबर बना। मुझे ट्रेनिंग के लिए पाकिस्तान के वजीरिस्तान भेजा गया। मैं AQIS चीफ सनाउल हक के संपर्क में था। वो भी संभल का रहने वाला था। वजीरिस्तान में मैं सनाउल हक के अलावा उस्मान और सईद अख्तर से मिला।

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मैं 23 जून, 2013 को पाकिस्तान जाने के लिए निकला था। ईरान होते हुए पाकिस्तान पहुंचा। मेरे साथ मोहम्मद रेहान और मोहम्मद शरजील अख्तर थे। शरजील संभल और रेहान दिल्ली का रहने वाला है।

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हमने दिल्ली के कनॉट प्लेस में मीनार ट्रैवल्स से टिकट बुक कराई थी। हमने दिल्ली से ईरान की राजधानी तेहरान के लिए एयर टिकट बुक की थीं। 23 जून को हम तेहरान के लिए निकले। 10 जुलाई, 2013 को तेहरान से दिल्ली की रिटर्न टिकट थी, लेकिन तीनों में से कोई नहीं लौटा।’

पासपोर्ट खोने का बहाना बनाया, एक साल बाद भारत लौटा मोहम्मद आसिफ एक साल बाद 26 अगस्त 2014 को तुर्की (अब तुर्किये) पहुंचा। विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, आसिफ तुर्की के रास्ते इंडिया लौटना चाहता था। उसने इस्तांबुल में भारतीय कॉन्सुलेट में झूठ बोला कि ‘मैं तुर्की टूर पर आया था। मेरा पासपोर्ट खो गया है।’

काउंसलर जनरल ने उसकी सिटिजनशिप की जांच कराई। 29 सितंबर 2014 को आसिफ का इमरजेंसी सर्टिफिकेट जारी किया गया। इसके बाद वो भारत लौट आया।

आसिफ का बयान वेरिफाई करने के लिए दिल्ली पुलिस ने मीनार ट्रैवल्स के डायरेक्टर पीएस दुग्गल का बयान भी लिया था। पीएस दुग्गल ने 23 दिसंबर, 2015 को बयान दर्ज कराया। उन्होंने कहा कि मोहम्मद आसिफ, मोहम्मद शरजील अख्तर और मोहम्मद रेहान की इंडिया से ईरान की फ्लाइट टिकट बुक की थी। ईरान से लौटने की भी टिकट बुक थी। दोनों टिकट के पैसे कैश में दिए गए थे।

उस्मान से जुड़े जफर ने पत्नी के अकाउंट में पैसे मंगाए, फिर आसिफ को दिए पुलिस की चार्जशीट में ये भी जिक्र है कि भारत से पाकिस्तान जाने के लिए आसिफ और उसके साथियों को पैसे कहां से मिले। इसके लिए उस्मान के करीबी जफर मसूद ने 1 लाख रुपए कैश दिए थे।

ये रुपए जफर मसूद की पत्नी के बैंक अकाउंट से दो बार में निकाले गए। एक बार 35 हजार और दूसरी बार में 65 हजार रुपए। यही पैसे आसिफ ने टिकट के लिए दो बार में ट्रैवल एजेंसी को दिए थे। 15 जून 2013 को 24,650 रुपए और 18 जून 2013 को 48,268 रुपए दिए थे। इसकी पुष्टि ट्रैवल एजेंसी के डायरेक्टर ने भी की थी।

ट्रेनिंग पूरी होने के बाद आसिफ भारत लौटा, दिल्ली में 2 लाख रुपए मिले मोहम्मद आसिफ ने अपने बयान में बताया कि मैं सनाउल हक, सईद अख्तर और उस्मान के साथ ही काम करता था। पाकिस्तान में ट्रेनिंग के बाद दिल्ली लौट आया। इसके बाद सईद अख्तर ने मेरे लिए 2 लाख रुपए भिजवाए थे। दिल्ली के लाहौरी गेट के पास नया बाजार में चौधरी ट्रेडिंग कंपनी के जरिए मुझे रुपए मिले।

इस बयान से साफ हो गया कि मोहम्मद आसिफ 2013 में पाकिस्तान गया था, तब उस्मान वहां मौजूद था।

मोहम्मद आसिफ और जफर मसूद पर बनाई गई पुलिस की रिपोर्ट, जिसमें उस्मान के साथ सईद और शरजील का नाम भी है।

मोहम्मद आसिफ और जफर मसूद पर बनाई गई पुलिस की रिपोर्ट, जिसमें उस्मान के साथ सईद और शरजील का नाम भी है।

अब जफर मसूद का कबूलनामा

उस्मान के कहने पर दिल्ली में दो पाकिस्तानी आतंकियों को रुकवाया दिल्ली पुलिस की चार्जशीट में जफर मसूद का बयान भी है। जफर को 16 दिसंबर 2015 को संभल से गिरफ्तार किया गया था। जांच में पता चला कि वो सनाउल हक और उस्मान का करीबी था। उसने बताया…

मैं हरकत उल मुजाहिदीन से जुड़ा था। मुझे पाकिस्तान में ट्रेनिंग के लिए बुलाया गया था। 1999 में मैं कारोबार के बहाने पाकिस्तान पहुंचा। वहां हरकत उल मुजाहिदीन के कैंप में रुका। कैंप में सईद अख्तर और सनाउल हक से मिला। मुझे हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी गई। इसके बाद मैं भारत लौट आया।

मार्च, 2001 में उस्मान ने मुझसे कॉन्टैक्ट किया। बोला कि पाकिस्तान से दो लोग आएंगे। उनके नाम सैयद मोहम्मद उर्फ हमजा और मकसूद अहमद उर्फ अली हैं। दोनों को दिल्ली के जामिया इलाके में ठहराना है। मैंने उनके रुकने का इंतजाम कराया था। हालांकि पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया।

पुलिस को मुझ पर शक हो गया था। इसलिए छिपने के लिए मैं गुजरात चला गया। वहां फेसबुक पर जफर मसूद शेख नाम से एक अकाउंट देखा। उसकी उम्र और फोटो मुझसे मिलती-जुलती थी। मैंने उसके नाम से फर्जी पासपोर्ट बनवा लिया। इसके बाद मेरा नाम हो गया जफर मसूद शेख।

मोहम्मद आसिफ, शरजील अख्तर और मोहम्मद रेहान को पाकिस्तान में ट्रेनिंग के लिए भिजवाने का इंतजाम मैंने ही कराया था। इसके लिए सईद अख्तर के कहने पर मैंने 1 लाख रुपए दिए थे। उनकी दिल्ली से तेहरान की हवाई टिकट कराई गई थी। सभी तेहरान से अफगानिस्तान के रास्ते पाकिस्तान गए थे।

लाहौर जेल में उस्मान से मिले काउंसलर, सरपंच की जगह पूर्व सांसद का नाम पाकिस्तान जेल से उस्मान के बारे में आई रिपोर्ट में लिखा है कि काउंसलर लाहौर सेंट्रल जेल में उससे मिले थे। ये मुलाकात 16 दिसंबर, 2024 को हुई थी। उस्मान ने पिता का नाम खुर्शीद हुसैन बताया। दो भाई और तीन बहनों के बारे में बताया। एरिया के किसी सरपंच या हेडमास्टर के बारे में पूछने पर संभल के पूर्व सांसद शफी-उर-रहमान का नाम लिखवाया।

संभल के नौजवानों को सनाउल ने आतंकी बनाया पुलिस के मुताबिक, संभल में युवाओं को आतंकी बनाने वाला सनाउल हक था। उसके परदादा ब्रिटिश सरकार में मजिस्ट्रेट रहे थे। परिवार में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भी रहे। वहीं दादा सरपंच थे।

सनाउल हक को अमेरिका ने 30 जून, 2016 को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित किया था। 1995 में वो पाकिस्तान चला गया था। वहां हरकत उल मुजाहिदीन जॉइन कर लिया।

अल कायदा के लीडर अल-जवाहिरी ने वीडियो जारी कर सितंबर, 2014 में अलकायदा इन द इंडियन सब-कॉन्टिनेंट (AQIS) बनाने की घोषणा की थी। इसका चीफ सनाउल हक को बनाया गया। नेशनल डायरेक्टेरट ऑफ सिक्योरिटी अफगानिस्तान ने 8 अक्टूबर 2019 को ट्वीट कर दावा किया था कि अमेरिका के हमले में सनाउल मारा गया है। उसकी मौत 23 सितंबर 2019 को मौसा कला जिले में हुई थी।

उस्मान के जरिए सनाउल से मिले आसिफ और जफर सनाउल से पहले उस्मान जुड़ा। उस्मान के जरिए जफर मसूद और मोहम्मद आसिफ जुड़े। आसिफ और जफर मसूद अब जेल से बाहर आ चुके हैं। यूपी पुलिस की इंटरनल रिपोर्ट में लिखा है कि आसिफ और जफर को 14 फरवरी, 2023 को कोर्ट ने 7 साल 5 महीने की सजा सुनाई थी।

इससे पहले दोनों इतना वक्त जेल में बिता चुके थे। इसलिए 2 महीने की सजा और काटने के बाद रिहा हो गए। आसिफ 6 मई, 2023 और जफर मसूद 9 मई 2023 को रिहा होकर संभल आ गए थे।

SP बोले- उस्मान के मामले पर नजर, जांच भी चल रही संभल SP कृष्ण कुमार बिश्नोई बताते हैं, ‘विदेश मंत्रालय से उस्मान के बारे में पता चला है। वहां से मिली जानकारी पर वेरिफिकेशन कराया गया है। उसका परिवार संभल में रहता है। परिवार से बात की गई है। उन्होंने बताया कि उस्मान 2012 में आखिरी बार घर से निकला था। उसके दो बार पाकिस्तान जाने की पुष्टि हुई है।’

‘मामले पर नजर रखी जा रही है। कैसे वो पाकिस्तान पहुंचा, किन लोगों से संपर्क में रहा, इसकी इंटरनल जांच चल रही है। ये रिपोर्ट विदेश मंत्रालय को भेज दी है।’

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पाकिस्तान में कैद तेजबीर पर ये ग्राउंड रिपोर्ट पढ़िए

जिस तेजबीर के मर्डर में 4 अरेस्ट, वो पाकिस्तान में; पिता बोले- जिंदा है तो लाकर दो

पाकिस्तान से आई कैदियों की लिस्ट में उस्मान के साथ गाजियाबाद के तेजबीर का नाम भी है। तेजबीर का घर नईपुर गांव में है। हैरानी की बात ये है कि तेजबीर की हत्या के आरोप में 4 लोग जेल जा चुके हैं। हालांकि तेजबीर के पिता अब भी नहीं मानते कि उनका बेटा जिंदा है। वे कहते हैं कि अगर वो जिंदा है, तो उसे लाकर दे दो। पढ़िए पूरी खबर…



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