Chanakya Niti: हर माता-पिता का सपना होता है कि उनका बच्चा अच्छा इंसान बने, तरक्की करे और समाज में उसका नाम हो. वे अपने बच्चों को हर खुशी देना चाहते हैं, चाहे वह पढ़ाई हो, संस्कार हो या सुरक्षा. लेकिन सिर्फ पैसे से या चीजें देने से बच्चों का भविष्य नहीं बनता. अगर बच्चे को सही सोच और सही रास्ता नहीं दिखाया गया, तो वह भटक सकता है. बच्चे की असली परवरिश तभी होती है जब उसे छोटी उम्र से ही अच्छे-बुरे की पहचान सिखाई जाए. इसके लिए जरूरी है कि माता-पिता खुद भी सीखें और वही बातें अपने बच्चों को भी सिखाएं. आचार्य चाणक्य ने परिवार, शिक्षा और बच्चों की परवरिश को लेकर कई ऐसी बातें बताई हैं, जो आज के समय में भी पूरी तरह लागू होती हैं. अगर हम इन बातों को बच्चों की परवरिश में शामिल करें, तो वे न सिर्फ सफल इंसान बनेंगे बल्कि अच्छे नागरिक भी बनेंगे. आज की बदलती जीवनशैली और डिजिटल युग में जहां बच्चों पर कई तरह के प्रभाव पड़ते हैं, वहां आचार्य चाणक्य की ये नीतियां उन्हें सही दिशा देने का काम कर सकती हैं. इस आर्टिकल में हम ऐसी ही कुछ जरूरी नीतियों के बारे में बात कर रहे हैं जो हर बच्चे को सिखाई जानी चाहिए.
आचार्य चाणक्य कहते थे कि इंसान की पहचान उसकी सच्चाई और उसके काम से होती है. अगर बच्चा झूठ बोलना सीख गया, तो वह भरोसे के लायक नहीं रहेगा. माता-पिता को चाहिए कि वे अपने बच्चों को शुरुआत से ही सिखाएं कि सच बोलना कितना जरूरी है, चाहे हालात जैसे भी हों.
2. मुश्किलों से भागना नहीं, सामना करना सिखाएं
जीवन में कभी न कभी मुश्किलें जरूर आती हैं. चाणक्य की नीति कहती है कि जो इंसान चुनौतियों से डरता नहीं है, वही आगे बढ़ता है. बच्चों को बताएं कि गिरना बुरा नहीं, लेकिन गिरकर उठना जरूरी है. हर समस्या का कोई न कोई हल जरूर होता है.
बच्चों को बचपन से ही छोटे-छोटे काम खुद करना सिखाएं. जैसे अपना बैग खुद तैयार करना, बिस्तर लगाना या अपने खिलौने संभालना. इससे उनमें आत्मविश्वास बढ़ेगा और वे दूसरों पर निर्भर रहना छोड़ेंगे. आचार्य चाणक्य मानते थे कि आत्मनिर्भर इंसान कभी कमजोर नहीं पड़ता.
पढ़ाई के साथ-साथ अच्छे संस्कार भी जरूरी हैं. आचार्य चाणक्य कहते थे कि अगर इंसान के पास ज्ञान है लेकिन संस्कार नहीं, तो वह समाज के लिए खतरा बन सकता है. बच्चों को नम्रता, आदर और सहनशीलता जैसे गुणों की समझ दें.
5. गलत संगति से दूर रहना सिखाएं
आचार्य चाणक्य कहते थे कि संगत का असर बहुत गहरा होता है. अगर बच्चा गलत दोस्तों के साथ रहेगा, तो उसकी सोच और आदतें भी वैसी ही बन जाएंगी. उन्हें सिखाएं कि हमेशा सोच-समझकर दोस्ती करें और बुरी संगति से बचें.
आचार्य चाणक्य मानते थे कि जो समय की कद्र करता है, वही आगे बढ़ता है. बच्चों को बताएं कि खेल जरूरी है लेकिन पढ़ाई, आराम और घर के काम भी उतने ही जरूरी हैं. दिन का समय कैसे बांटना है, यह आदत बचपन से डालें.
7. गुस्से को काबू में रखना सिखाएं
बच्चों को यह सिखाएं कि गुस्सा करना किसी समस्या का हल नहीं है. आचार्य चाणक्य कहते थे कि जो अपने क्रोध पर काबू कर लेता है, वही सच्चा विजेता होता है. अगर बच्चा गुस्से वाला है, तो उसे प्यार से समझाएं और शांत रहने के तरीके बताएं.