ईरान और इजराइल जंग के बीच अमेरिकी प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रम्प G7 समिट बीच में ही छोड़कर कनाडा से अमेरिका पहुंच गए हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं सीजफायर के लिए नहीं लौट रहा। बात उससे कहीं बड़ी है। मैं शुरू से कह रहा हूं कि ईरान के पास परमाणु हथियार नहीं हो सकत
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ट्रम्प ने ईरान के लोगों को राजधानी तेहरान खाली करने को कहा है। इधर इजराइली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनेई की हत्या से जंग खत्म होगी।
क्या अब इजराइल के निशाने पर सीधे खामेनेई हैं, ईरान-इजराइल जंग में आगे क्या हो सकता है, जानेंगे भास्कर एक्सप्लेनर में…
सवाल-1: राष्ट्रपति ट्रम्प G7 की बैठक से अचानक अमेरिका क्यों लौट गए? क्या ईरान में कुछ बड़ा होने वाला है? जवाब: इस बारे में कोई औपचारिक बयान और घोषणा तो नहीं की गई है, लेकिन जिस तरह ट्रम्प ने सोमवार को ईरान के लोगों से तेहरान खाली करने और इससे कुछ घंटे पहले इजराइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनेई को मारने से जुड़ा बयान दिया, माना जा रहा है कि इजराइल अमेरिका के साथ मिलकर कुछ बड़ा करने जा रहा है।
कुछ बड़ा होने की 3 संभावनाएं हैं-
- ईरान की नतांज परमाणु लैबोरेटरी पर MOPB यानी मैसिव ऑर्डनेंस पेनिट्रेटर बम के जरिए बड़ा हमला करना। MOPB को बोलचाल की भाषा में ‘बंकर बस्टर बम’ कहा जाता है।
- ईरान की फोर्डो परमाणु लैबोरेटरी को इसी MOPB से तबाह करना।
- ईरान के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह अली खामेनेई के बंकर पर हमला कर उनकी सत्ता खत्म करना, ताकि ईरान में सत्ता बदल जाए।
16 जून को कनाडा से अमेरिका लौटते वक्त डोनाल्ड ट्रम्प।
सवाल-2: क्या इजराइल अकेले ये तीनों काम नहीं कर सकता? अमेरिका इसमें क्या मदद करेगा? जवाब: इजराइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ऊपर बताए तीनों या उसमें से कोई एक भी टारगेट ट्रम्प और अमेरिका के बिना पूरा नहीं कर सकते। दरअसल, ईरान के नतांज और फोर्डो परमाणु ठिकाने हों या सुप्रीम कमांडर खामेनेई का ठिकाना, तीनों टारगेट जमीन से 200 फीट से ज्यादा गहरे कॉन्क्रीट के बंकर में हैं…
1. एक लाख वर्ग मीटर में जमीन के 80 मीटर नीचे बना है नतांज प्लांट
- तेहरान से 250 किमी दक्षिण में बने नतांज न्यूक्लियर प्लांट के दो हिस्से हैं- फ्यूल एनरिचमेंट प्लांट यानी FEP और पायलट फ्यूल एनरिचमेंट प्लांट यानी PFEP।
- FEP पूरी तरह अंडरग्राउंड है, जहां यूरेनियम का 5% तक संवर्धन करने के लिए 11,000 सेंट्रीफ्यूज मशीनें एक्टिव हैं।
- जमीन के ऊपर बने PFEP में करीब 150 सेंट्रीफ्यूज मशीनें, 60% तक यूरेनियम संवर्धित करती हैं।
- अमेरिका और इजराइल का दावा है कि ये प्लांट परमाणु हथियार बनाने के लिए जरूरी 90% तक प्योर यूरेनियम बनाने के करीब है।
- इजराइली हमलों से पूरे प्लांट को नुकसान पहुंचा है। अभी तक कोई रेडिएशन नहीं हुआ है, इसलिए कहा जा रहा है कि प्लांट यूरेनियम बना सकता है।

ईरान की नतांज लैबोरेटरी की सैटेलाइट तस्वीर।
2. पहाड़ों के अंदर बनी फोर्डो परमाणु लैबोरेटरी
- फोर्डो परमाणु लेबोरेट्री ईरान की राजधानी तेहरान से करीब 160 किलोमीटर दूर पहाड़ियों के 80 से 300 फीट अंदर कहीं बनी है।
- फोर्डो में करीब 2000 सेंट्रीफ्यूज मशीनें एक्टिव हैं। इनमें से कई उन्नत RI-6 सेंट्रीफ्यूज मशीनें हैं, जो यूरेनियम को 60% तक संवर्धित करती हैं।
- इसकी सुरक्षा के लिए रूस का S-300 एयर डिफेंस सिस्टम लगाया गया है। पहाड़ों में होने की वजह से इसे तबाह करना बेहद मुश्किल काम है।
- 13 जून को शुरू हुए इजराइली हमले में फोर्डो प्लांट को नुकसान की खबर नहीं है। न ही यहां से कोई रेडिएशन हुआ है।

ईरान की फोर्डो लैबोरेटरी की सैटेलाइट तस्वीर।
3. तेहरान शहर से 343 किमी दूर खामेनेई का बंकर
- ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनेई जिस बंकर में हैं, वह तेहरान शहर से 343 किमी दूर लाविजान इलाके में बना है।
- बंकर में खामेनेई, अपने बेटे मोज्तबा खामेनेई और बाकी परिवार के साथ रह रहे हैं।
- 15 जून को इजराइल ने अपनी सीमा से 2,300 किमी. दूर पूर्वी ईरान के मशहद एयरपोर्ट को निशाना बनाया। इसे खामेनेई की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा माना गया, जिसके बाद उन्हें बंकर में शिफ्ट किया गया।
- अप्रैल और अक्टूबर 2024 में जब ईरान ने इजराइल पर एयरस्ट्राइक की थी, तब भी खामेनेई यहीं छिपे थे।
दुनिया में अकेले अमेरिका के पास ऐसे बम हैं, जो जमीन के भीतर 200 फीट गहरे बंकर तक पहुंचकर उसे तबाह कर दें। यही नहीं, इस बम को टारगेट तक ले जाने और गिराने के लिए जरूरी B2 बमवर्षक विमान भी सिर्फ अमेरिका के पास हैं। मतलब अमेरिका ने अपने सबसे करीबी दोस्त इजराइल को भी ये बम और विमान नहीं दिए हैं।
सवाल-3: अमेरिका का B2 बमवर्षक क्या है और इसका बम कितनी तबाही कर सकता है? जवाब: अमेरिका का B2 बॉम्बर एक स्टील्थ बॉम्बर है, यानी इसे रडार पर पहचान पाना मुश्किल होता है। कोल्ड वॉर के समय रूस के खिलाफ इस्तेमाल करने के लिए अमेरिका ने यह बॉम्बर बनाया था। अमेरिका के पास बीस B2 बॉम्बर फाइटर जेट हैं और उसने अब तक किसी अन्य देश को एक भी B2 बॉम्बर नहीं बेचा है।
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यह इकलौता फाइटर जेट है, जिससे खतरनाक GBU-57 बम दागा जा सकता है। अमेरिका का GBU-57 एक MOP बम है, जिसे बोइंग ने बनाया है। यह जमीन के 200 फीट अंदर तक जाकर ब्लास्ट कर सकता है, इसलिए इसे बंकर ब्लास्टर भी कहते हैं।
अमेरिका ने इसे दक्षिण कोरिया और ईरान से बढ़ते न्यूक्लियर खतरे को ध्यान में रखते हुए ही डेवलप किया था। यह नतांज न्यूक्लियर फैसिलिटी को तबाह करने के लिए सबसे सटीक हथियार है। इसे ‘मदर ऑफ ऑल बॉम्ब्स’ भी कहा जाता है।
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सवाल-4: अमेरिका के B2 बमवर्षक ईरान पर हमला करने के लिए कैसे पहुंचेंगे? जवाब: अमेरिका ने अपने सबसे घातक बम बरसाने वाले विमान B-2 स्पिरिट बॉम्बर का 30% फ्लीट हिंद महासागर में एक छोटे से द्वीप डिएगो गार्सिया में तैनात कर रखा है।
अप्रैल 2025 को अमेरिका के ‘प्लैनेट लैब्स’ ने कुछ सैटेलाइट इमेज जारी की थीं। इनमें दिखाया गया कि हिंद महासागर में ब्रिटेन के अधिकार वाले इलाके डिएगो गार्सिया में कम से कम 6 B-52 बॉम्बर तैनात किए गए हैं।
डिएगो गार्सिया द्वीप ईरान से करीब 4,842 किमी दूर है। जबकि B2 बॉम्बर की रेंज ही 11 हजार किमी से ज्यादा है। यानी B2 बॉम्बर ईरान पहुंचकर बंकरों पर बम गिरा सकता है और वापस भी आ सकता है। B2 बॉम्बर 50 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ता है और इसे बम गिराने के लिए साफ और खुले आसमान की जरूरत होती है, जिससे निशाना एकदम सटीक बैठे।
***ANIMATION B2***
B2 बॉम्बर के लिए इजराइल ने पहले ही ईरान का आसमान साफ कर दिया है। 16 जून को इजराइल की सेना ने दावा किया कि उसने ईरान की राजधानी तेहरान के आसमान पर कब्जा कर लिया है। इजराइल ने ईरान के एयर डिफेंस सिस्टम और मिसाइल सिस्टम को बेहद कमजोर कर दिया है। तभी इजराइल लगातार ईरान पर बम बरसा रहा है।
सवाल-5: परमाणु लैबोरेटरी या खामेनेई का बंकर, अमेरिका कहां हमला कर सकता है? जवाब: न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प इस बात पर विचार कर रहे हैं कि ईरान की फोर्डो न्यूक्लियर साइट पर हमला किया जाए या नहीं। अगर अमेरिका ऐसा हमला करता है, तो वह सीधे तौर पर ईरान के साथ युद्ध में शामिल हो जाएगा।
विदेश मामलों के जानकार और JNU के रिटायर्ड प्रोफेसर ए. के. पाशा का कहना है, ‘अगर B2 बॉम्बर परमाणु लैबोरेट्रीज पर हमला करता है, तो न्यूक्लियर रिएक्शन होने का खतरा पैदा हो जाएगा। जहरीली रेडियोएक्टिव किरणें हवा, मिट्टी और पानी में फैल जाएंगी। हालांकि यह बंकर जमीन से काफी नीचे है, ऐसे में रिएक्शन होने की संभावना कम है, लेकिन अमेरिका ऐसा रिस्क लेने से बचेगा।’
जबकि 16 जून को इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने एक इंटरव्यू में कहा कि वह ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनेई को निशाना बनाएंगे। एबीसी न्यूज को दिए इंटरव्यू में नेतन्याहू ने कहा,

हम वही कर रहे हैं जो हमें करना है। खामेनेई को निशाना बनाना संघर्ष को बढ़ाएगा नहीं, बल्कि इसे खत्म करेगा। मैं डिटेल में नहीं जाऊंगा, लेकिन हमने उनके टॉप परमाणु वैज्ञानिकों को निशाना बनाया है। यह असल में हिटलर की न्यूक्लियर टीम है।
ए. के. पाशा कहते हैं, ‘अमेरिका के पास खामेनेई के बंकर पर भी बम गिराने का विकल्प है। जैसा कि इजराइल कह चुका है कि यह जंग खामेनेई की मौत के बाद ही खत्म होगी, तो हो सकता है कि अमेरिका खामेनेई को खत्म कर दे, जिससे ईरान में सत्तापलट हो जाए।
अमेरिका समर्थित कोई नेता ईरान की गद्दी संभाले, जो अमेरिका के इशारों पर चले। अगर ऐसा हुआ तो ईरान का न्यूक्लियर प्रोग्राम बिना हमले के ही खत्म हो जाएगा, लेकिन लीडरशिप खत्म होने से यह जंग खत्म नहीं होगी क्योंकि फिर देश में सिविल वॉर शुरू हो जाएगी, जिसके गंभीर नतीजे सामने आएंगे।’
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रिसर्च सहयोग- श्रेया नाकाड़े
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आज का एक्सप्लेनर: ईरान बोला- इजराइल पर ‘इस्लामिक बम’ चलाएगा पाकिस्तान; ये क्या है और कैसे बना; क्या यहूदियों के खिलाफ मुस्लिम देश एकजुट होंगे

ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स यानी IRGC के जनरल मोहसिन रेजाई ने दावा किया कि अगर ईरान पर परमाणु हमला हुआ, तो पाकिस्तान भी इजराइल पर परमाणु हमला करेगा। ईरान के इस दावे ने ‘इस्लामिक बम’ की थ्योरी को फिर सुर्खियों में ला दिया है। पूरी खबर पढ़ें…