‘भगवंत मान पंजाब में केजरीवाल की पहली पसंद कभी थे ही नहीं। दूसरी पसंद का राज्य में स्कोप नहीं था। इसलिए CM की कुर्सी भगवंत मान को सौंपने के अलावा कोई विकल्प नहीं था।’ आम आदमी पार्टी के एक पूर्व पदाधिकारी ये बात पूरे दावे से कहते हैं।
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पंजाब में भगवंत मान आम आदमी पार्टी का सबसे लोकप्रिय चेहरा हैं। पार्टी में दैनिक भास्कर के एक सोर्स बताते हैं, अब अरविंद केजरीवाल भगवंत मान की ताकत कम करने में जुटे हैं। केजरीवाल और भगवंत मान के रिश्ते अरविंद केजरीवाल के जेल जाने और लोकसभा चुनाव के लिए फंड न मिल पाने से ज्यादा बिगड़ गए।
सोर्स के मुताबिक, लोकसभा चुनाव के बाद इसका असर दिखने भी लगा है। केजरीवाल ने भगवंत मान पर लगाम कसनी शुरू कर दी है। इसके लिए दिल्ली से दो खास लोगों को बड़ी जिम्मेदारी देकर पंजाब भेजने की तैयारी है।
इनमें एक विजय नायर हैं, जो पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के करीबी हैं। वहीं दूसरे बिभव कुमार हैं, जो अरविंद केजरीवाल के सबसे भरोसेमंद लोगों में से एक हैं। ये दोनों हाल में जेल से छूटे हैं।
अब दो सवाल हैं…
1. क्या पंजाब में भगवंत मान की ताकत कम करने की कोशिश हो रही है?
2. क्या दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले केजरीवाल पंजाब में पकड़ मजबूत कर रहे हैं, ताकि चुनाव में फंड और रिसोर्स के मामले में पार्टी कमजोर न पड़े।
हमने इन सवालों के जवाब पाने के लिए आम आदमी पार्टी में अपने अलग-अलग सोर्स से बात की। पढ़िए ये रिपोर्ट…
तस्वीर 13 अक्टूबर की है। जम्मू-कश्मीर के डोडा में AAP कैंडिडेट की जीत के बाद दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल, संजय सिंह और पंजाब के सीएम भगवंत मान पब्लिक रैली में पहुंचे।
सबसे पहले बात बिभव कुमार की… स्वाति मालीवाल से मारपीट के आरोपी, प्रमोशन देने की तैयारी सोर्सेज के मुताबिक, बिभव कुमार को पंजाब सरकार में अहम पद देने की तैयारी हो चुकी है। उन्हें सीएम भगवंत मान का चीफ एडवाइजर या फिर ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी यानी OSD बनाने की इंटरनल प्रोसेस लगभग पूरी हो चुकी है।
बिभव कुमार अरविंद केजरीवाल के भरोसेमंद लोगों में से एक हैं। केजरीवाल के घर स्वाति मालीवाल से बदसलूकी के आरोप में बिभव जेल गए थे। इसके बाद उन्होंने पूरे मामले में चुप्पी साधे रखी। उनका ये कदम पूर्व सीएम के पक्ष में गया।
उन्हें दिल्ली सरकार में PA रखने पर सवाल उठते और विपक्ष को मौका मिल जाता। इसलिए केजरीवाल ने उन्हें पंजाब में बड़ी जिम्मेदारी देने का फैसला लिया है। इस नियुक्ति से दो मकसद पूरे होंगे। पहला बिभव कुमार को दोबारा बड़ी जिम्मेदारी मिल जाएगी और दूसरा उनके जरिए CM भगवंत मान पर कंट्रोल किया जा सकेगा।
केजरीवाल की आंख-कान थे बिभव, पार्टी के फाउंडर मेंबर भी बिभव कुमार पार्टी के फाउंडर मेंबर्स में से एक हैं। केजरीवाल के आंख कान की तरह हमेशा एक्टिव रहते थे। स्वाति मालीवाल केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बिभव जब तक आरोपी हैं, तब तक वे दिल्ली के CM हाउस नहीं जा सकते। इसके अलावा PA के पद पर उनकी बहाली नहीं की जा सकती है।
सोर्स बताते हैं, बिभव पद पर रहे या न रहें, केजरीवाल के आंख-कान बने रहेंगे। अब केजरीवाल भी मुख्यमंत्री नहीं हैं। बिभव सिर्फ केजरीवाल के PA ही नहीं थे, बल्कि वे विधायकों और काउंसलर्स को सीधे निर्देश देते थे। अब पंजाब में वे यही काम करेंगे। साथ ही वहां पार्टी पर अपनी पकड़ मजबूत करेंगे।
अब बात विजय नायर की… पंजाब के CM की टीम में संभालेंगे नई जिम्मेदारी विजय नायर पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के करीबी हैं। सोर्सेज के मुताबिक, मनीष सिसोदिया की ओर से विजय नायर का नाम पंजाब में खास पोजिशन के लिए प्रपोज किया गया था। ये प्रपोजल मंजूर भी कर लिया गया है।
विजय नायर शराब घोटाला केस में 23 महीने जेल में रहे थे। दिसंबर, 2022 में ED ने उनके खिलाफ शराब घोटाला केस में चार्जशीट दाखिल की थी।
इस केस में आरोपी अमित अरोड़ा की रिमांड कॉपी में ED ने दावा किया था कि AAP नेताओं के लिए विजय नायर और दूसरे लोगों को ‘साउथ ग्रुप’ ने 100 करोड़ की रिश्वत दी थी। विजय नायर जेल जाने से पहले आम आदमी पार्टी में कम्युनिकेशन हेड थे। फिलहाल उनके पास कोई पद या जिम्मेदारी नहीं है।
फंड रेजर और इवेंट मैनेजर रहे, अब दिल्ली चुनाव में मिलेगी मदद विजय नायर को 27 सितंबर, 2022 को दिल्ली शराब घोटाला केस में गिरफ्तार किया गया। इस केस में ये पहली गिरफ्तारी थी। जांच एजेंसी के हाथ शराब घोटाले की सबसे पहली कहानी नायर के जरिए ही सामने आई।
विजय नायर AAP से 2014-15 से जुड़े हुए हैं। तब उनका प्रोफाइल सोशल मीडिया स्ट्रैटजिस्ट, फंड रेजर और पार्टी के लिए इवेंट मैनेजर का था। 2019 में नायर का प्रोफाइल बदला और उन्हें कैंपेनिंग का जिम्मा दिया गया। विजय नायर इस काम में भी अच्छे नंबरों से पास हुए। लिहाजा, 2020 में उनका प्रमोशन हो गया।
इसके बाद वे एडवाइजर के तौर पर भी पार्टी में स्थापित हो गए। पॉलिसी मैटर, चुनाव प्रचार और घोषणा पत्र में भी उनका दखल शुरू हो गया। अब दिल्ली में विधानसभा चुनाव को 3-4 महीने ही बचे हैं। ऐसे में विजय नायर पंजाब में अहम पद पर रहते हुए फंड रेजर, इलेक्शन स्ट्रैटजिस्ट और सोशल मीडिया कैंपेनिंग का मोर्चा संभालेंगे।
आम आदमी पार्टी के लिए दोनों क्यों जरूरी दिल्ली में फरवरी तक विधानसभा चुनाव हो सकते हैं। पार्टी के बड़े नेता कई महीनों तक जेल में रहे। विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी के सामने चुनौती है कि वो एंटी इनकम्बेंसी खत्म करने के लिए मजबूत स्ट्रैटजी बनाए। चुनाव में फंड की जरूरत भी होगी। ऐसे में बिभव कुमार और विजय नायर अहम हो जाते हैं।
सोर्सेज के मुताबिक, दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार के पास भले ही फंड और दूसरे रिसोर्स की कमी हो, लेकिन पंजाब में इसकी कमी नहीं है। दिल्ली चुनाव में पंजाब सरकार की ताकत और फंड को कैसे दिल्ली में लगाया जाए, बिभव कुमार और विजय नायर इसी रणनीति पर काम करेंगे।
एक साल में भगवंत मान के दो करीबी अधिकारियों की विदाई पंजाब CM के OSD हटाए गए भगवंत मान के OSD और उनके खास लोगों में से एक ओंकार सिंह को 23 अगस्त, 2024 को हटा दिया गया। ओंकार सिंह, भगवंत मान के बेहद करीबी माने जाते हैं। मान की सीट धुरी में वे बहुत एक्टिव थे। मान के CM बनने बाद उनकी सीट का सारा काम ओंकार के जिम्मे ही था।
इस सीट को जिताने के लिए मान की पत्नी गुरप्रीत कौर लगातार फील्ड में थी। गुरप्रीत कौर के लिए रणनीति बनाने और उसे एग्जीक्यूट करने का काम ओंकार सिंह के ही जिम्मे था। सोर्स बताते हैं कि ओंकार सिंह भगवंत मान के आगे दिल्ली के CM और उनकी टीम की नहीं सुनते थे।
हालांकि मीडिया रिपोर्ट्स में उन्हें हटाने की वजह काम में लापरवाही बताई गई। कहा गया कि एक अहम फाइल के मामले में लापरवाही बरतने पर ओंकार सिंह को हटाया गया। सोर्स के मुताबिक, ये फाइल दिल्ली के किसी ऑर्डर की थी, जिसे सही समय पर CM तक नहीं पहुंचाया गया।
OSD भी हटाए गए, वजह अब तक साफ नहीं जनसंपर्क विभाग में OSD रहे मंजीत सिंह सिद्धू को 2023 में हटाया गया था। वे भगवंत मान के बेहद करीबी बताए जाते हैं। हालांकि मंजीत सिंह सिद्धू को केजरीवाल की गिरफ्तारी से पहले ही हटा दिया गया था।
कहा जाता है कि सिद्धू भी दिल्ली के मुखिया और उनकी टीम को खटकते थे। इसके अलावा भी CM भगवंत मान के स्टाफ में लगातार बदलाव हो रहे हैं। सोर्स के मुताबिक, खाली हुए इन्हीं दो पदों पर बिभव कुमार और विजय नायर बैठेंगे। इससे पंजाब की हर बात दिल्ली तक पहुंचती रहेगी।
आतिशी के शपथ ग्रहण समारोह में भगवंत मान को नहीं मिला न्योता आतिशी के शपथ ग्रहण समारोह से भी पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान नहीं पहुंचे थे। उम्मीद की जा रही थी कि केजरीवाल उन्हें बुलाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। भगवंत मान को न्योता तक न देना केजरीवाल का कड़ा मैसेज था।
आतिशी ने 21 सितंबर को दिल्ली की 9वीं मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। उन्होंने शिक्षा, PWD और वित्त समेत 13 विभाग अपने पास रखे।
दरअसल, पंजाब का CM बनने के बाद से कई मोर्चों पर भगवंत मान ने दिल्ली को निराश किया। केजरीवाल और पार्टी के बड़े नेताओं की गिरफ्तारी का असर पंजाब में नहीं दिखा। गिरफ्तारी पर वहां न तो कोई बड़ा विरोध-प्रदर्शन हुआ, ना ही दिल्ली में विरोध जताने के लिए नेताओं का कोई बड़ा जत्था पहुंचा।
सोर्स बताते हैं कि लोकसभा चुनाव में पंजाब सरकार से फंड के तौर पर पार्टी को कोई खास मदद नहीं मिली। माना जा रहा है कि आतिशी के शपथ समारोह में भगवंत मान को न्योता न देने के पीछे यही बड़ी वजह रही।
भगवंत मान की जगह दूसरे CM को नियुक्त करने की अफवाह पंजाब में भगवंत मान की जगह दूसरे CM को नियुक्त करने की खबर भी मीडिया में आई। सोर्स बताते हैं कि ये खबर भी आम आदमी पार्टी की दिल्ली की सोशल मीडिया टीम के जरिए उड़वाई गई थी। दरअसल भगवंत मान बीमारी के कारण हॉस्पिटल में एडमिट थे।
भगवंत मान को मोहाली के एक निजी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। उनके फेफड़ों की एक आर्टरी में सूजन थी, जिससे हार्ट पर प्रेशर पड़ रहा था।
केजरीवाल इस खबर के जरिए ये जानना चाहते थे कि मान को अगर सच में रिप्लेस किया जाए तो पंजाब में क्या प्रतिक्रिया होगी। इस खबर को न तो आम आदमी पार्टी ने मंजूरी दी और न ही इसका खंडन किया। ………………………………
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1. आतिशी विधायकों की पसंद नहीं, केजरीवाल के वीटो से CM बनीं
दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल के घर विधायक दल की बैठक थी। केजरीवाल आतिशी के नाम का प्रस्ताव रख चुके थे। नाम सुनकर कुछ विधायकों ने सहमति में हां कहा, तो कुछ चुप रहे। 30 मिनट चली मीटिंग में यही हुआ। न नए CM के नाम पर चर्चा हुई, न सलाह मशविरा किया गया, बस फैसला सुना दिया गया। आतिशि को CM चुनने की इनसाइड स्टोरी…पढ़िए ये रिपोर्ट