Saturday, June 14, 2025
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क्या पायलट को लगेज का गलत वजन बताया गया: टॉप एविएशन एक्सपर्ट से जानिए, अहमदाबाद विमान क्रैश से उठे हर जरूरी सवाल का जवाब


अहमदाबाद में एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 क्रैश होने के बाद से कयासों का दौर जारी है। विमान के इंजन फेल होने से फ्लैप और नोज के एंगल तक पर सवाल उठ रहे। कुछ लोगों ने तो यहां तक कह दिया कि अचानक एक यात्री ने इमरजेंसी विंडो खोल दी, जिससे हादसा हो गया।

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दैनिक भास्कर इन सभी कयासों और सवालों के साथ एविएशन सेफ्टी के टॉप एक्सपर्ट ग्रेग फेथ के पास पहुंचा, जिन्हें ऐसे कॉम्प्लेक्स विमान हादसों की जांच का लंबा अनुभव है। ग्रेग अमेरिका की नेशनल ट्रांसपोर्टेशन सेफ्टी बोर्ड (NTSB) में सीनियर एयर सेफ्टी इन्वेस्टिगेटर रह चुके हैं। उनसे बात की है भास्कर संवाद्दाता उत्कर्ष कुमार सिंह ने…

सवाल-1: 12 जून को अहमदाबाद में जिस तरह से बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर क्रैश हुआ, आपको क्या वजह लगती है?

जवाब: इंटरनेट पर उपलब्ध दो वीडियो से साफ है कि विमान में परफॉर्मेंस की समस्या थी। चालक दल को विमान उड़ान भरने के लिए 11,500 फीट के पूरे रनवे का उपयोग करना पड़ा, जो असामान्य है। इतनी गर्मी में भी इतने लंबे रनवे की जरूरत नहीं होनी चाहिए थी।

सवाल यह है कि विमान को इतना रनवे क्यों चाहिए था और टेक-ऑफ के के बाद भी विमान क्यों नहीं उड़ा पाया? यह विमान की कॉन्फिगरेशन से जुड़ा हो सकता है- जैसे कि फ्लैप्स की स्थिति या इंजन की थ्रस्ट सेटिंग।

ये सेटिंग्स फ्लाइट मैनेजमेंट कंप्यूटर द्वारा कैलकुलेट की जाती हैं और अगर कैलकुलेशन गलत थी, तो प्लेन की स्पीड और फ्लैप सेटिंग भी गलत हो सकती थी, जिससे उड़ान भरने के बाद पायलट्स एयरप्लेन से कंट्रोल खो बैठे।

सवाल-2: आपने फ्लैप सेटिंग का जिक्र किया, वीडियोज में आपको फ्लैप सेटिंग में क्या गड़बड़ी दिखी?

जवाब: बोइंग 787 में फ्लैप्स पीछे की ओर खिसकते हैं, नीचे की ओर नहीं। वीडियो में ऐसा नहीं लगता कि फ्लैप्स नीचे हैं, बल्कि वे फैले हुए हैं। अगर फ्लैप्स और स्लैट्स सही स्थिति में नहीं थे, तो पायलट को ऑडियो और विजुअल अलर्ट मिलता, जो उन्हें बताता कि विमान टेकऑफ के लिए तैयार नहीं है। इसलिए, चालक दल ने बिना फ्लैप्स और स्लैट्स के टेकऑफ शुरू नहीं किया होगा।

हो सकता है कि सेटिंग सही न हों, क्योंकि कंप्यूटर सिर्फ यह जांचता है कि पायलट ने फ्लैप को किसी स्थिति में नीचे रखा है या नहीं।

सवाल-3: तो आप कह रहे हैं कि उड़ान के लिए विमान की सेटिंग सही नहीं थी?

जवाब: हां, यह संभव है। फ्लैप सेटिंग और थ्रस्ट सेटिंग विमान के वजन पर आधारित होती हैं। अगर फ्लाइट मैनेजमेंट कंप्यूटर में गलत वजन दर्ज किया गया हो, तो फ्लैप और थ्रस्ट सेटिंग गलत हो सकती हैं, जिससे विमान के लिए पर्याप्त थ्रस्ट न मिला हो।

सवाल-4: अगर विमान तैयार नहीं था, तो उसे उड़ने की अनुमति कैसे मिली? इसके लिए कौन जिम्मेदार है?

जवाब: एयरलाइन संचालन में कई हिस्से शामिल होते हैं। कार्गो, यात्री और ईंधन के आधार पर विमान का कुल वजन तय किया जाता है। यह जानकारी पायलट को दी जाती है। वो इसे फ्लाइट मैनेजमेंट कंप्यूटर में दर्ज करते हैं। कंप्यूटर तापमान और रनवे के आधार पर फ्लैप और थ्रस्ट सेटिंग की कैलकुलेशन करता है।

हो सकता है कंपनी ने अतिरिक्त सामान का हिसाब न लगाया हो और गलत वजन की जानकारी दे दी हो। ऐसे में कंप्यूटर ने उसी डेटा के आधार पर फ्लैप और थ्रस्ट की गलत सेटिंग्स बता दी।

अगर कंपनी के आंकड़े सही थे, तो हो सकता है पायलटों ने गलत डेटा दर्ज किया हो। जांचकर्ताओं को यह पता लगाना होगा कि विमान में वजन का कैलकुलेशन सही थी या नहीं।

सवाल-5: चर्चा है कि टेकऑफ के दौरान दोनों इंजन फेल हो गए, क्या यह संभव है?

जवाब: दोनों इंजनों का एक साथ फेल होना, खासकर टेकऑफ के दौरान, बहुत रेयर है। इसके लिए दोनों इंजनों में कोई एक जैसी समस्या होनी चाहिए। जैसे- ईंधन की दिक्कत। अगर ईंधन में अशुद्धि थी या विमान में फ्यूल मैनेजमेंट की समस्या थी, तो इंजन फेल हो सकते हैं।

हालांकि वीडियो में टेकऑफ के बाद इंजन से धूल उड़ती दिख रही है। यानी जब विमान उड़ान भर रहा था, तो दोनों इंजन थ्रस्ट पैदा कर रहे थे। अगर दोनों इंजन फेल हो गए होते, तो पायलट प्लेन की नोज को इतना ऊंचा नहीं रखते। वे नोज को नीचे करके एयर स्पीड बनाए रखते, क्योंकि एयर स्पीड ही विमान को नियंत्रण में रखती है।

सवाल-6: क्या आपको प्लेन की नोज एंगल में कोई गड़बड़ी दिखी?

जवाब: टेकऑफ के दौरान नोज का एंगल (पिच एटिट्यूड) 10-12 डिग्री था, जो सामान्य है। असामान्य बात यह थी कि जब विमान लगभग 625 फीट की अपनी अधिकतम ऊंचाई पर पहुंचा और नीचे गिरना शुरु हुआ तो विमान का नोज एंगल और बढ़ गया। यह शायद पायलट की कोशिश थी कि विमान को नीचे गिरने से रोके।

सवाल-7: बोइंग 787 के साथ पहले भी बैट्री और मैनुफैक्चरिंग डिफेक्ट की शिकायतें रही हैं। क्या आप इन्हें इस दुर्घटना से जोड़कर देख रहे?

जवाब: जब किसी दुर्घटना की जांच होती है, तो हर चीज को ध्यान में रखा जाता है। बैट्री की पुरानी समस्याएं तात्कालिक कारण नहीं हो सकतीं, लेकिन जांचकर्ता यह देखेंगे कि क्या कोई इलेक्ट्रिकल प्रॉब्लम थी।

एक वीडियो में दिखा कि दुर्घटना से कुछ घंटे पहले विमान में इलेक्ट्रिकल प्रॉब्लम थीं। जांचकर्ता यह देखेंगे कि क्या यह दुर्घटना का कारण तो नहीं या उसमें किसी तरह से कंट्रीब्यूट तो नहीं किया।

आकाश वत्स नाम के यूजर ने दावा किया है कि उसने दो घंटे पहले उसी विमान से दिल्ली से अहमदाबाद तक की यात्रा की थी। फ्लाइट के टच स्क्रीन और एसी काम नहीं कर रहे थे।

आकाश वत्स नाम के यूजर ने दावा किया है कि उसने दो घंटे पहले उसी विमान से दिल्ली से अहमदाबाद तक की यात्रा की थी। फ्लाइट के टच स्क्रीन और एसी काम नहीं कर रहे थे।

इंटरनेट पर मौजूद वीडियोज के अलावा, फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर, कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर, और विमान से बोइंग, जनरल इलेक्ट्रिक, और एयर इंडिया को भेजा गया डेटा जांच में मदद करेगा। ग्राउंड पर प्लेन की सभी फेजेज में जांच होती है, उसका डेटा भी इस्तेमाल होगा।

सवाल-8: भारत में अक्सर विमानों में स्क्रीन जैसी इलेक्ट्रिकल डिवाइसेज काम नहीं करतीं। क्या इसका दुर्घटना से कोई संबंध हो सकता है?

जवाब: स्क्रीन का काम न करना सीधे दुर्घटना का कारण नहीं है, लेकिन यह रखरखाव की व्यवस्था पर सवाल उठाता है। अगर छोटी समस्याओं को ठीक नहीं किया गया, तो बड़े मुद्दों की अनदेखी की संभावना हो सकती है।

जांचकर्ता रखरखाव के रिकॉर्ड्स की जांच करेंगे कि क्या कोई अनसुलझी समस्या थी जो प्लेन की परफॉर्मेंस को प्रभावित कर सकती थी। हवाई जहाज को काम न करने वाली वीडियो स्क्रीन के साथ उड़ने दिया जाता है, तो उस हवाई जहाज पर और क्या टूटा हुआ है जिसे ठीक नहीं किया गया है?

सवाल-9: अगर दोनों इंजन फेल हो जाएं, तो क्या विमान और यात्रियों के लिए बचाव का कोई रास्ता होता है?

जवाब: हां, अगर दोनों इंजन फेल हो जाएं, फिर भी पायलट विमान को नियंत्रित कर सकते हैं। 2009 के ‘मिरैकल ऑन द हडसन’ में, न्यूयॉर्क के लागार्डिया एयरपोर्ट से उड़ान भरने वाले एयरबस के पायलट ने पक्षियों के झुंड से टकराने के बाद विमान को हडसन नदी में सुरक्षित उतारा था। इंजन बंद नहीं हुए थे, लेकिन वे विमान को उड़ाने के लिए जरूरी थ्रस्ट पैदा करने में सक्षम नहीं थे।

कैप्टन सुलेनबर्गर ने नियंत्रित परिस्थितियों में विमान को नीचे उतारने का विकल्प चुना। इंजन में पॉवर के बिना भी वो विमान को उड़ाने में सक्षम हुए। इसलिए यदि पायलट विमान पर नियंत्रण बनाए रखने में सक्षम हैं, तो वे विमान को नियंत्रित तरीके से खुली जगह पर नीचे उतार सकते हैं। लेकिन अहमदाबाद में एयरपोर्ट के पास घनी आबादी के कारण पायलट के पास खुली जगह नहीं थी, जिसने उनके बचने की संभावना कम कर दी।

सवाल-10: यानी प्लेन की ऊंचाई और आसपास की आबादी ने सुरक्षित लैंडिंग को प्रभावित किया?

जवाब: अगर हवाई जहाज ज्यादा ऊंचाई पर होता तो पायलट को हवाई जहाज को दूसरी जगह ले जाने का बेहतर मौका मिल जाता। जैसा कि हमने कोरिया के जेजू 737 विमान हादसे के दौरान देखा, पक्षियों के झुंड से टकराने के बाद उनके इंजन में समस्या आई, लेकिन वो वे लैंडिंग के लिए हवाई अड्डे का चक्कर लगाने में सक्षम रहे। दुर्भाग्य से, उन्होंने कई निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया और प्लेन क्रैश हो गया। इसलिए ऊंचाई महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पायलटों को बेस्ट एक्शन लेने का समय देती है।

जब हवाई जहाज बहुत मजबूत स्ट्रक्चर जैसे कंक्रीट की इमारतों से टकराता है, तो जीवित रहने की संभावना कम हो जाती है। लेकिन अगर वह हवाई जहाज खुले मैदान में उतरा होता, तो लोगों के बचने की संभावना बढ़ जाती। जैसा हमने सैन फ्रांसिस्को में एशियाना 777 क्रैश में देखा था। हवाई जहाज रनवे से नीचे गिर गया, इंजन और लैंडिंग गियर टूट गए लेकिन सभी लोग बच गए क्योंकि विमान का वो हिस्सा सुरक्षित रहा जहां पैसेंजर और क्रू थे।

सवाल-11: अब तक कितने बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर प्लेन दुर्घटना का शिकार हुए हैं?

जवाब: बोइंग 787 का इस्तेमाल 12-15 साल से हो रहा है और दुनिया भर में लगभग 1,100 बोइंग 787 सर्विस में हैं। बोइंग का 737 तो कई बार क्रैश हो चुका है, लेकिन 787 विमान क्रैश होने की यह पहली घटना है।

जांचकर्ता यह देखेंगे कि क्या डिजाइन, निर्माण या संचालन में कोई कमी थी या यह एयरलाइन और पायलटों की गलती थी। यह जानकारी जल्दी मिलने से भविष्य में ऐसी दुर्घटना को रोका जा सकता है। पायलट अभी भी दुनिया भर में इन विमानों को उड़ा रहे हैं, और हम कभी भी इस तरह की कोई दुर्घटना नहीं देखना चाहते हैं।

सवाल-12: चूंकि आप खुद एक सीनियर एयर सेफ्टी इंवेस्टिगेटर रहे हैं, आप इस मामले की जांच कैसे करते?

जवाब: सबसे पहले मैं जल्दी खराब होने वाले साक्ष्य इकट्ठा करता, जैसे वीडियो, कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर, और फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर। मैं इंटरनेट पर मौजूद वीडियोज के साथ ही एयरपोर्ट पर लगे तमाम कैमरों के वीडियो देखता, जो कई पहलू दे सकते हैं।

इंजन की परफॉर्मेंस के डेटा से पता करता कि इंजन सामान्य रूप से काम कर रहे थे या उनमें से एक या दोनों फेल हो गए थे। मलबे की जांच से यह पुष्टि होती कि कोई मैकेनिकल खराबी थी या नहीं। फिर मलबे से ये जांचता कि विमान के किसी स्ट्रक्चर या सिस्टम में कोई मेकैनिकल मैलफंक्शन या फेलियर था या नहीं।

सवाल-13: हवाई जहाज का मलबा बुरी तरह नष्ट दिख रहा है। क्या इससे जांच में परेशानी होगी?

जवाब: इंवेस्टिगेटर फोरेंसिक तरीके से काम करते हैं। वे छोटे-छोटे टुकड़ों की भी जांच करते हैं। जैसे वाल्व, इंजन और फ्लैप्स की जैक स्क्रू। यह देखने के लिए कि क्या वे सामान्य थे।

इंजन के फिजिकल निशान बताते हैं कि इम्पैक्ट के समय वह कितनी पावर जनरेट कर रहे थे। सभी पार्ट्स को देखा जाता है कि क्या कोई असामान्य चीज है जो विमान के सामान्य संचालन को बाधित या रोक सकती थी। फिर इसकी तुलना फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर के डेटा से करते हैं जिससे असामान्यताओं का पता चलता है।

सवाल-14: क्या ये संभव है कि इमरजेंसी गेट के पास बैठे पैसेंजर ने गेट खोलने की कोशिश की हो, जिससे दुर्घटना हुई?

जवाब: नहीं, यह संभव नहीं है। बोइंग 787 के इमरजेंसी गेट ‘प्लग डोर’ होते हैं, जिन्हें दबाव के कारण उड़ान के दौरान खोलना असंभव है। जीवित बचे व्यक्ति का बचना चमत्कार और रहस्य दोनों है। वह शायद नहीं जानता कि वह कैसे बाहर निकला। जो उसके बगल में बैठे थे, मर गए। यह सब क्रैश डायनामिक्स, इम्पैक्ट फोर्सेज और प्लेन किस चीज से टकरा रहा है, इस पर निर्भर करता है।

सवाल-15: जांचकर्ताओं को सबूत इकट्ठा करने और किसी नतीजे पर पहुंचने में कितना समय लगेगा?

जवाब: जांच दो चरणों में होती है। पहला चरण तत्काल साक्ष्य और जानकारी इकट्ठा करना है ताकि एयर सेफ्टी के लिए कोई खतरा हो तो तुरंत सुधार हो सके। यह जानकारी अगले 7-10 दिनों में मिल सकती है।

इसके साथ ही, घटना के सभी प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष कारणों और पहलुओं की विस्तृत जांच होगी, जो 18-24 महीनों में पूरी हो सकती है। अगले 48 घंटों में महत्वपूर्ण डेटा मिलने की उम्मीद है।

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