Thursday, April 24, 2025
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क्या सच में नजर लगती है या यह सिर्फ एक भ्रम है? इसे लेकर क्या कहा प्रेमानंद महाराज ने, जानें यहां


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Premanand Ji Maharaj : अक्सर आपने माता-पिता को अपने बच्चों की नजर उतारते देखा होगा. लेकिन कुछ लोगों के मन में सवाल आता होगा कि क्या नजर सच में लगती है या ये सब एक भ्रम है.

प्रेमानंद जी महाराज

हाइलाइट्स

  • प्रेमानंद जी ने नजर लगने को भ्रम बताया.
  • नजर उतारना प्रेम और चिंता की अभिव्यक्ति है.
  • असली शक्ति हमारी सोच और भावना में है.

Premanand Ji Maharaj : वृंदावन के संत प्रेमानंद जी महाराज का नाम आज उन संतों में आता है जिनकी बातों में ना केवल आध्यात्मिक गहराई होती है, बल्कि उनमें जीवन के छोटे छोटे सवालों के बड़े साफ़ और सधे जवाब भी होते हैं. सोशल मीडिया पर उनके प्रवचन के वीडियो खूब देखे जाते हैं और लोगों के दिलों को छू जाते हैं. ऐसा ही एक वीडियो इन दिनों चर्चा में है, जिसमें एक भक्त ने प्रेमानंद जी महाराज से सवाल किया “महाराज, क्या नजर लगती है? क्या नजर उतारना सही है या ये सब केवल अंधविश्वास है?”

इस सवाल का जवाब प्रेमानंद जी ने बहुत ही सादे और सीधे शब्दों में दिया. उन्होंने कहा कि जब हमें कोई बहुत प्रिय होता है, तो हमारे मन में ये डर होता है कि कहीं उसके साथ कुछ गलत ना हो जाए. यही डर हमें उसे नजर से बचाने के लिए कुछ करने पर मजबूर करता है. हम उसकी नजर उतारते हैं, कभी काला टीका लगाते हैं, तो कभी हाथ में नमक या मिर्च घुमा कर जलाते हैं. ये सब दरअसल हमारी भावना होती है, हमारी चिंता और हमारे प्यार की अभिव्यक्ति होती है.

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उन्होंने कहा कि जब यशोदा मइया श्रीकृष्ण की नजर उतारती थीं, तो वो कोई टोना टोटका नहीं था, बल्कि एक मां का अपने लाड़ले के लिए प्रेम का तरीका था. प्रेमानंद जी बोले “जब हम अपने प्रिय की नजर उतारते हैं, बलिहारी जाते हैं, तो वो सिर्फ एक भाव होता है. और जिस श्रीकृष्ण की नजर से संसार चलता है, जो सबका भला सोचते हैं, उन्हें किसी की नजर क्या लगेगी? ये सोचने वाली बात है.”

इसके बाद उन्होंने बड़ी सहजता से समझाया कि नजर जैसी कोई शक्ति नहीं होती जो किसी को नुकसान पहुंचा दे. हमारे अपने विचार, भावना और सोच ही असली ताकत होती है. अगर हम नकारात्मक सोच रखते हैं, डरते हैं, तो वैसे ही अनुभव करते हैं. लेकिन अगर मन में सच्चा प्रेम और सकारात्मक सोच हो, तो कोई नजर या बाहरी असर हमें छू भी नहीं सकता.

महाराज जी का कहना था कि नजर लगना कोई सच्चाई नहीं है, ये एक भ्रम है जो पीढ़ी दर पीढ़ी चला आ रहा है. और नजर उतारना भी कोई समाधान नहीं, बस एक तरीका है जिससे हम अपने मन को शांत करते हैं.





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