Last Updated:
Significance Of Shakha Pola : ‘शाखा पोला’ सिर्फ एक आभूषण नहीं, बल्कि एक लाइफ स्टाइल और कल्चर का प्रतीक है. यह हर विवाहित महिला के लिए एक महत्वपूर्ण और पवित्र परंपरा है, जो न सिर्फ उसकी वैवाहिक स्थिति को पहचान द…और पढ़ें
शाखा पोला का महत्व
हाइलाइट्स
- शाखा पोला विवाहित महिलाओं की महत्वपूर्ण परंपरा है.
- बंगाल, असम और उड़ीसा में शाखा पोला का विशेष महत्व है.
- शाखा सफेद शंख और पोला लाल मूंगे की चूड़ी होती है.
Significance Of Shakha Pola : भारत में विवाह के बाद हर महिला का जीवन एक नई शुरुआत करता है. इस नए अध्याय की शुरुआत में कुछ खास परंपराएं निभाई जाती हैं, जो न सिर्फ सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा हैं, बल्कि एक पत्नी के रूप में महिला की जिम्मेदारियों को भी दर्शाती हैं. ऐसी ही एक खास परंपरा है ‘शाखा पोला’, जिसे खासतौर पर बंगाल, असम और उड़ीसा में देखा जाता है. यह एक तरह की चूड़ी है, जिसे विवाह के बाद विवाहित महिलाओं के हाथों में पहना जाता है. आइए जानते हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलसाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से कि यह परंपरा क्यों महत्वपूर्ण है और इसकी धार्मिक और सांस्कृतिक स्थिति क्या है.
शाखा पोला क्या है?
शाखा पोला दो अलग-अलग चूड़ियों का मिश्रण होता है. ‘शाखा’ एक सफेद शंख से बनी चूड़ी होती है, जबकि ‘पोला’ लाल मूंगे की चूड़ी होती है. ये चूड़ियां एक साथ पहनी जाती हैं और विशेष रूप से बंगाली समाज में विवाह के बाद महिलाएं इन्हें पहनती हैं. यह दोनों चूड़ियां महिला के वैवाहिक जीवन का प्रतीक मानी जाती हैं.
यह भी पढ़ें – हर मंदिर पर लहराता झंडा त्रिभुज आकार का ही क्यों होता है? किस वजह से नहीं होता गोल या चौकोर? वास्तु शास्त्र से है संबंध
परंपरा और सामाजिक महत्व
शाखा पोला पहनने की परंपरा खासकर बंगाल, उड़ीसा और असम में प्रचलित है. यहां शादी के बाद, लड़की को यह चूड़ियां दी जाती हैं, जो उसकी विवाहिता स्थिति को दर्शाती हैं. यह न सिर्फ एक परंपरा है, बल्कि विवाह के बाद महिला के जीवन में आए बदलाव को स्वीकार करने और सम्मान देने का एक तरीका भी है. यह चूड़ियां विवाहिता के सामाजिक रूप से जिम्मेदार होने की ओर संकेत करती हैं और उसके जीवन में नए रिश्तों के रूप में आई जिम्मेदारियों को स्वीकार करने का प्रतीक मानी जाती हैं.
धार्मिक महत्व
शाखा पोला पहनने का धार्मिक दृष्टिकोण भी खास है. इसे पवित्रता और ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है. सफेद शंख से बनी ‘शाखा’ शुद्धता और पवित्रता का संकेत है, जबकि लाल मूंगे से बनी ‘पोला’ जीवन की ऊर्जा और शक्ति का प्रतीक मानी जाती है. इस परंपरा के अनुसार, जब महिला यह चूड़ियां पहनती है, तो उसका जीवन नकारात्मक ऊर्जा से मुक्त होता है और वह अपने परिवार के सुख और शांति के लिए शुभकामनाएं प्राप्त करती है. इसके अलावा, यह पति की लंबी उम्र और स्वस्थ जीवन की कामना भी करती है.
यह भी पढ़ें – ईविल आई से परेशान है आपका लाड़ला? नजर उतारने के लिए बेस्ट हैं सप्ताह के ये 3 दिन, एक्सपर्ट से जानें सही समय और विधि
क्यों है यह परंपरा महत्वपूर्ण?
यह परंपरा सिर्फ एक सांस्कृतिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि एक गहरे विश्वास से जुड़ी हुई है. यह महिला को उसकी नई पहचान की याद दिलाती है. विवाह के बाद महिला के कंधों पर परिवार की जिम्मेदारियां होती हैं और यह चूड़ियां उसे यह एहसास दिलाती हैं कि अब वह एक पत्नी के रूप में नए जीवन में प्रवेश कर चुकी है. यह उसे अपने परिवार की समृद्धि और पति की दीर्घायु के लिए प्रार्थना करने की दिशा में प्रेरित करती है.
March 18, 2025, 09:15 IST
क्या है शाखा पोला? बंगाल, असम और उड़िसा में क्यों है इतनी खास, जानें महत्व