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क्रैश से 3 सेकंड पहले वीडियो में कुछ अजीब दिखा: टेक ऑफ में कहां हुई गड़बड़ी; RAT सिस्टम और इंजन बंद होने पर एक्सपर्ट की राय


अहमदाबाद3 मिनट पहलेलेखक: सारथी एम. सागर

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एक वीडियो में बोइंग का रैट सिस्टम। दूसरा अहमदाबाद क्रैश से ठीक पहले का वीडियो है।

अहमदाबाद में 12 जून को एअर इंडिया का प्लेन क्रैश क्यों हुआ? इस सवाल का जवाब खोजने के लिए नौ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने जांच शुरू कर दी है। इस जांच में एक किशोर का छत से बनाया गया 19 सेकेंड का वीडियो अहम भूमिका निभा सकता है।

हमने हादसे को लेकर भारतीय वायुसेना से ग्रुप कैप्टन के पद से रिटायर हुए और अभी वीवीआईपी के लिए विमान उड़ाने वाले मोहित चतुर्वेदी से बातचीत की।

उन्होंने विमान हादसे के 3 सेकेंड पहले के वीडियो में एक अजीब बात देखी। यह था विमान के रैम एयर टर्बाइन (RAT) का बाहर आना। उनके अनुसार यह विमान के सभी इंजन फेल होने की थ्योरी की ओर इशारा करता है।

ग्रुप कैप्टन मोहित चतुर्वेदी के अनुसार, क्रैश लैंडिंग तभी होती है जब विमान के सभी सिस्टम फेल हो गए हों।

उन्होंने बताया कि एक कॉमर्शियल विमान में पावर के लिए दो इलेक्ट्रिक जनरेटर होते हैं, जिन्हें इंटीग्रेटेड ड्राइव जनरेटर (IDG) कहते हैं। तीसरा जनरेटर विमान की टेल पर ऑक्सीलरी पावर यूनिट (APU) में लगा होता है। यदि मुख्य दो जनरेटर खराब हो जाएं, तो APU जनरेटर चालू हो जाता है। अगर इन तीनों में से कोई भी जनरेटर चालू हो, तो भी फ्लाइट को पूरी बिजली मिल सकती है। प्लेन क्रैश पर एक्सपर्ट मोहित चतुर्वेदी से बातचीत…

RAT सिस्टम विमान के लैंडिंग गियर के थोड़ा पीछे लगाया जाता है।

RAT सिस्टम विमान के लैंडिंग गियर के थोड़ा पीछे लगाया जाता है।

अगर तीनों जनरेटर खराब हो जाएं, तो क्या होगा?

ग्रुप कैप्टन मोहित चतुर्वेदी के अनुसार ऐसी स्थिति में भी बचने की संभावना बनी रहती है, क्योंकि अगर ये तीन मुख्य जनरेटर फेल भी हो जाएं तो भी हर इंजन में एक बैकअप जनरेटर होता है। ये बैकअप जनरेटर विमान के सिस्टम को एसी (अल्टरनेटिंग करंट) पावर देते हैं इससे इंजन चलते रहते हैं।

विमान में सभी प्रकार के पावर मैनेजमेंट के लिए कंप्यूटर आधारित इलेक्ट्रिकल लोड मैनेजमेंट सिस्टम (ईएलएमएस) लगा होता है, जो यह निर्धारित करता है कि किस जनरेटर को किस समय चालू करना है, लेकिन यदि दुर्भाग्यवश तीन मुख्य जनरेटर और दो बैकअप जनरेटर भी बंद हो जाएं, तो पूरा लोड विमान के दो परमानेंट मैगनेटिक जनरेटर (PMG) पर आ जाएगा, जिनका काम पहियों की गति के साथ छोटी हेडलाइट्स को रोशन करना है।

आखिरी विकल्प रैम एयर टर्बाइन (RAT)

ग्रुप कैप्टन मोहित चतुर्वेदी के अनुसार अगर PMG पावर भी फेल हो जाए तो पावर के लिए आखिरी विकल्प रैम एयर टर्बाइन (RAT) ही है। RAT सिस्टम विमान के लैंडिंग गियर के थोड़ा पीछे लगाया जाता है।

आसान शब्दों में कहें तो यह एक विंड जनरेटर है। अगर सभी सिस्टम फेल हो जाएं तो इस स्थिति में RAT अपने आप बाहर आ जाता है। RAT हवा में घूमकर पावर पैदा करता है और उसे सिस्टम तक पहुंचाता है, लेकिन अगर किसी वजह से RAT सिस्टम भी फेल हो जाए तो विमान को क्रैश होने से बचाने के लिए कोई विकल्प नहीं बचता।

वायरल वीडियो में क्या नोट किया? रिटायर्ड ग्रुप कैप्टन मोहित चतुर्वेदी ने कहा, अहमदाबाद में जो विमान क्रैश हुआ, उसके वीडियो में RAT बाहर की तरफ दिख रही है, इसका मतलब है कि टेक ऑफ के दौरान सभी जनरेटर फेल हो गए। हालांकि ज्यादा जानकारी जांच के बाद फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर के डेटा से ही पता चलेगी।

उन्होंने कहा मुझे लगता है कि पायलट ने मे डे कॉल किया था। हो सकता है कि घबराहट में उसने लॉस ऑफ थ्रस्ट ही कहा हो। बाकी बातें कहने का उसे वक्त ही नहीं मिला। एसी पावर न मिले तो एक सेकेंड में फ्रंट पैनल उड़ जाएगा। अगर सामने कुछ न दिखे तो कंट्रोल नहीं हो पाएगा।

अहमदाबाद में 12 जून को एअर इंडिया का प्लेन क्रैश हो गया था।

अहमदाबाद में 12 जून को एअर इंडिया का प्लेन क्रैश हो गया था।

बोइंग ने विमान में क्या बदलाव किए

  • मोहित चतुर्वेदी ने बोइंग विमान के डिजाइन के बारे में बताया कि बोइंग के 707, 717, 727, 737, 747, 757, 767 और 777 विमानों को लैंडिंग गियर ऊपर उठाने के लिए 3,000 PSI तक हाइड्रोलिक पावर की जरूरत होती है, लेकिन अहमदाबाद में क्रैश हुए बोइंग 787 में कंपनी ने वजन कम करने और हाइड्रोलिक पाइप को छोटा करने के लिए इलेक्ट्रिकल सिस्टम में बदलाव कर हाइड्रोलिक प्रेशर बनाने की कोशिश की है।
  • नए डिजाइन के मुताबिक हाइड्रोलिक्स से चलने वाले सिस्टम को इलेक्ट्रिकल सेंट्रल सिस्टम से पावर मिलती है, यानी लैंडिंग गियर को ऊपर-नीचे करने का सिस्टम, नोज-व्हील स्टीयरिंग, फ्लाइट कंट्रोल, ये सब जुड़े होते हैं, इसलिए अगर लैंडिंग गियर ऊपर नहीं जाता है, तो इसका सीधा कारण टोटल एसी पावर लॉस है।
  • उन्होंने एक महत्वपूर्ण बिंदु की ओर ध्यान दिलाते हुए कहा, शायद विमान में APU और दो जनरेटर पहले से ही बंद थे। इस वजह से लैंडिंग गियर को ऊपर नहीं उठाया जा सका और इसलिए नियंत्रण हासिल नहीं किया जा सका। ऐसा भी लगता है कि विमान थोड़ा बाईं ओर चला गया।
  • उन्होंने बताया कि दोनों पायलट आमतौर पर ATC से कमांड प्राप्त करने से पहले टेक-ऑफ प्रदर्शन की गणना करते हैं। इसमें टेक-ऑफ के लिए कितने रनवे की आवश्यकता होगी, साथ ही ह्यूमिडिटी, तापमान और वजन भी शामिल है? लिफ्ट के लिए विमान को कितनी स्पीड की जरूरत होगी, आदि।

क्या पायलट ने मैन्युअली डिटेल भरने में गलती की? विमान प्रणाली में कुछ डिटेल पायलट को मैन्युअली भरनी होती है। क्या पायलट ने गलत डिटेल भर दी? मोहित चतुर्वेदी ने कहा कि ऐसा संभव नहीं है कि पायलट ने कॉन्फ़िगरेशन में गड़बड़ी की हो। ऐसा नहीं हो सकता। मान लीजिए अगर टेक-ऑफ के लिए फ्लैप नहीं खोले गए तो कॉन्फ़िगरेशन वॉर्निंग शुरू हो जाएगी। ऐसे में अगर डिटेल गलत है तो कंप्यूटर उसे स्वीकार नहीं करेगा।

क्या किसी ने बाहर से फ्यूल वॉल्व बंद कर दिया था? यह भी चर्चा है कि विमान को शायद जरूरी ईंधन नहीं मिला होगा। किसी ने बाहर से वाल्व बंद कर दिया होगा, इसीलिए विमान 35-40 सेकंड में क्रैश हो गया। इस बारे में जब मोहित चतुर्वेदी से पूछा गया तो उन्होंने कहा, यह तर्क बकवास है। विमान का फ्यूल टैंक बीच के निचले हिस्से में होता है, लेकिन इसका स्विच कॉकपिट में होता है, जिसे पायलट ही ऑपरेट कर सकता है।

अगर इस विमान में दिल्ली से ईंधन नहीं भरा गया तो अहमदाबाद में करीब 6 बोवर्स से ईंधन भरा गया होगा। डीजीसीए के नियमों के मुताबिक जांच होने तक सभी बोवर्स को जब्त कर लिया जाता है।

विमान में बोवर्स से ईंधन भरा जाता है। डीजीसीए के नियमों के मुताबिक जांच होने तक सभी बोवर्स को जब्त कर लिया जाता है।

विमान में बोवर्स से ईंधन भरा जाता है। डीजीसीए के नियमों के मुताबिक जांच होने तक सभी बोवर्स को जब्त कर लिया जाता है।

एक इंजन भी फेल तो भी 45 मिनट तक उड़ सकता है बोइंग प्लेन

मोहित ने कहा कि बोइंग के 787 विमान का एक इंजन 53 हज़ार पाउंड का थ्रस्ट देता है। अगर दो में से एक इंजन भी फेल हो जाए तो भी यह टेक-ऑफ के बाद 45 मिनट तक उड़ सकता है। इस सीरीज़ के विमान अटलांटिक महासागर को पार कर चुके हैं, इसलिए ऐसा नहीं है कि टेक-ऑफ के बाद अगर एक इंजन बंद हो जाए तो यह गिर जाएगा। ये सभी क्लास ए प्रमाणित विमान हैं। शायद अगर अहमदाबाद में एक इंजन बंद हो जाता तो यह मुंबई, राजकोट, भोपाल जाकर लैंड कर सकता था।

विमान के टेक-ऑफ के दौरान पायलट और को-पायलट की भूमिका मोहित चतुर्वेदी ने बताया, “टेक-ऑफ के दौरान जब विमान 12 से 15 डिग्री पर ऊपर की ओर जा रहा होता है, तो पायलट सिर्फ आसमान देख सकता है. उसका काम विमान को संतुलित रखना होता है। इस समय को-पायलट का काम यह देखना होता है कि विमान जमीन से सुरक्षित ऊपर उठा है या नहीं। यह ‘सेफली एयरबोर्न इंडिकेटर’ देता है। इसका मतलब है कि 50 फीट ऊपर पहुंचने के बाद को-पायलट वर्टिकल वेलोसिटी इंडिकेटर (वीवीआई) में विमान की स्थिति देख सकता है और ऊंचाई बढ़ती हुई देख सकता है।

फिर वह पायलट को ‘पॉजिटिव क्लाइम्ब रेट’ बताता है। इसका मतलब है कि विमान ऊपर जा रहा है। फिर कैप्टन उसे गियर अप करने का आदेश देता है।

वर्टिकल वेलोसिटी इंडिकेटर प्लेन की स्थिति का अंदाजा देता है। (फाइल फोटो)

वर्टिकल वेलोसिटी इंडिकेटर प्लेन की स्थिति का अंदाजा देता है। (फाइल फोटो)

ज्यादातर विमान दुर्घटनाएं लैंडिंग या टेक-ऑफ के दौरान हमने विमान हादसे को लेकर भारतीय वायुसेना के रिटायर ग्रुप कैप्टन चंद्रप्रकाश द्विवेदी से भी बात की। उन्होंने इंजन फेल होने के सिद्धांत और टेक-ऑफ के दौरान हुई दुर्घटनाओं पर अपने अनुभव बताए। उन्होंने अपने करियर के दौरान सात अलग-अलग तरह के विमान उड़ाए हैं। उनके पास 3,000 घंटे से ज़्यादा उड़ान का अनुभव है।

चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने बताया कि ज्यादातर विमान दुर्घटनाएं लैंडिंग या टेक-ऑफ के दौरान होती हैं, उनमें भी टेक-ऑफ के दौरान दुर्घटनाएं कम होती हैं। केवल सात दुर्घटनाएं ऐसी हुई हैं, जहां दोनों इंजन फेल हो गए।

2009 में न्यूयॉर्क में टेक-ऑफ के दौरान दोनों इंजन फेल हो गए थे। उस समय विमान को हडसन नदी में उतारा गया था, इसलिए विमान में सवार सभी लोग बच गए थे। इसलिए, जिस स्थान पर विमान दुर्घटनाग्रस्त होता है, वह भी महत्वपूर्ण है।” द्विवेदी ने कहा, “वीडियो देखकर ऐसा लगता है कि अहमदाबाद में विमान दुर्घटना में तकनीकी खामी थी। दोनों इंजनों का एक साथ फेल होना ‘लगभग असंभव’ है। भारत में अभी तक ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया है, हालांकि असली वजह जांच टीम ही बता सकती है।”

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