Sunday, March 16, 2025
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खाद की कालाबाजारी करने पर कलेक्टर का एक्शन: पृथ्वीपुर खाद गोदाम के 4 कर्मचारियों सहित व्यापारी पर केस – Niwari News



जिले की पृथ्वीपुर तहसील में में खाद की कालाबाजारी करने पर कलेक्टर लोकेश कुमार जांगिड़ ने कार्रवाई की है। कृषि विकास अधिकारी कुलदीप कौशिक की शिकायत पर खाद गोदाम के चार कर्मचारियों और एक व्यापारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।

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एक दिन पहले पृथ्वीपुर के डबल लाक खाद गोदाम का कलेक्टर ने निरीक्षण किया था। जहां पर किसानों को दी गई पर्चियों और पीओएस मशीन में दर्ज खाद की बोरियों में अंतर पाया गया था।

इन पर हुई कार्रवाई

पुलिस ने खाद गोदाम प्रभारी बीडी अहिरवार, नोडल अधिकारी अखिलेश गुप्ता, कंप्यूटर ऑपरेटर देवेंद्र दांगी, सुरक्षा गार्ड अशोक कुशवाहा और व्यापारी सचिन जैन के खिलाफ केस दर्ज किया है। यह कार्रवाई कृषि विकास अधिकारी कुलदीप कौशिक की शिकायत के आधार पर की गई है।

ये गड़बड़ी मिली थी

निरीक्षण के दौरान जांच में मिला वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी कुलदीप कौशिक के नेतृत्व में जांच में यह स्पष्ट हुआ कि पीओएस मशीन में दर्ज खाद की बोरियां और किसानों को दी गई पर्चियों में भिन्नता पाई गई। गोदाम प्रभारी बीडी. अहिरवार और नोडल अधिकारी अखिलेश गुप्ता ने स्टॉक का सही विवरण देने में असमर्थता जताई।

कम्प्यूटर ऑपरेटर देवेंद्र दांगी ने स्वीकार किया कि उसे गोदाम प्रभारी और नोडल अधिकारी ने पीओएस मशीन में गलत एंट्री करने और अतिरिक्त बोरियां निजी उर्वरक डीलर कल्लू जैन को देने के लिए मजबूर किया। मामले में देवेंद्र दांगी ने बताया कि उसे 4-5 बोरी की जगह पीओएस मशीन में 15-20 बोरी दर्ज करनी पड़ती थी, और ये अतिरिक्त बोरियां प्राइवेट डीलर कल्लू जैन को दी जाती थी।

गोदाम प्रभारी ने धमकी दी थी कि अगर उसने ऐसा नहीं किया, तो उसकी नौकरी छीन ली जाएगी। अशोक कुशवाहा ने भी बयान दिया कि वह किसानों से पर्चियां लेकर खाद की बोरियां जारी करता था। अतिरिक्त बोरियां डीलर कल्लू जैन को दे दी जाती थीं।

इस तरह होती थी खाद की कालाबाजारी

50 किसानों की पर्चियों का मिलान करने पर पाया गया कि पीले रंग की हस्तलिखित पर्चियों में बोरियों की संख्या कम थी, जबकि पीओएस मशीन में ज्यादा एंट्री की गई। खाद की कालाबाजारी करने के लिये किसानों को दिए गए कूपन में खाद की कम मात्रा दिखाई जाती थी।

पीओएस मशीन में ज्यादा बोरियां दर्ज की जाती थीं। अतिरिक्त बोरियां निजी डीलर कल्लू जैन को सौंप दी जाती थीं। हर बोरी पर 50 रुपए अतिरिक्त वसूले जाते थे, जो गोदाम प्रभारी और नोडल अधिकारी के बीच बांट लिए जाते थे।



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