Sunday, June 15, 2025
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खेल पुरस्कार पाने वाले हरियाणा के खिलाड़ियों की कहानी: मनु भाकर बॉक्सर थी, शूटर बनीं; स्वीटी कबड्‌डी ट्रायल देने गई थी लेकिन बॉक्सर बनकर लौटी – Jhajjar News


हरियाणा के 9 खिलाड़ियों को आज खेल पुरस्कार मिलेगा। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू सुबह 11 बजे इन्हें पुरस्कार देंगी। इनमें पेरिस ओलिंपिक की डबल मेडलिस्ट मनु भाकर को मेजर ध्यानचंद खेल रत्न अवॉर्ड मिलेगा। इसके अलावा नीतू घनघस, स्वीटी बूरा, संजय कालीरावण, सरब

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अर्जुन अवॉर्ड पाने वालों में पैरा एथलीट अभिषेक नैन, धर्मबीर नैन और नवदीप भी शामिल हैं। हॉकी कोच संदीप सांगवान को द्रोणाचार्य अवॉर्ड मिलेगा। पुरस्कार पाने वाले खिलाड़ियों की खेल की शुरुआत बहुत रोचक रही। जैसे मनु भाकर बॉक्सर थी, लेकिन शूटर बन गई। स्वीटी बूरा कबड्‌डी ट्रायल देने गई और बॉक्सर बनकर लौटीं।

अमन सहरावत जैसे खिलाड़ियों ने तंगी के बावजूद ओलिंपिक में मेडल जीतकर इतिहास रच दिया।

इन खिलाड़ियों की कहानी पढ़ें….

मनु भाकर: पंच लगने से बॉक्सिंग छोड़ी, 4 अन्य खेल के बाद शूटिंग रास आई मनु भाकर पेरिस ओलिंपिक की डबल मेडलिस्ट हैं। ऐसा करने वाली वह पहली भारतीय महिला शूटर हैं। झज्जर की रहने वाली मनु के पिता रामकिशन उसे बॉक्सर बनाना चाहते थे। मनु ने बॉक्सिंग में नेशनल मेडल भी जीते, लेकिन आंख पर पंच लगने से बॉक्सिंग छोड़ दी। मनु ने फिर मार्शल आर्ट्स, आर्चरी, टेनिस, स्केटिंग में हाथ आजमा मेडल भी जीते। मगर, अंत में वह शूटिंग करने लगी और इसी को करियर बना लिया।

हालांकि 2021 के टोक्यो ओलिंपिक के बाद एक वक्त ऐसा आया, जब मनु शूटिंग भी छोड़ने वाली थी। यहां वह पिस्टल खराब होने से क्वालिफाई राउंड से बाहर हो गईं। वह इतनी उदास हुईं कि मां को पिस्टल तक छिपानी पड़ी। हालांकि उसने फिर शूटिंग शुरू की और नेशनल चैंपियनशिप में वर्ल्ड नंबर वन शूटर हीना सिद्धू को हरा दिया। जिसके बाद वह ओलिंपिक तक पहुंचीं।

स्वीटी बूरा: कोच ने कहा- कबड्‌डी नहीं तुम बॉक्सिंग करो हिसार की स्वीटी बूरा गांव में कबड्‌डी खेलती थीं। पिता उसे ट्रायल के लिए स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAI) ले गए। कोच ने उसकी फिजिक देखी और बॉक्सिंग करने को कहा। कोच से बॉक्सिंग नियम और डिफेंड की टेक्नीक सीख स्वीटी ने उन लड़कियों को हरा दिया, जो 2 साल से ट्रेनिंग कर रहीं थी। फिर स्वीटी ने वहां बॉक्सिंग की ट्रेनिंग ली। 2023 में उन्होंने चीन की बॉक्सर को हरा दिया और वर्ल्ड चैंपियन बन गई। ऐसा करने वाली वह 7वीं बॉक्सर थीं। उन्होंने रोहतक के रहने वाले इंडियन कबड्‌डी टीम के कैप्टन रहे दीपक निवास हुड्‌डा से शादी की है।

संजय कालीरावण: हॉकी खरीदने के पैसे नहीं थे हिसार के संजय कालीरावण पेरिस ओलिंपिक में ब्रॉन्ज मेडलिस्ट टीम में थे। संजय ने 7 साल की उम्र में हॉकी थामी। संजय के पिता नेकीराम खेतीबाड़ी कर परिवार का पालन पोषण करते हैं। इस वजह से आर्थिक तंगी इतनी थी कि वे हॉकी नहीं खरीद सके थे। एक माह तक अपने सीनियर्स की हॉकी लेकर उन्होंने प्रैक्टिस की। इसके बाद कोच राजेंद्र सिहाग ने हॉकी दिलाई। वह इंडिया की स्कूल हॉकी टीम के कैप्टन रह चुके हैं। इसके अलावा जूनियर, सब-जूनियर चंडीगढ़ टीम की कप्तानी की है। उन्होंने नेशनल से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 30 से अधिक मेडल हासिल किए हैं।

अमन सहरावत: जिस पहलवान से प्रेरणा ली, उसी को हराया झज्जर के अमन 11 साल के थे, जब उनकी मां का निधन हुआ। बेटा डिप्रेशन में न जाए, इसलिए पिता ने कुश्ती में डाल दिया। 6 महीने बाद पिता का भी निधन हो गया। अमन के पिता का सपना था कि घर में कोई न कोई पहलवानी करे और भारत के लिए मेडल जीते। अमन ने कहा था पिता का सपना जरूर पूरा करूंगा। अमन टोक्यो ओलिंपिक के सिल्वर मेडलिस्ट रवि दहिया को अपनी इंस्पिरेशन मानते हैं। दहिया को ही हराकर अमन ने ओलिंपिक के लिए क्वालिफाई भी किया। अमन ने अपने कमरे में गोल्ड मेडल की फोटो टांग लिखा था-‘आसान होता तो हर कोई कर लेता।’ पेरिस ओलिंपिक में उन्होंने ब्रॉन्ज मेडल जीता।

नीतू घनघस: विजेंदर को देख बॉक्सिंग शुरू की, पिता ने बिना वेतन की छुट्‌टी ली भिवानी की नीतू घनघस को बॉक्सिंग का शौक 2008 में शुरू हुआ, जब बीजिंग ओलिंपिक में बॉक्सर विजेंदर ने ब्रॉन्ज मेडल जीता। हालांकि बेटी को बॉक्सिंग में डालना सरकारी कर्मचारी पिता जयभगवान के लिए आसान नहीं था। वह हरियाणा विधानसभा से 4 साल तक बिना वेतन के छुट्‌टी पर रहे। फिर नीतू को रोजाना 20 किमी गांव से भिवानी बॉक्सिंग क्लब लेकर जाते थे। नीतू तब सुर्खियों में आई, जब वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप के पहले ही राउंड में उसका मुकाबला रोमानिया की स्टेलुटा से हुआ। स्टेलुटा ने महान बॉक्सर एमसी मैरी कॉम को हराया था। नीतू ने उसे हरा दिया। नीतू का लक्ष्य 2028 ओलिंपिक में देश के लिए मेडल जीतना है।

नवदीप: एक यूट्यूब वीडियो में नीरज चोपड़ा को देख प्रेरणा ली 2024 के पेरालिंपिक के जेवलिन थ्रो इवेंट के गोल्ड मेडलिस्ट नवदीप की कहानी भी संघर्ष भरी रही। पानीपत में जन्मे नवदीप की 2 साल की उम्र में माता-पिता को पता चला कि उनकी हाइट नहीं बढ़ेगी। नवदीप पहलवानी करते थे लेकिन पीठ पर चोट लगी और इसे छोड़ना पड़ा। फिर एक दिन यूट्यूब पर ‘पानीपत के लड़के ने कमाल कर दिया, वर्ल्ड रिकॉर्ड तोड़ दिया’ लिखा वीडियो देखा। उसमें ओलिंपिक में गोल्ड जीत चुके नीरज चोपड़ा का वीडियो था। जिसमें उन्होंने 2016 में जूनियर लेवल पर रिकॉर्ड बनाया था। यहीं से नवदीप ने भी जेवलिन थ्रो की ठान ली। जिसके बाद पैरा एशियाई खेलों, टोक्यो पैरालिंपिक और विश्व चैँपियनशिप से होते हुए वे गोल्ड मेडल तक पहुंचे।



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