मेरठ से प्रयागराज तक जाने वाले यूपी के सबसे लंबे गंगा एक्सप्रेस-वे पर शाहजहांपुर जिले में साढ़े 3 किलोमीटर लंबी हवाई पट्टी (एयर स्ट्रिप) बनाई गई है। यहां आपात स्थिति में लड़ाकू विमान उतारे जा सकेंगे। मई के पहले हफ्ते में बरेली के त्रिशूल एयरबेस से कई व
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जानकार मानते हैं कि इससे आंतरिक सुरक्षा और मजबूत होगी। एयर स्ट्रिप से नेपाल बॉर्डर की दूरी सिर्फ 150 किलोमीटर है। उत्तराखंड के रास्ते चीन बॉर्डर पर भी सेना की पहुंच और आसान होगी। यूपी देश का ऐसा पहला राज्य होगा, जहां 4 एक्सप्रेस-वे पर एयर स्ट्रिप होगी। इससे पहले 3 एक्सप्रेस-वे पर एयर स्ट्रिप हैं।
इस हवाई पट्टी पर कितना काम हुआ? कितना बाकी है? आंतरिक सुरक्षा की दृष्टि से ये कितनी महत्वपूर्ण है? पढ़िए ग्राउंड रिपोर्ट…
सड़क से 20 फीट ऊंचाई पर बनाई एयर स्ट्रिप, काम आखिरी दौर में दिल्ली-लखनऊ नेशनल हाईवे पर शाहजहांपुर जिले में पहुंचते ही बाएं तरफ रास्ता मुड़ता है। यहां से करीब 30 किलोमीटर दूर जलालाबाद है, जहां से गंगा एक्सप्रेस-वे गुजर रहा है। इसी क्षेत्र में साढ़े 3 किलोमीटर एरिया में हवाई पट्टी बनाई गई है।
जब हम यहां पहुंचे तो एयरफोर्स के अफसर वहां से निरीक्षण करके लौट रहे थे। कई मशीनें तेजी से काम कर रही थीं। दो मशीनें मिट्टी को समतल कर रही थीं। एक मशीन डामर का मिश्रण करके दे रही थी, जिससे सड़क बन रही थी। एक मशीन हवाई पट्टी के बीचोंबीच सीमेंटेड डिवाइडर खड़ी कर रही थी। करीब 50 से ज्यादा मजदूर हवाई पट्टी पर काम करते मिले।

शाहजहांपुर के जलालाबाद क्षेत्र में गंगा एक्सप्रेस-वे का निर्माण कार्य चल रहा है।
दैनिक भास्कर साढ़े तीन किलोमीटर लंबी हवाई पट्टी के आखिरी छोर तक गया और वापस आया। हवाई पट्टी कुल 6 लेन की है। इनमें 3 लेन आने और 3 लेन जाने के लिए हैं। ये सभी लेन बनकर तैयार हो चुके हैं। सिर्फ इनके साइड में मिट्टी डालकर उसे समतल किया जा रहा है।
इस मिट्टी के ऊपर घास उगाई जाएगी, ताकि लड़ाकू विमान उतरने पर धूल न उड़े। यह एक्सप्रेस-वे सड़क से करीब 20 फीट की ऊंचाई पर बनाया गया है। एयर स्ट्रिप वाले एरिया में एक्सप्रेस-वे के दोनों तरफ की ढलान भी सीमेंट से पक्की की गई है, ताकि उसकी मिट्टी न दरके।

शाहजहांपुर में एयर स्ट्रिप पर काम करता मजदूर।
एयर स्ट्रिप साइट के सुपरवाइजर धर्मेंद्र कुमार ने बताया…

हम किसी भी सूरत में 25 अप्रैल तक एयर स्ट्रिप को पूरी तरह तैयार कर देंगे। इसके बाद एयर फोर्स के अफसर आखिरी मुआयना करेंगे। उनकी टेक्निकल टीम भी आकर दौरा करेगी और अपनी रिपोर्ट देगी। तब जाकर लड़ाकू विमानों का यहां ट्रायल हो सकेगा।
वाहन रोड लांघकर एयर स्ट्रिप पर न आएं, इसलिए ड्रेन खुदवाई मिट्टी को समतल करने वाली ग्रेडर मशीन के ऑपरेटर इमरान बताते हैं- गंगा एक्सप्रेस-वे पर एयर स्ट्रिप बनाई जा रही है। ये काम अब आखिरी चरण में है। हमने पूछा, बाकी रोड से एयर स्ट्रिप का रोड कैसे अलग होता है?
इस पर इमरान बताते हैं- पूरा एक्सप्रेस-वे डामर (तारकोल और बजरी) से बना है। जबकि एयर स्ट्रिप पूरी तरह सीमेंटेड है, वो भी काफी मोटी लेयर में है। एयर स्ट्रिप वाली जगह सीमेंटेड रोड दोनों तरफ 3-3 लेन की है। इसके बगल में दोनों तरफ करीब 15-15 मीटर का कच्चा रोड है।
फिर उसके बगल में करीब ढाई मीटर ड्रेन बनाई गई है। इस ड्रेन के बगल में 10 मीटर का पक्का रोड बनाया गया है। ये ड्रेन इसलिए बनाई गई है, ताकि जब आपात स्थिति में वाहन 10 मीटर चौड़े सर्विस रोड पर चलें तो वो रोड लांघकर एयर स्ट्रिप के ऊपर न आ सकें।

सिक्योरिटी अफसर बोले- दुश्मन टारगेट करेंगे, तो ये हवाई पट्टियां काम आएंगी उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवेज औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) के नोडल सिक्योरिटी अफसर राजेश पांडेय हैं। यूपी के तमाम जिलों में अपनी सेवाएं देने वाले राजेश पांडेय पिछले दिनों पुलिस महानिरीक्षक (IG) पद से रिटायर हुए हैं। पुलिस सेवाओं के लंबे अनुभव को देखते हुए यूपी सरकार ने एक्सप्रेस-वे की सुरक्षा की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी उन्हें दी है। एक्सप्रेस-वे पर बनाई जा रहीं एयर स्ट्रिप को लेकर हमने उनसे बातचीत की।
राजेश पांडेय बताते हैं- यूपीडा ने दो एक्सप्रेस-वे पूर्वांचल और लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे पर एयर स्ट्रिप की सुविधा है। इसके अलावा यमुना एक्सप्रेस-वे पर भी एयर स्ट्रिप है। यहां तकनीकी रूप से बहुत सक्षम, मजबूत और हर तरह से चेकिंग के पॉइंट्स होते हैं। उन्हें अच्छे ढंग से देखा गया है। दोनों ही हवाई पट्टियों पर युद्धक विमानों को उतारने और उन्हें टेक ऑफ करने की पूरी क्षमता है।
भौगोलिक दृष्टि से दोनों पट्टियां सामरिक महत्व की हैं। किसी भी इमरजेंसी के समय जब युद्ध की कोई स्थिति आती है तो दुश्मन सबसे पहले एयरपोर्ट, एयर स्ट्रिप, एयरफोर्स स्टेशनों को टारगेट करता है। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए ये एक्सप्रेस-वे की हवाई पट्टियां तैयार की गई हैं।

SDM बोले- 2 या 3 मई को ट्रायल संभव जलालाबाद क्षेत्र के SDM दुर्गेश यादव ने बताया- हवाई पट्टी साढ़े 3 किलोमीटर की है। लेकिन, एक्सप्रेस-वे के दोनों तरफ करीब 5 किलोमीटर के क्षेत्र में लोहे की तारबंदी की गई है। वायुसेना के अधिकारी लगातार यहां आकर निरीक्षण कर रहे हैं।
उन्होंने बताया है कि 2-3 मई को यहां लड़ाकू विमानों को उतारने का ट्रायल हो सकता है। इसके तहत विमानों को हवाई पट्टी से स्पर्श कराया जाएगा, दौड़ाया जाएगा और फिर उड़ान भरी जाएगी। ये काम दिन और रात दोनों में हो सकता है।

एयर स्ट्रिप पर एक्सप्रेस-वे के बीचोंबीच डिवाइडर खड़े करती क्रेन।
ऐसा चौथा एक्सप्रेस-वे, बागपत में हुई थी हेलिकॉप्टर की इमरजेंसी लैंडिंग यूपी में इससे पहले 3 एक्सप्रेस-वे पर एयर स्ट्रिप बनी हैं। पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे पर सुल्तानपुर जिले में अरवलकीरी करवत गांव के पास साढ़े 3 किलोमीटर लंबी हवाई पट्टी बनाई गई थी। 16 नवंबर, 2021 को PM नरेंद्र मोदी ने इसका लोकार्पण किया था। तब सुखोई, जगुआर, मिराज जैसे लड़ाकू विमान हवाई पट्टी पर उतरे थे।
आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर बांगरमऊ के पास भी इसी तरह की हवाई पट्टी बनी है। यहां भारतीय वायुसेना ने एंटी मिसाइल सिस्टम तैनात किया है। इस हवाई पट्टी की एयरबोर्न वॉर्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम और हेलिकॉप्टर से भी निगरानी की जाती है। 6 अप्रैल, 2024 को यहां पर लड़ाकू विमानों के उतारने का ट्रायल किया गया था। यमुना एक्सप्रेस-वे पर भी इमरजेंसी में लड़ाकू विमान उतर चुके हैं।

16 अप्रैल 2020 को ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे पर वायुसेना के हेलिकॉप्टर की इमरजेंसी लैंडिंग हुई थी।
अब गंगा एक्सप्रेस-वे पर शाहजहांपुर के जलालाबाद क्षेत्र में एयर स्ट्रिप बनाई गई है। ये स्ट्रिप आपातकालीन लैंडिंग और लड़ाकू विमानों के टेक-ऑफ की सुविधा के लिए डिजाइन की गई है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश को हरियाणा और दिल्ली से जोड़ने वाले ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे पर बागपत जिले में 16 अप्रैल, 2020 को भारतीय वायुसेना के चीता हेलिकॉप्टर की इमरजेंसी लैंडिंग कराई गई थी। इस हेलिकॉप्टर ने गाजियाबाद से चंडीगढ़ के लिए उड़ान भरी थी, लेकिन तकनीकी दिक्कत के चलते इसे यहां उतारना पड़ा। दरअसल, ये पूरा एक्सप्रेस-वे ही सीमेंटेड है। इसलिए वायुसेना इसे रनवे के तौर पर भी इस्तेमाल कर सकती है।

24 जून 2023 को पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे पर वायुसेना ने टच एंड गो अभ्यास किया था।
यूपी में कहां-कहां वायुसेना के स्टेशन? यूपी में वेस्टर्न एयर कमांड में गाजियाबाद का हिंडन एयरबेस और सहारनपुर का सरसावा एयरफोर्स स्टेशन है। सेंट्रल एयर कमांड में आगरा, लखनऊ में बख्शी का तालाब, बरेली का त्रिशूल एयरबेस, प्रयागराज का बमरौली, कानपुर का चकेरी और गोरखपुर एयरफोर्स स्टेशन है।

अब तक कितना निर्माण कार्य हुआ? मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 1 अगस्त, 2024 को विधानसभा में कहा था- गंगा एक्सप्रेस-वे को लेकर हमने टारगेट दिया है। 31 दिसंबर, 2024 से पहले इसका फर्स्ट कैरिज-वे (सड़क का मुख्य हिस्सा) तैयार करके दीजिए। जिससे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोग इससे प्रयागराज महाकुंभ में आकर स्नान कर सकें। मुख्यमंत्री ने कहा, लेकिन ऐसा हुआनहीं। महाकुंभ बीत चुका है, लेकिन एक्सप्रेस-वे चालू नहीं हो सका।
दैनिक भास्कर ने सितंबर-2024 में इस एक्सप्रेस-वे का सर्वे किया था। इसमें पाया गया था कि उस वक्त 43 फीसदी काम बाकी था। उन्नाव, संभल, बदायूं, शाहजहांपुर में हमें अभी भी निर्माण कार्य चलता मिला। मतलब पूरे एक्सप्रेस-वे को चालू होने में अभी वक्त लग सकता है।
अभी तक प्रयागराज से मेरठ की दूरी वाया कानपुर 648 किलोमीटर है। गंगा एक्सप्रेस-वे बनने से यह दूरी 600 किलोमीटर रह जाएगी। अभी तक प्रयागराज पहुंचने में जो 10-12 घंटे लगते हैं, वो सिर्फ 6-8 घंटे रह जाएंगे। 4 घंटे का समय कम लगेगा और जाम से भी राहत मिलेगी।
एक्सप्रेस-वे किनारे बनेगा औद्योगिक गलियारा शाहजहांपुर के सिटी मजिस्ट्रेट परविंदर कुमार बताते हैं- गंगा एक्सप्रेस-वे किनारे जलालाबाद क्षेत्र में औद्योगिक गलियारा भी बनाया जाएगा। इसके लिए 805 किसानों की 102 हेक्टेयर जमीन आरक्षित की गई है। अब तक 697 किसानों से जमीन लेकर उनकी रजिस्ट्री कराई जा चुकी है। सिर्फ 153 किसानों के बैनामे की प्रक्रिया बची है, जो तेजी से जारी है।
15 अप्रैल को सिटी मजिस्ट्रेट परविंदर कुमार जलालाबाद पहुंचे और इस प्रोजेक्ट की फाइलें देखीं। उन्होंने SDM दुर्गेश यादव को निर्देश दिया कि किसानों को मुआवजा देने के लिए सभी फाइलें जल्द से जल्द सरकार को भेज दी जाएं।

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