धर्म की नगरी काशी में दशहरा के पहले श्रीराम के भक्त तैयारियों में जुट गए हैं। इसी क्रम में वाराणसी के सबसे बड़े दशहरा उत्सव के लिए रावण बनने का कार्य अंतिम चरणों में हैं। गंगा-जमुनी एकता की मिसाल यह रावण का पुतला पिछले 50 वर्षों से शमशाद खां और उनके प
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नवरात्रि 3 अक्टूबर से शुरू होगी। कलश स्थापना के साथ आदि शक्ति की पूजा शुरू हो जाएगी तो दशानन रावण के वध की तैयारियां भी जोर पकड़ लेगी। वाराणसी के बरेका में हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी सबसे ऊंचा रावण, मेघनाद और कुंभकरण का पुतला बनाया जा रहा है। गंगा-जमुनी एकता और हिंदू-मुस्लिम भाईचारे की मिसाल इस रामलीला और दशानन के बारे में दैनिक भास्कर इसके कारीगर शमशाद खां से बात की। पेश है खास रिपोर्ट…
सबसे पहले देखिए दशानन की तैयारी में लगे कारीगरों की दो तस्वीरें…
25 वर्षों से बरेका का रावण बना रहा शमशाद और उनका परिवार।

शमशाद खां के घर की महिलाएं भी रावण बनाने में बटाती हैं हाथ।
अब जानिए शमशाद खां की जुबानी बरेका के दशानन की कहानी…
25 वर्षों से परिजनों की विरासत आगे बढ़ा रह हैं शमशाद बरेका के बास्केटबॉल ग्राउंड पर हर वर्ष की तरह इस बार भी शमशाद खां और उनके 4 लड़कों के साथ ही साथ उनके घर की महिलाएं और बच्चे रावण, कुंभकरण और मेघनाद का पुतला बनाने में लगे हुए हैं। दैनिक भास्कर यहां पहुंचा तो शमशाद और उनके परिवार के लोग रावण के दस सिरों को एक दूसरे से जोड़ने में लगे थे। शमशाद कारीगरों को बता रहे थे और वो रावण के सबसे बड़े सिर के पीछे सपोर्ट लगा रहे थे। हमने बात शुरू की तो बोले- मुझे ये काम करते 25 वर्ष हो गए। इसके पहले बाप-दादा ये काम करते थे। अब उनकी विरासत आगे बढ़ा रहे हैं।
75 फिट ऊंचा बन रहा है रावण का पुतला शमशाद ने बताया- इस वर्ष रावण का पुतला 75 फिट का बन रहा है। जिसके दस सर होंगे और उसपर प्रकृति रंग से कलाकारी की जाएगी। महीने से काम चल रहा है। इसमें कुंभकरण का पुतला 65 फिट और मेघनाद का पुतला 55 फिट का रहेगा। इसबार बारिश की वजह से थोड़ा देर लगी पर फिर भी हमने काम समय पर पूरा कर लिया है। 7 तारीख को हम पुतला फाइनल कर लेंगे।
गंगा जमुनी तहजीब की है मिसाल शमशाद ने बताया- हम मोहर्रम में इमाम हुसैन की याद में ताजिये बनाते हैं। दूर-दूर से लोग ताजिये लेने आते हैं। इसके बाद हम दशहरा में रावण का कई पुतला बनाते हैं। बरेका का पुतला सबसे बड़ा होता है। यह रामलीला भी कौमी एकता और गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल है। हम कई झांकिया भी तैयार करते हैं। ऐसे में कभी नहीं लगा कि यह काम गलत है। जैसे आस्था के साथ हम मोहर्रम में ताजिया बनाते हैं। वैसे ही हम दशहरा में रावण का पुतला तैयार करते हैं। इसका दहन भी बुराई पर अच्छी का प्रतीक है और इमाम हुसैन की शहादत भी बुराई पर अच्छाई की जीत है।
5 लाख की लागत, 40 हजार की आतिशबाजी शमशाद और उंनका परिवार बारेका ग्राउंड में इस बना रहा है। जिसका पूरा खर्च रामलीला समिति देती है। रावण, मेघनाद और कुम्भकर्ण का पुतला बनाने में कुल 3 लाख 40 हजार रुपए पिछली बार खर्च हुए थे। इस बार महंगाई बढ़ी है तो कुछ ज्यादा होगा और यह खर्च 4 लाख तक पहुंच सकता है।
पूर्वांचल का सबसे बड़ा पुतला दहन है बरेका का रावण दहन रामलीला समिति के अध्यक्ष ने बताया- बारेका ग्राउंड में जलने वाला पुतला पूर्वांचल का सबसे बड़ा पुतला होता है। इस वर्ष यह 75 फुट का होगा। इसके आलावा यहां की अंतिम दिन की रामलीला मोनो एक्ट पर आधारित होती है। जिसके लिए तैयारी एक महीना पहले से शुरू होती है। इसमें कई मुस्लिम बाल कलाकार भी हिस्सा लेते हैं।