नई दिल्ली8 मिनट पहले
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केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा- कुछ बड़ी कंपनियां अपने फायदे के हिसाब से DPR बनवा लेते हैं।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने हाईवे और टनल के निर्माण में आने वाली दिक्कतों के लिए डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) बनाने वाले अधिकारियों को जिम्मेदार बताया। नितिन गडकरी ने मंगलवार (3 सितंबर) को एक कार्यक्रम के दौरान नेशनल हाईवे, रोड और टनल के कन्स्ट्रक्शन में आ रही समस्याओं पर टिप्पणी की।
गडकरी ने कहा कि DPR बनाने वाली कंपनियों के मालिक रिटायर्ड सरकारी अधिकारी हैं। वे बिना किसी विस्तृत जांच के अपने घरों से Google पर काम करते हैं। हमारी सरकार DPR मिलने के बाद केवल टेंडर जारी करने का काम करती है। आमतौर पर मंत्री टेक्निकल शब्दों को नहीं समझ पाते, इसलिए हमें ऐसे लोगों को हायर करना पड़ता है। कुछ बड़ी कंपनियां अपने फायदे के हिसाब से DPR बनवा लेते हैं।
गडकरी बोले- सरकारी अधिकारी हमारे मार्गदर्शक होते हैं
गडकरी ने कहा कि सरकार में कोई भी निर्णय लेने के लिए जॉइन्ट सेक्रेटरी, अंडर सेक्रेटरी हमारे मार्गदर्शक और फिलोसॉफर होते हैं। वे फाइल पर जो भी लिखते हैं, उस पर डायरेक्टर जनरल (DG) के साइन होते हैं। अंतिम में मंत्री भी साइन करता है। इस तरह पूरा रामराज्य चलता है।
गया-बिहारशरीफ एनएच 8 साल से बन रहा, लागत 730 करोड़ बढ़ी
बिहार में पर्यटन क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण गया-राजगीर-नालंदा-बिहारशरीफ (नेशनल हाइवे-82) को केंद्र सरकार 4 लेन बनवा रही है। बिहार सरकार की एजेंसी बिहार राज्य पथ विकास निगम (BSRDC) ने बौद्ध सर्किट वाले इस अहम रास्ते को चौड़ा करने की जिम्मेदारी ली है।
लेकिन BSRDC इस सड़क को 8 साल से बना रही है। हालत यह है कि हाइवे की लागत 1408 करोड़ से बढ़कर 2138 करोड़ पर पहुंच गई है। इसे बनाने के लिए जापान इंटरनेशनल कॉरपोरेशन एजेंसी (जीका) ने फाइनेंस किया है। उसकी लोन देने की अवधि 11 अगस्त को बीत गई, पर अब भी 5 फीसदी काम बाकी है। पूरी खबर पढ़ें…
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भास्कर ग्राउंड रिपोर्ट:दिल्ली-श्रीनगर को जोड़ने वाले मेगा रेल प्रोजेक्ट की टनल-33 में 7 माह से रिस रहा था पानी, अब बाधा खत्म
इसी ट्रैक पर दुनिया का सबसे ऊंचा चिनाब रेल ब्रिज भी है।
नई दिल्ली को श्रीनगर से जोड़ने के लिए बनाए जा रहे 41 हजार करोड़ के ऊधमपुर-श्रीनगर-बनिहाल रेल लिंक प्रोजेक्ट की आखिरी बाधा दूर करने में बड़ी मुश्किल आ रही थी। यह बाधा 34 किमी के कटरा-रियासी रेल रूट की 3.2 किमी लंबी टनल-33 में थी।
यहां करीब एक किमी भीतर जाने पर पहाड़ से तेजी से पानी गिरने की आवाजें सुनाई देने लगती थीं, लेकिन अब यह बाधा खत्म हो रही है। करीब 30 इंजीनियर-मजदूरों की टीम शिफ्टों में 24 घंटे काम कर 7 महीने से बहाव को बंद करने में जुटी है। अब तक 220 मी. में जल धाराएं डीप ड्रेनेज पाइपिंग से टनल के बाहर मोड़ दी गई हैं। पूरी खबर पढ़ें…
इंदौर-दाहोद की 3 किमी लंबी टनल में पहुंचा भास्कर: 10 जगहों से रिसता पानी इंजीनियर्स के लिए चुनौती, अगले साल मार्च में चलेगी ट्रेन
2.9 किलोमीटर की इंदौर-दाहोद रेलवे ट्रैक की टिही टनल बनाने का काम 2017 में शुरू हुआ था। जिस कंपनी को ये काम सौंपा था, उसने 1846 मीटर की खुदाई की थी। इसके बाद कंपनी काम छोड़कर चली गई। जून 2023 में नई कंपनी को टेंडर दिया गया और एक साल के भीतर टनल की खुदाई का काम पूरा कर लिया गया है। अब दावा है कि अगले साल यानी 2025 मार्च तक टनल की फिनिशिंग और रेल पटरी बिछाने का काम भी पूरा हो जाएगा। लेकिन इसके बावजूद टनल में जगह-जगह पानी रिस रहा है। पूरी खबर पढ़ें…