गया के प्रसिद्ध विष्णुपद मंदिर में रविवार को विदेशी श्रद्धालुओं का आध्यात्मिक मेला लगा है। जहां विशेष रूप से रूस से आए श्रद्धालुओं ने भारतीय परंपराओं का पालन करते हुए अपने पूर्वजों के लिए पिंडदान और तर्पण कर रहे हैं। मंदिर प्रांगण सुबह से हो विदेशी भ
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मंदिर प्रांगण में करीब तीन घंटे तक अनुष्ठान चला। जिसमें ज्यादातर विदेशी श्रद्धालुओं ने बड़े ही मनोयोग से अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्रद्धांजलि दी। इसकी पूरी जानकारी पंडा विजय विट्ठल ने दी।
विभिन्न देशों से आए श्रद्धालु
पंडा विजय विट्ठल ने बताया कि विदेशी श्रद्धालु विभिन्न देशों से आए हैं। जिनमें सबसे अधिक संख्या रूस से थी। ये श्रद्धालु एक दिवसीय श्राद्ध के लिए यहां आए हैं। तर्पण की इस विशेष प्रक्रिया में श्रद्धालु विष्णुपद मंदिर, अक्षयवट और फल्गु नदी में पिंडदान करेंगे। हिन्दू धर्म के अनुसार गया में पिंडदान करने से पूर्वजों की आत्मा को मुक्ति मिलती है। यही कारण है कि यहां हर साल लाखों श्रद्धालु अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान करते हैं। गया में पिंडदान करने की यह परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। अब विदेशी भक्त भी इसे आत्मीयता से अपना रहे हैं।
विदेशी श्रद्धालुओं ने भारतीय संस्कृति और अध्यात्म में अपनी आस्था को व्यक्त करते हुए कहा कि वे अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए यह धार्मिक अनुष्ठान कर रहे हैं। यहां से वापस वाराणसी को चले जाएंगे।
अक्टूबर में भी यूक्रेन और रूस से श्रद्धालु अपने पूर्वजों का पिंडदान करने गया पहुंचे थे।
पिछले महीने भी किया था तर्पण
बता दें कि पिछले महीने पितृपक्ष मेला समापन के बाद भी पितरों के मोक्ष के लिए रूस और यूक्रेन समेत 19 देशों के 160 विदेशियों ने अपने पूर्वजों का पिंडदान किया था। जिसको लेकर गयापाल पंडा अरविंद कुमार कटियार ने बताया था कि यूक्रेन से आए श्रद्धालु ने अपने पितरों के साथ-साथ रूस-यूक्रेन युद्ध में मारे गए सैनिकों और नागरिकों का भी पिंडदान किया है।
आगे बताया था कि विदेशी पिंडदानी रूस, यूक्रेन, जर्मनी, कजाकिस्तान, उज़्बेकिस्तान, कोरिया समेत 19 देशों से श्रद्धा का कर्मकांड करने पहुंचे थे। जो प्रभु विष्णु के प्रति आस्था व्यक्त करते हैं। यह विदेशी होते हुए हर वक्त भगवान का स्मरण करते रहते हैं और सनातन धर्म के प्रति पूर्ण आस्था रखते हैं।