Thursday, January 16, 2025
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गुजरात में पतंगबाजी से जुड़ी घटनाओं में 15 की मौत: करीब 200 हुए घायल, मरने वालों में 3 और 5 साल के दो बच्चे भी शामिल – Gujarat News


सौराष्ट्र-कच्छ में छह, मध्य गुजरात में छह और अहमदाबाद और भरूच में एक-एक मौत हुई है।

गुजरात में मकर संक्रांति के मौके पर पतंगबाजी से हुए अलग-अलग हादसों में मरने वालों का आंकड़ा 15 पर जा पहुंचा है। जबकि घायलों की संख्या 200 के करीब दर्ज की गई है। मरने वालों में तीन और पांच साल के दो बच्चे भी शामिल हैं। वहीं, गांधीधाम में मांझे से एक 1

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मिली जानकारी के मुताबिक, अनुसार गुजरात के सौराष्ट्र-कच्छ में छह, मध्य गुजरात में छह और अहमदाबाद और भरूच में एक-एक मौत हुई है। इससे पहले उत्तरी गुजरात के अरावली जिले में एक व्यक्ति की मौत हो गई।

राजकोट में 5 साल के बच्चे की मौत हालोल के राहटलाव गांव में रहने वाले परेशभाई अपने बेटे 5 वर्षीय बेटे कुणाल को दोपहिया से गुब्बारे खरीदने जा रहे थे। इसी बीच अचानक उसके सामने पतंग की डोर आ गई, जो सामने बैठे कुणाल के गले में लिपट गई। रस्सी से बच्चे का गला बुरी तरह कट गया। घायल कुणाल को तुरंत इलाज के लिए हलोल के उप जिला अस्पताल ले जाया गया। डॉक्टरों ने तुरंत इलाज शुरू किया, लेकिन कुछ देर बाद ही बच्चे की मौत हो गई।

कंट्रोल रूम को मिली 4956 कॉल मंगलवार की रात तक प्रदेश में 108 पर 4956 आपातकालीन कॉल मिलीं। गुजरात में 108 आपातकालीन सेवा के प्रमुख सतीश पटेल ने कहा कि बड़ी संख्या में पतंग के डोरी और मांझे लोगों के घायल होने की कॉल प्राप्त हुईं। पटेल ने कहा कि लोगों के साथ पक्षियों को मांझे से नुकसान पहुंचा। घटनाओं में घायल लोगों का अस्पताल में इलाज किया जा रहा है। गुजरात में मांझे से होने वाली घटनाओं से लोगों को बचाने के लिए काफी तैयारियां की गई थी।

विशेष टीमें तैयार की गई थीं दुपहिया वाहनों के सुरक्षा कचव लगाए गए थे, लेकिन इसके बाद भी काफी घटनाएं सामने आई। अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर पांच दिनों में 7000 पतंगें पहुंची। एयरपोर्ट ने 35 स्टॉफ की ड्यूटी लगाकर उड़ानों का संचालन जारी रखा। अहमदाबाद हवाई अड्‌डे ने एक आधिकारिक बयान में यह जानकारी साझा की है।

उत्तरायण पर्व पर संभावित दुर्घटना से निपटने के लिए 108 की विशेष टीमें तैयार की गई थीं। राज्य में 108, फायर, करुणा हेल्पलाइन सहित विभिन्न गैर सरकारी संगठनों की टीमें भी यह सुनिश्चित करने के लिए अलर्ट पर रखी गई थीं कि लोगों समेत पशु-पक्षियों को भी तत्काल इलाज मिले।



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