सुमित करीब 39 फीट की गहराई में फंसा था। उसे 16 घंटे बाद बोरवेल से निकाला जा सका।
गुना जिले के राघौगढ़ इलाके में बोरवेल में गिरा 10 साल का सुमित 8 घंटे तक मौत से संघर्ष करता रहा। शासन-प्रशासन ने भी भरपूर कोशिशें कीं लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि सुमित की सांसें दम घुटने से थम गई थीं। उसके फे
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पीपल्या गांव का रहने वाला सुमित मीणा शनिवार शाम को पतंग उड़ा रहा था। वह खेत में पहुंच गया और बोरवेल में गिर गया। जब बच्चा काफी देर तक नहीं दिखा तो परिजन ने ग्रामीणों के साथ मिलकर तलाश की। बोरवेल के गड्ढे में उसका सिर नजर आया। ग्रामीणों ने प्रशासन को इसकी सूचना दी। मौके पर पहुंची रेस्क्यू टीम ने दो जेसीबी और पोकलेन मशीन से खुदाई शुरू की। रात में दो और जेसीबी और बुलवाई गई।
सुमित करीब 39 फीट की गहराई में फंसा था। उसे 16 घंटे बाद रविवार सुबह बाहर निकाला जा सका।
सुमित गांव के ही एक स्कूल में कक्षा चौथी में पढ़ता था।
फेफड़ों में पानी भरने से सुमित का दम घुट गया पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सुमित की मौत का कारण फेफड़ों में पानी भरने से दम घुटना बताया गया है। डॉक्टरों के मुताबिक, 11 बजे से पोस्टमार्टम शुरू किया गया था। सुमित शाम 4 बजे के आसपास गड्ढे में गिरा था। इस हिसाब से माना जाए तो रात 12 बजे तक उसने संघर्ष किया।
डॉक्टरों ने यह अंदाजा लगाया है कि बच्चा पानी में डूब गया था। फेफड़ों में पानी भर गया और दम घुटने से उसकी मौत हुई। पीएम रिपोर्ट में मौत का कारण एस्फीसिया ड्यू टू ड्राऊनिंग लिखा है। साधारण भाषा में इसका मतलब है- डूबने के कारण दम घुटना।

बोरवेल में 39 फीट नीचे फंसा रहा था सुमित सुमित के पिता दशरथ मीणा ने बताया- सुमित शनिवार शाम 4 बजे अपने घर की छत पर पतंग उड़ा रहा था। डोर टूटी तो पतंग घर के पीछे ही बने खेत में चली गई। वह पतंग को उठाने के लिए दौड़ता हुआ खेत में गया। खेत में खुला बोरवेल था। उसके आसपास पत्थर भी नहीं रखे थे। इसी कारण सुमित को बोरवेल नहीं दिखा और वो उसमें गिर गया।
जब वह काफी देर तक वापस नहीं लौटा तो परिवार वालों ने तलाश की। उसे ढूंढते हुए खेत में पहुंचे। बोरवेल में सुमित का सिर दिखा। शाम लगभग 6 बजे पुलिस और प्रशासन को सूचना दी गई। रेस्क्यू टीम मौके पर पहुंची। बच्चा बोरवेल में 39 फीट पर फंसा हुआ था।
भोपाल से NDRF की टीम को भी बुलाया गया। राघौगढ़ विधायक जयवर्धन सिंह, कलेक्टर डॉ. सतेन्द्र सिंह, SP संजीव कुमार सिन्हा पूरे रेस्क्यू ऑपरेशन की मॉनिटरिंग करते रहे।
SDERF ने टनल बनाकर बाहर निकाला सबसे पहले SDERF की टीम ने 45 फीट सीधा गड्ढा किया। इसके बाद NDRF की टीम ने रेस्क्यू ऑपरेशन अपने हाथ में ले लिया। सुबह 4 बजे टीम ने हाथ से टनल बनाने का काम शुरू किया। सुबह 9 बजे तक टीम ने टनल बना ली। 9:30 बजे टीम बच्चे तक पहुंच गई और उसे बोरवेल से बाहर निकाला।
इसके बाद एम्बुलेंस के जरिए सुमित को जिला अस्पताल भेजा गया। यहां जांच के बाद डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
CMHO बोले- डूबता नहीं तो बच जाता CMHO डॉ. राजकुमार ऋषिश्वर ने कहा- बच्चे के मुंह में मिट्टी भी लगी थी। जब वो ऊपर से गिरा होगा तो मिट्टी मुंह के अंदर चली गई होगी। बोरवेल के अंदर हाथ तो हिल नहीं सकते थे, ऐसे में सलाइवा भी अंदर गया होगा।

तीन बहनों में इकलौता भाई था सुमित सुमित की सलामती के लिए पिता दशरथ मीणा मंदिर की सीढ़ी पर बैठकर तो बुआ रुक्मणि बाई बोरवेल के पास खड़ी होकर प्रार्थना करती रही। रुक्मणि ने बताया कि वह खुद चार साल से अपने भाई के घर नहीं आई थी। जब मोबाइल से सुमित के बोरवेल में गिरने की सूचना मिली तो वह यहां पहुंची।
रुक्मणि बाई ने बताया- मन्नतों के बाद सुमित का जन्म हुआ था। तीन बहनों में वह इकलौता भाई था। दो बहनों के बाद उसका जन्म हुआ था। वह घर में सबका दुलारा था।

बच्चे के पिता मंदिर की सीढ़ी पर बैठे रहे। वे बच्चे की सलामती के लिए प्रार्थना करते रहे।

बुआ रुक्मणि बोरवेल के पास खड़ी होकर सुमित की सलामती के लिए प्रार्थना करती रही।
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सीएमएचओ डॉ. राजकुमार ऋषिश्वर ने बताया कि बच्चे का शरीर पानी में था। जब अस्पताल लाया गया तो उसके कपड़े भी गीले थे। मुंह में मिट्टी भरी हुई थी। वह करीब 39 फीट की गहराई में फंसा था। उसे 16 घंटे बाद रविवार सुबह बाहर निकाला गया। ठंड में अंगों ने काम करना बंद कर दिया था। पूरी खबर पढ़िए…