गुरुग्राम में जिलाध्यक्ष पद के लिए आवेदन लेते कांग्रेस नेता।
हरियाणा के गुरुग्राम में कांग्रेस पार्टी ने अपनी संगठन को मजबूत करने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। भारतीय जनता पार्टी की तर्ज पर कांग्रेस ने गुरुग्राम को दो अलग-अलग गुरुग्राम अर्बन और गुरुग्राम रूरल में बांटकर प्रत्येक के लिए अलग-अलग जिलाध्यक्ष नियुक्
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100 आवेदन, प्रक्रिया आज भी जारी
पिछले दो दिनों में गुरुग्राम अर्बन और रूरल जिलाध्यक्ष पदों के लिए 100 से अधिक कार्यकर्ताओं ने आवेदन जमा किए हैं। आवेदन प्रक्रिया आज 12 जून को भी जारी रहेगी। इस प्रक्रिया में युवा नेताओं से लेकर अनुभवी कार्यकर्ताओं तक ने हिस्सा लिया है।
भाजपा को मिली कामयाबी
मार्च 2025 में हुए गुरुग्राम नगर निगम (MCG) चुनावों में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा था। भाजपा ने 36 में से 24 वार्डों पर कब्जा जमाया, जबकि कांग्रेस केवल एक सीट जीत पाई। इसके अलावा गुरुग्राम मेयर पद पर भी भाजपा की राज रानी मल्होत्रा ने कांग्रेस की सीमा पाहुजा को 1.79 लाख वोटों के भारी अंतर से हराया था। इस हार ने कांग्रेस को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर किया।
इसलिए बदली रणनीति
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि गुरुग्राम में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों की समस्याएं और मतदाता प्रोफाइल अलग-अलग हैं। भाजपा ने इस रणनीति को पहले ही अपनाया है, जिसके तहत उन्होंने गुरुग्राम मेट्रोपॉलिटन को एक अलग राजनीतिक जिला बनाया। कांग्रेस भी अब इस मॉडल को अपनाकर दोनों क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है।
कार्यकर्ताओं में उत्साह, लेकिन चुनौती भी
जिलाध्यक्ष पद के लिए कार्यकर्ताओं की भारी भीड़ से पार्टी में उत्साह तो है, लेकिन यह भी एक चुनौती है। वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि इतनी बड़ी संख्या में आवेदनों को छांटना और सही उम्मीदवार का चयन करना एक कठिन प्रक्रिया होगी। एक कार्यकर्ता ने बताया कि पार्टी में युवा और अनुभवी नेताओं के बीच संतुलन बनाना जरूरी है। ग्रामीण क्षेत्रों में जातिगत समीकरण और शहरी क्षेत्रों में विकास के मुद्दे अहम होंगे।
क्या कहते हैं विश्लेषक
राजनीतिक विश्लेषक प्रदीप नरूला का कहना है कि यह कदम कांग्रेस के लिए एक सकारात्मक पहल हो सकता है, बशर्ते पार्टी सही नेतृत्व का चयन करें। गुरुग्राम में भाजपा की मजबूत पकड़ को देखते हुए, कांग्रेस को स्थानीय मुद्दों जैसे ट्रैफिक, जलभराव, और स्वच्छता पर फोकस करना होगा। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में भाजपा की कमजोर पकड़ को देखते हुए कांग्रेस के पास अपनी स्थिति मजबूत करने का अवसर है।
आगे दिखाई देगा प्लानिंग का असर
उन्होंने बताया कि कांग्रेस की इस रणनीति का असर आने वाले समय में देखने को मिलेगा, खासकर 2029 के विधानसभा चुनावों में इसका कुछ फायदा मिल सकता है। पार्टी ने यह भी संकेत दिया है कि वह जल्द ही अन्य जिलों में भी इसी तरह की रणनीति अपना सकती है। फिलहाल गुरुग्राम में जिलाध्यक्षों की नियुक्ति की प्रक्रिया पर सभी की नजरें टिकी हैं।