Wednesday, December 25, 2024
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गुरुग्राम में बिल्डर की मनमानी, कोर्ट भी ठेंगे पर: फ्लैट खरीदार बोले- धमकियां और कैंसिलेशन लेटर भेजे; कीमत दोगुणी हुई, बढ़ा लालच – gurugram News


सेक्टर-63 ए स्थित अफोर्डेबल ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी बिल्डिंग।

गुरुग्राम में अफोर्डेबल ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी 63 गोल्फ ड्राईव सेक्टर-63 ए गुरुग्राम प्रोजेक्ट के बिल्डर पर खरीदारों ने गंभीर आरोप लगाए हैं। इस सोसाइटी में फ्लैट बुक कराने वाले खरीदारों का आरोप है कि बिल्डर हरियाणा रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (एचरेर

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इस सोसाइटी में फ्लैट खरीदने वाले 12 लोगों ने समय पर पजेशन न मिलने पर रेरा कोर्ट की तरफ रुख किया। कोर्ट का फैसला 8 अक्टूबर 2024 को आया। इस फैसले में साफ कहा गया कि बिल्डर फ्लैट किसी भी स्थिति में कैंसिल नहीं कर सकता है। साथ ही उसे हर्जाना भी भरना होगा।

खरीदारों का क्या पक्ष? प्रोजेक्ट में यूनिट नंबर ए111 बुक कराने वाले विक्रम राठौड़ ने बताया- ‘मैंने 91 प्रतिशत पैसा जमा कर दिया है। बावजूद इसके जब फ्लैट नहीं मिला तो हमने केस किया। केस का फैसला रेरा कोर्ट ने खरीदारों के पक्ष में दिया। बिल्डर को कोर्ट ने स्पष्ट आदेश दिया कि किसी भी यूनिट को कैंसिल नहीं किया जाए। लेकिन हमें लगातार बिल्डर्स के ई-मेल आ रहे हैं, कभी वो फ्लैट कैंसिल करने का लेटर होता है, तो कभी फ्लैट देने की अवधि को और बढ़ाने की धमकी देता है।

एक और खरीददार अनिल यादव कहते हैं-‘मैं फ्लैट की कीमत की 85 प्रतिशत राशि दे चुका हूं। बिल्डर की तरफ से जब जब डिमांड की गई मैंने पैसा दिया। हमारा फ्लैट 2021 में मिल जाना चाहिए लेकिन अब तक नहीं मिला। मैं किराए के घर में रहता हूं, उसका किराया और फ्लैट की किस्त दोनों एक साथ हमें देनी पड़ रही हैं।’

अनिल ने कहा कि बिल्डर ने उलटा हम पर ही आरोप मढ़ दिया कि हमने ही उन्हें समय पर पैसा नहीं दिया। पर हमारे पास सारी स्लिप हैं, हमने कब कब पैसा दिया। बिल्डर ने फ्लैट कैंसिलेशन लेटर मुझे और कई दूसरे खरीदारों को भेजे हैं। हम इस मामले को लेकर रेरा कोर्ट चले गए। फैसला हमारे पक्ष में आया, बावजूद इसके बिल्डर अब भी हमें डरा धमका रहा है। हम बिल्डर से मिलने जाते हैं तो उसका स्टाफ हमसे फोन बाहर ही रखवा लेता है और अंदर जाने पर धमकी दी जाती है।’

ऐसे और कई खरीदारों की कहानी बिल्कुल यही है। 12 खरीदारों ने मिलकर बिल्डर पर केस किया है। कोर्ट के ऑर्डर की कापी दैनिक भास्कर के पास है, जिसमें स्पष्ट लिखा है कि बिल्डर फ्लैट कैंसिल नहीं कर सकता। बल्कि बिल्डर को हर्जाना देना होगा।

एडवोकेट संजीव शर्मा ने कहा कि फ्लैट की कीमत 26 लाख थी, वो बढ़कर अब दोगुनी से भी ज्यादा हो गई है।

कब का है प्रोजेक्ट?

2016 में ये प्रोजेक्ट शुरू हुआ था और 2021 में फ्लैट डिलीवर किए जाने थे, लेकिन फ्लैट डिलीवर नहीं हुए। बिल्डर ने पहले कोरोना का हवाला दिया, फिर उसके बाद लोगों के पास बिल्डर्स के मेल गए कि भुगतान देर से हुआ। इसलिए उसके एवज में कुछ रकम बिल्डर ने मांगी।

खरीदारों ने बिल्डर से बात करने की कोशिश की, तो फ्लैट कैंसिल करने की धमकी मिली। खरीदार ने मिलकर बिल्डर पर केस कर दिया। हरियाणा रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (एचरेरा) ने बिल्डर को लताड़ लगाई और फैसला खरीदारों के पक्ष में दिया।

क्या कहती है अफोर्डेबल हाउसिंग पॉलिसी 2013 ?

इस पॉलिसी के मुताबिक एनवायरमेंट क्लीयरैंस के 4 साल बाद फ्लैट खरीदार को डिलीवर कर देने चाहिए। इस प्रोजेक्ट को एनवायरमेंट क्लियरेंस 16-09-2016 में मिला। क्लियरेंस डेट से 4 साल बाद ये प्रोजेक्ट डिलीवर होना था। लेकिन बीच में 6 महीने कोरोना काल में बढ़ाए गए। इस पूरे समय को कैलकुलेट करें तब भी 16 मार्च 2021 को ये प्रोजेक्ट डिलीवर हो जाना चाहिए था।

हरियाणा रेगुलेटरी अथॉरिटी कोर्ट का क्या फैसला?

1- प्रोजक्ट 16.03.2021 तक खरीदारों को हैंडोवर किया जाना था। बिल्डर को खरीदारों ने बुकिंग के समय तय हुई पजेशन डेट के बाद से लेकर अब तक जितना पैसा दिया है, उस पर 11.10 प्रति वर्ष के हिसाब से हर महीने खरीदारों को बिल्डर ब्याज की रकम देगा। यह पैसा बिल्डर को पजेशन मिलने के बाद 2 और महीनों तक देना होगा।

2-बिल्डर को कैंसिलेशन लेटर को वापस लेना होगा। उसे एक नया स्टेटमेंट जारी करना होगा। जिस तरह बिल्डर ब्याज लगाकर हर्जाने की रकम खरीदारों को अदा करेगा। वैसे ही अगर किसी खरीदार पर कुछ बकाया है, तो उसे भी तय ब्याज दर 11.10 के हिसाब से बची हुई रकम पर कैलकुलेट करके बिल्डर को देना होगा।

3- बिल्डर को कॉम्पिटेंट अथॉरिटी द्वारा ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट मिलने के 60 दिनों के भीतर खरीदारों को पजेशन देना होगा।

4-बिल्डर को ब्याज की राशि पर एरियर खरीदारों को कोर्ट के ऑर्डर के 90 दिनों के अंदर अदा करना होगा।

5- बिल्डर द्वारा ब्याज की राशि पर एडजस्टमेंट के बाद खरीदारों को बची हुई राशि का भुगतान करना होगा।

2016 में शुरू हुआ था प्रोजेक्ट, 2021 में डिलीवर किए जाने थे फ्लैट।

2016 में शुरू हुआ था प्रोजेक्ट, 2021 में डिलीवर किए जाने थे फ्लैट।

खरीदारों के वकील ने क्या कहा

लगभग 15 खरीददारों की तरफ से केस लड़ रहे एडवोकेट संजीव शर्मा कहते हैं-‘ बिल्डर केस हार गया है। बस वो मानसिक दबाव बना रहा है। अगर कुछ खरीदार डर गए, तो उसे करोड़ों में फायदा होगा। कल तक जिस फ्लैट की कीमत 26 लाख थी, वो बढ़कर अब दोगुनी से भी ज्यादा हो गई है। सोचिए अगर 10 फ्लैट भी कैंसिल हो गए, तो करोड़ों का फायदा बिल्डर को होगा। ये केवल 12-15 फ्लैट का ही मामला नहीं है। कई और वकील भी इसी सोसाइटी के दर्जनों केस लड़ रहे हैं।’

एडवोकेट संजीव शर्मा ने कहा कि कोर्ट में जब बिल्डर को पेश होना होगा, तो उनका वकील इस हरकत के लिए फौरन माफी मांग लेगा। ये सब बिल्डर की ट्रिक होती है।

कोर्ट में खरीदार बिल्डर पर ठोकेंगे एक और जुर्माना एडवोकेट ने ये भी कहा कि वो कोर्ट में एप्लिकेशन फाइल करेंगे कि बिल्डर की इस हरकत की वजह से उनके खरीदारों को कितना मानसिक दबाव झेलना पड़ा, कितना आर्थिक नुकसान हुआ। कई खरीदार किराया और ईएमआई दोनों भर रहे हैं। इन सबको कैलकुलेट करते हुए मानसिक और आर्थिक नुकसान के हर्जाने की मांग बिल्डर से करेंगे।



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