लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) में पहली बार 1570 विभागीय इंजीनियरों को एक साथ ट्रेनिंग कराई गई। इसमें सड़क, भवन और पुल निर्माण में गुणवत्ता नियंत्रण व परियोजना प्रबंधन करना सिखाया गया है। लेकिन 7 जोन में लगभग 200 इंजीनियर ट्रेनिंग से अनुपस्थित रहे।
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इन गैरहाजिर इंजीनियरों को अब नोटिस जारी करने की तैयारी है। इस ट्रेनिंग में सब इंजीनियर और असिस्टेंट इंजीनियरों को 5 दिन जबकि एक्जीक्यूटिव और सुपरिंटेंडिंग इंजीनियरों को 3 दिन का प्रशिक्षण दिया गया। सभी 7 संभागों में विभागीय इंजीनियरों ने एक-दूसरे के जोन में जाकर यह ट्रेनिंग दी। यह प्रक्रिया दो चरणों में पूरी हुई, जिसमें इंजीनियर इन चीफ से लेकर सब इंजीनियर तक शामिल थे। ट्रेनिंग के निर्देश विभागीय मंत्री ने दिए थे।
अब दिल्ली में आईआईटी में होगी ट्रेनिंग
अब बड़ी जानकारी यह सामने आई है कि फरवरी में ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट के बाद पीडब्ल्यूडी के इंजीनियरों को दिल्ली ट्रेनिंग के लिए भेजा जाएगा। दिल्ली जाने वालों में एक्जीक्यूटिव इंजीनियर से ऊपर के सभी इंजीनियर शामिल रहेंगे। जबकि इससे कम रैंक वाले इंजीनियरों को भोपाल में ही ट्रेनिंग कराई जाएगी। दिल्ली में इंजीनियरों को इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी (आईआईटी) द्वारा ट्रेनिंग दी जाएगी। विभागीय अफसरों ने बताया कि मंत्री सभी इंजीनियरों को गुणवत्तायुक्त काम करने के लिए यह ट्रेनिंग दिलवा रहे हैं।
मॉनीटरिंग के आधार पर मूल्यांकन ट्रेनिंग के बाद प्रत्येक जोन के एक्जीक्यूटिव इंजीनियर को दूसरे जोन के काम की मॉनीटरिंग की जिम्मेदारी दी गई है। वे देखेंगे कि अन्य जोन में गुणवत्ता के मानकों का पालन हो रहा है या नहीं। ट्रेनिंग में यह भी बताया गया कि गुजरात, तेलंगाना और एनएचएआई में कैसे काम किया जाता है।
क्वालिटी कंट्रोल, रोड नेटवर्क मास्टर प्लान और रोड सेफ्टी जैसे विषयों पर विशेष जोर दिया गया। एक महीने बाद मॉनीटरिंग की रिपोर्ट तैयार कर विभाग को सौंपी जाएगी। इसके आधार पर सामने आई कमियों को दूर करने और कार्यक्षमता सुधारने के लिए नया ट्रेनिंग मॉड्यूल तैयार होगा।