गोरखपुर में दावते इस्लामी इंडिया की ओर से बुधवार को गाजी रौजा (उंचवा) स्थित आइडियल मैरेज हाउस में मंडल स्तरीय अंतिम हज प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। गोरखपुर, महराजगंज, देवरिया और कुशीनगर से आए दो सौ से अधिक हज यात्रियों ने इस शिविर में भाग लिया
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शिविर की शुरुआत कुरआन-ए-पाक की तिलावत से हुई। इसके बाद आदिल अत्तारी ने हम्द और नात-ए-पाक पेश की। ‘लब्बैक अल्लाहुम्मा लब्बैक’ की सदाओं के बीच मैरेज हॉल का माहौल इबादत में डूबा नजर आया।
प्रैक्टिकल के ज़रिए हज के अरकानों की जानकारी
हज प्रशिक्षक हाजी मुहम्मद आजम अत्तारी ने हज के अरकानों की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने एहराम बांधने से लेकर वापस लौटने तक के हर कदम को प्रैक्टिकल के ज़रिए समझाया। इसमें काबा शरीफ का तवाफ, सफा-मरवा की सई, जमरात को कंकरी मारना और मुकद्दस स्थानों पर पढ़ी जाने वाली दुआएं शामिल थीं। साथ ही, उन्होंने नमाज़ की पाबंदी और उसके मसाइल पर भी ज़ोर दिया।
3D वीडियो और डिजिटल तकनीक से व्यवहारिक प्रशिक्षण
हज प्रशिक्षण को और प्रभावी बनाने के लिए 3D ऐनिमेटेड वीडियो, एलईडी स्क्रीन और डिजिटल उपकरणों की मदद ली गई। इसके ज़रिए मक्का और मदीना शरीफ की जियारत और हज से जुड़ी तमाम प्रक्रियाएं व्यवहारिक रूप से दिखाई गईं। महिला हज यात्रियों से संबंधित मसलों पर विशेष सत्र आयोजित किया गया, जिसमें शरीयत के अनुसार जरूरी बातों को बताया गया।
हज की फजीलत और मस्जिद-ए-नबवी के आदाब पर जानकारी
मुहम्मद फरहान अत्तारी ने हज की फजीलत पर रौशनी डालते हुए कहा कि यह इस्लाम का एक अहम फरीज़ा है, जिसे खुलूस और नियत के साथ अदा करना चाहिए। उन्होंने बताया कि हज-ए-मबरूर करने वाला व्यक्ति गुनाहों से ऐसा पाक हो जाता है मानो अभी जन्म लिया हो। उन्होंने रौज़ा-ए-रसूल पर सलाम पेश करने और मस्जिद-ए-नबवी के आदाब के बारे में भी बताया।
दुआ और धार्मिक पुस्तकों का हुआ वितरण
कार्यक्रम के अंत में सामूहिक दुआ की गई, जिसमें हज यात्रियों की सलामती, हज के मुकम्मल होने और अमन की दुआ मांगी गई। हज व उमराह से संबंधित पुस्तकें भी वितरित की गईं।
इस अवसर पर वसीउल्लाह अत्तारी, नेहाल अहमद, अहमद अत्तारी, शहजाद अहमद, मो. अख्लाक, जीशान अहमद, मो. बेलाल, शहजाद अत्तारी, इब्राहीम अत्तारी, मो. असलम, अब्दुर्रहमान, महताब अत्तारी और रमज़ान अत्तारी सहित कई लोग उपस्थित रहे।