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गोल्ड डिपॉजिट स्कीम के कुछ हिस्से बंद: इंपोर्ट घटाने के लिए सरकार ने शुरू की थी, निष्क्रिय सोने पर 2.50% तक ब्याज मिलता है


मुंबई2 मिनट पहले

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भारत सरकार ने गोल्ड मॉनेटाइजेशन स्कीम के कुछ हिस्सों को बंद कर दिया है। इस स्कीम में घर में रखे सोने को जमा करने पर 2.50% तक ब्याज मिलता है। गोल्ड मॉनेटाइजेशन स्कीम में 1 से 3 साल, 5 से 7 साल और 12 से 15 साल के लिए गोल्ड जमा कर सकते है।

वित्त मंत्रालय ने कहा कि 5 से 7 और 12 से 15 साल वाली स्कीम को बंद कर दिया गया है। स्कीम बंद करने का कारण बाजार की बदलती परिस्थितियों और योजना के प्रदर्शन को बताया है। मंत्रालय ने कहा कि बैंक शॉर्ट टर्म गोल्ड डिपॉजिट ऑफर करना जारी रख सकते हैं।

गोल्ड मॉनेटाइजेशन स्कीम क्या है?

साल 2015 में सरकार ने इसे शुरू किया था। इस स्कीम में आइडल गोल्ड (ऐसा सोना जिसका इस्तेमाल न हो रहा हो) को बैंक में जमा कर 2.5% तक ब्याज कमा सकते हैं। इस योजना के तहत, जमा किए गए सोने को ज्वेलर्स को उधार देकर उत्पादक उपयोग में लाया जाता है।

कितने तरह की गोल्ड मॉनेटाइजेशन स्कीम?

गोल्ड मॉनेटाइजेशन स्कीम में तीन तरह से गोल्ड जमा किया जाता है:

1. शॉर्ट टर्म बैंक डिपॉजिट: इसमें 1-3 साल के लिए गोल्ड जमा कर सकते हैं। गोल्ड का उपयोग ज्वैलर्स की अस्थायी सोने की मांग को पूरा करने के लिए होता है। जमा अवधि के अंत में, जमाकर्ताओं को ब्याज के साथ गोल्ड बार्स या सिक्कों के रूप में सोना वापस मिल जाता है। एसबीआई इसपर 0.60% तक सालाना ब्याज दे रहा है।

2. मीडियम टर्म गवर्नमेंट डिपॉजिट: इसमें 5-7 साल के लिए गोल्ड जमा कर सकते हैं। सोने का इस्तेमाल देश की घरेलू सोने की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए किया जाता है। ब्याज दरें सरकार द्वारा निर्धारित की जाती हैं और समय-समय पर उनमें संशोधन होता है। अभी तक इस स्कीम में 2.25% का सालाना ब्याज मिल रहा था।

3. लॉन्ग टर्म गवर्नमेंट डिपॉजिट: इसमें 12-15 साल के लिए गोल्ड जमा कर सकते हैं। सोने का इस्तेमाल देश की घरेलू सोने की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए किया जाता है। ब्याज दरें सरकार द्वारा निर्धारित की जाती हैं और समय-समय पर उनमें संशोधन होता है। अभी तक इस स्कीम में 2.50% का सालाना ब्याज मिल रहा था।

गोल्ड मॉनेटाइजेशन स्कीम का फायदा कैसे ले सकते हैं?

  • गोल्ड लेकर बैंक जाएं: जिस बैंक में ये स्कीम अवेलेबल है वहां जाकर गोल्ड लेकर जाएं। सोना 995 शुद्धता वाला होना चाहिए।
  • प्योरिटी टेस्ट होगा: बैंक सोने की डिटेल्स को वेरिफाई करेगा और उसका सही मूल्य निर्धारित करने के लिए शुद्धता परीक्षण करेगा।
  • डिपॉजिट सर्टिफिकेट: सोना जमा हो जाने पर, बैंक गोल्ड डिपॉजिट सर्टिफिकेट जारी करेगा, जिसमें जमा अवधि और लागू ब्याज दर जैसी डिटेल्स होंगी।
  • सहमत दर पर ब्याज: जमा अवधि के दौरान, जमाकर्ताओं को उनके गोल्ड डिपॉजिट पर सहमत दरों पर ब्याज मिलेगा।
  • टर्म के बाद गोल्ड वापिस: जमा अवधि के अंत में, जमाकर्ता को ब्याज के साथ अपना गोल्ड कॉइन या बार के रूप में मिल जाएगा।
  • गोल्ड डिपॉजिट लिमिट: कम से कम 10 ग्राम सोना जमा किया जा सकता है। मैक्सिमम डिपॉजिट की कोई लिमिट नहीं है।

सरकार ने इस स्कीम को क्यों शुरू किया था?

गोल्ड मॉनेटाइजेशन स्कीम का मकसद देश के घरों, संस्थाओं, निगमों और मंदिर ट्रस्टों में पड़े निष्क्रिय सोने का इस्तेमाल करना है। इसके जरिए सोना की मांग को पूरा किया जाता है। सरकार इसके जरिए सोने के आयात पर देश की निर्भरता को कम करना चाहती है।

गोल्ड मॉनेटाइजेशन स्कीम के फायदे?

  • लोगों के लिए: निष्क्रिय सोने पर कमाई और सुरक्षा (घर में रखने की जरूरत नहीं)।
  • लॉकर चार्ज की बचत: सोना रखने के लिए उपयोग किए जाने वाले लॉकर चार्ज की बचत।
  • अर्थव्यवस्था के लिए: आयात कम होता है, वित्तीय व्यवस्था मजबूत होती है।

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