बालोद जिले में शुक्रवार सुबह गौ रक्षकों और किसानों के बीच विवाद हो गया। लोहारा मुख्य मार्ग पर गौ रक्षा दल के सदस्यों ने 215 मवेशी ले जा रहे किसानों को पाररास के पास रोक लिया, जिसके बाद जमकर हंगामा हुआ।
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रायपुर से आए गौ रक्षा दल के सदस्य मनोज जंघेल ने बताया कि बाजारों से खरीदे गए मवेशियों को धीरे-धीरे कत्लखाने ले जाया जाता है, इसलिए उन्होंने कार्रवाई की मांग की। गांवों के ग्रामीण और सरपंच थाने पहुंचे और विरोध दर्ज कराया।
जामगांव के किसान भूपेंद्र देवांगन ने बताया कि वे गुरुवार को खेरथा बाजार से बैल खरीदकर अपने गांव लौट रहे थे। करीब 35 किसान 215 मवेशियों के साथ थे और कोरगुड़ा के पास रातभर रुकने के बाद सुबह यात्रा फिर शुरू की।
इसी दौरान दो कारों में आए गौ रक्षा दल के सदस्यों ने उन्हें रोक लिया। किसानों का आरोप है कि गौ रक्षकों ने उनकी बाइक के प्लग निकाल लिए और उनके मवेशियों को जबरन गौठान ले जाने की कोशिश की।
किसान 215 मवेशियों को खरीद कर ले जा रहे थे
किसानों के समर्थन में पहुंचे सरपंच जनप्रतिनिधि
घटना की जानकारी मिलते ही बी जामगांव, करहीभदर और आसपास के गांवों के सरपंचों ने थाने पहुंचकर विरोध जताया। इसके अलावा स्थानीय नेता भी थाने पहुंचे और मामले की पूरी जानकारी ली।
मवेशी वैध या अवैध?
पूर्व सरपंच लीला राम डड़सेना ने बताया कि किसी भी बाजार से खरीदे गए मवेशियों का पंचायत द्वारा रसीद दिया जाता है, जिससे वह मवेशी वैध हो जाता है।
इसके अलावा ट्रांसपोर्टिंग के लिए भी पंचायत से अनुमति पत्र लिया जाता है। यदि कोई व्यक्ति दस्तावेज नहीं दिखा पाता, तो वह अवैध माना जाता है। बालोद जिले में केवल दो मवेशी बाजार – खेरथा और करहीभदर हैं।

थाने में बिठाकर दोनों पक्षों के बीच सुलह कराया गया
पुलिस ने की जांच, सभी मवेशी वैध पाए गए
हंगामे के बाद पुलिस ने किसानों से दस्तावेजों की जांच की। किसानों द्वारा प्रस्तुत की गई रसीदों के आधार पर मवेशियों की गणना की गई और सभी मवेशी वैध पाए गए।
जांच के बाद स्थिति स्पष्ट होगी
एसडीओपी देवांश सिंह राठौर ने बताया कि पूरे मामले की जांच की जा रही है। सभी पक्षों से बातचीत के बाद स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। फिलहाल, पुलिस मामले को शांतिपूर्वक सुलझाने की कोशिश कर रही है।