प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार (25 दिसंबर) को खजुराहो में केन-बेतवा लिंक परियोजना का लोकार्पण किया। इससे नाराज बिजावर विधानसभा के 22 गांवों के ग्रामीणों ने ढोढन में चिता पर लेटकर विरोध जताया।
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एक ओर पीएम मोदी बुंदेलखंड को 46 हजार 605 करोड़ की सौगात दे रहे थे। वहीं, दूसरी ओर प्रभावित ग्रामीण, परियोजना स्थल जहां पर ढोंडन बांध बनाया जाना है, वहां चिता पर लेटकर परियोजना का विरोध कर रहे थे।
आम आदमी पार्टी अमित भटनागर ने बताया कि केन-बेतवा लिंक परियोजना इन 22 गांव के त्याग पर टिकी हुई है। जिन 22 गांव के लोगों ने त्याग किया है, उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है। ना यहां पर कानून का पालन किया जा रहा है, ना ही यहां पर ग्राम सभाएं आयोजित की जा रही है। यह आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है। इन गरीबों का पैसा कर्मचारी और दलाल दूसरे लोगों के खाते में डाल रहे है।
अमित भटनागर के मुताबिक, पलकोहा गांव के पूर्व सरपंच चूरा अहिरवार ने अर्थी पर लेटकर और हम लोगों ने उनके साथ रहकर परियोजना का विरोध किया। इस योजना में पर्यावरण का बड़ा विनाश होने वाला है। 46 लाख पेड़ काटे जाना हैं। इस योजना से 22 गांवों के लोग प्रभावित होंगे। सरकार सुप्रीम कोर्ट, एनजीटी के सुझावों की अनदेखी कर रही है। न तो यहां पर ग्राम सभाएं हो रही हैं और और न ही आदिवासियों को मुआवजा मिल रहा है, बल्कि सरकारी कर्मचारी, दलालों के खातों में पैसे डाल रहे हैं, जबकि कोर्ट केस चल रहा है, अगर सरकार केस हार जाती है तो पैसा बर्बाद होगा। अमित बोले- यह योजना विकास नहीं विनाश लाएगी। बुंदेलखंड के जल संकट का स्थायी हल निकालना चाहिए। पारंपरिक जल स्रोतों और जल ग्रहण क्षमता को बढ़ाएं और जल स्रोतों के संरक्षण पर ध्यान देना चाहिए।
किसानों ने अर्थी पर लेटकर परियोजना का विरोध किया।
प्रदर्शनकारियों की ये हैं मांगें
1. परियोजना पर रोक: जब तक सुप्रीम कोर्ट और NGT का अंतिम निर्णय नहीं आता, परियोजना का काम रोका जाए।
2. फर्जी ग्राम सभाओं की जांच: स्वतंत्र एजेंसी से ग्राम सभाओं और सहमति के झूठे दावों की जांच कराई जाए।
3. पुनर्वास और मुआवजा: सभी प्रभावित परिवारों को उचित मुआवजा और पुनर्वास दिया जाए, मुआवजे में हुई अनियमितताओं के दोषियों पर कार्रवाई की जाए।
4. पर्यावरणीय और सामाजिक समीक्षा: केंद्रीय सशक्त समिति (CEC) की रिपोर्ट के आधार पर परियोजना की फिर से समीक्षा की जाए।