Friday, December 27, 2024
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चंडीगढ़ के छात्रों को नहीं पसंद खिचड़ी: मध्याह्न भोजन योजना, कढ़ी-चावल बना फेवरेट खाना, मौसमी फल-सब्जियों की मांग – Chandigarh News


चंडीगढ़ में सरकारी स्कूलों में चल रही पीएम पोषण योजना (PM POSHAN) के तहत मिलने वाले भोजन की गुणवत्ता और मात्रा को लगभग उचित माना गया है, लेकिन शिक्षकों के पास योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए प्रशिक्षण की कमी है। वर्ष 2023-24 के लिए हुई सामाजिक ले

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जनवरी 2006 में चंडीगढ़ में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू की गई इस योजना का विस्तार अब 120 स्कूलों तक हो चुका है, जहां 1,04,276 छात्र नामांकित हैं। इस शैक्षणिक सत्र में 1.09 करोड़ भोजन परोसे गए, जबकि पिछले वर्ष यह आंकड़ा 1.49 करोड़ था।

खिचड़ी और दलिया छात्रों की पसंद से बाहर

ऑडिट में यह भी पाया गया कि छात्र मेन्यू में ‘कढ़ी-चावल’ को सबसे ज्यादा पसंद करते हैं, जबकि ‘खिचड़ी’ और ‘दलिया’ को सबसे कम। जिन दिनों खिचड़ी या दलिया परोसा गया, उन दिनों छात्रों द्वारा भोजन का सेवन उल्लेखनीय रूप से कम था। इस मुद्दे को देखते हुए ऑडिट टीम ने सुझाव दिया कि खिचड़ी और दलिया की जगह मौसमी सब्ज़ियां दी जानी चाहिए।

चंडीगढ़ स्कूली शिक्षा बोर्ड।

फलों और मिठाइयों की मांग

ऑडिट में यह भी सिफारिश की गई कि मेन्यू में केला, संतरा और सेब जैसे फलों को शामिल किया जाए। इसके साथ ही, खीर, हलवा और पूरी जैसे व्यंजनों को साप्ताहिक आधार पर परोसा जाना चाहिए ताकि छात्रों की रुचि बनी रहे और उन्हें पोषण से भरपूर भोजन मिले।

शिक्षकों के प्रशिक्षण की कमी

ऑडिट में चंडीगढ़ के 20 स्कूलों का सर्वे किया गया, जिसमें शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों के मॉडल और गैर-मॉडल स्कूल शामिल थे। इसमें यह पाया गया कि अधिकांश शिक्षकों को इस योजना के सही तरीके से संचालन के लिए उचित प्रशिक्षण नहीं मिला है। इसके लिए शिक्षकों ने योजना के प्रति जागरूकता बढ़ाने और प्रशिक्षण सत्र आयोजित करने की आवश्यकता जताई।

स्वास्थ्य रिपोर्टिंग में कमी

ऑडिट ने यह भी इंगित किया कि छात्रों के स्वास्थ्य पर नियमित रिपोर्टिंग और विकास के ट्रैकिंग की कमी है। टीम ने सुझाव दिया कि नियमित अंतराल पर छात्रों के स्वास्थ्य और विकास की निगरानी की जानी चाहिए ताकि योजना का असली उद्देश्य पूरा हो सके।

सामाजिक लेखा परीक्षा की एक और प्रमुख सिफारिश यह रही कि स्कूलों में साफ-सफाई के मानकों को बनाए रखने के लिए विशेष तैयारी की जाए और तिमाही आधार पर अभिभावकों, स्कूल स्टाफ, और उच्च अधिकारियों के बीच नियमित संवाद स्थापित किया जाए ताकि योजना को सुचारू रूप से चलाया जा सके और छात्रों को अधिक से अधिक लाभ मिल सके।



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